वैदिक काल 1500 से 500 ईसा पूर्व का है। यह वह समय है, जब कांस्य युग का समापन हुआ था और लौह युग की शुरुआत हुई थी, जिससे मानव सभ्यता में नई क्रांति देखने को मिली थी। वैदिक काल से भारत के कई राज्य जुड़े हुए हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश का भी नाम आता है।
यह भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जो कि 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। साथ ही, यह सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। प्रदेश के इतिहास के साक्ष्य वैदिक काल में भी देखने को मिलते हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि वैदिक काल में उत्तर प्रदेश को किस नाम से जाना जाता था, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
उत्तर प्रदेश का परिचय
उत्तर प्रदेश राज्य का गठन 1 नवंबर, 1956 को हुआ था। पूर्व में इसे उत्तर-पश्चिम प्रांत के नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम उत्तर-पश्चिम आगरा एवं अवध प्रांत हुआ। कुछ समय बाद इसका नाम फिर बदला और यह संयुक्त प्रांत आगरा एवं अवध हुआ। एक बार फिर नाम बदला और यह संयुक्त प्रांत हो गया। देश आजाद हुआ और इसका नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
सबसे अधिक जिले वाला राज्य
उत्तर प्रदेश भारत में सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। यहां कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये मंडल कुल चार संभागों का हिस्सा हैं, जिनमें पूर्वांचल, मध्य उत्तर प्रदेश, बुंदलेखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश शामिल है।
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले की बात करें, तो यह लखीमपुर खीरी है, जो कि 7680 वर्ग किलोमीटर में है। वहीं, सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो कि 660 वर्ग किलोमीटर में है।
उत्तर प्रदेश के चार दिशाओं के चार जिले
उत्तर प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला बलिया है। वहीं, सबसे उत्तरी जिला सहारनपुर, सबसे दक्षिणी जिला सोनभद्र है, तो सबसे पश्चिमी जिला शामली है।
वैदिक काल में इस नाम से जाना जाता था उत्तर प्रदेश
अब सवाल है कि वैदिक काल में उत्तर प्रदेश किस नाम से जाना जाता था, तो आपको बता दें कि वैदिक काल में यह ब्रह्मर्षि देश के नाम से जाना जाता था। इस काल में उत्तर प्रदेश का महान ऋषि-मुनियों जैसे-भारद्वाज, वशिष्ठ, विश्वामित्र, वाल्मीकि व याज्ञवल्क्य आदि से संबंध रहा है। यह इन ऋषियों की कर्मभूमि रही है।
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