हरित बांड, हरित परियोजनाओ वित्तपोषण के लिए वित्तीय संसाधनों की मदद करने के लिए समकालीन साधन है। इसको बेहतर तरीके से समझने के लिए पहले हमे यह समझना होगा की 'बांड और बांड बाज़ार क्या हैं?'। बांड एक ऋण साधन है जिसके अंतर्गत निवेशको से धन जनित किया जाता है। निवेशक को ब्याज के रूप में एक तय रकम की प्राप्ति होती है। बांड की परिपक्वता के पश्चात् धन को वापस कर दिया जाता है। बांड बाजार एक वित्तीय बाजार है जिसमें प्रतिभागियों को ऋण प्रतिभूतियों के जारी करने और व्यापार के साथ प्रदान किया जाता है। इस लेख में हम हरित बांड क्या है और भारत के लिए यह कैसे महत्वपूर्ण है जैसे तथ्यों का विवरण दे रहे हैं।
हरित बांड (Green Bond) क्या है?
हरित बांड मार्केट मूल रूप से ग्रीन पावर, सोलर पावर, बायोमास पावर, स्मॉल हाइड्रो पावर, वेस्ट-टू-पावर आदि जैसे हरित परियोजनाओं के लिए धन जुटाने का एक साधन है। यह सामान्य बांड से अलग है क्योंकि इस बांड से उठाए गए धन केवल हरित परियोजनाओ के लिए उपयोग किया जाता है। हरित बांड भी समान्य बांड की तरह होता है लेकिन दोनों में मुख्या अंतर यह है की जारीकर्ता के द्वारा जुटाए गए धन को हरित परियोजना के अंतर्गत इस्तेमाल किया जाता है।
हरित बांड भारत के लिए महत्वपूर्ण क्यों है?
1. COP-21 के अंतर्गत उद्धीष्ट निर्धारित राष्ट्रीय योगदान के महत्वकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु वितीय जरूरतों को पूरा करने में हरित बांड बाज़ार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
2. वर्तमान में भारत की नवीकरणीय उर्जा क्षमता 30 गिगावाट से 2022 में 175 गिगावाट तक ले जाने हेतु निधि की जरुरत को इसके माध्यम से पूरा किया जा सकता है।
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3. नवीकरणीय उर्जा को बढ़ावा देने हेतु बाज़ार के माध्यम से आवंटित धन अप्रयाप्त रहा है। वितीय संस्थाओ द्वारा नवीकरणीय उर्जा के क्षेत्र में अधिकाधिक निवेश किया जा सकता है। अतः उर्जा के नवीकरणीय क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु भारत में हरित बांड बाज़ार की भूमिका अत्यंत महतवपूर्ण है। प्रमुख जारिकर्ताओ जैसे यस बैंक, भारतीय आयात-निर्यात बैंक, सीएलपी पवन चक्की सयंत्र एवं आईडीबीआई द्वारा कुल 110 करोड़ डॉलर के हरित बांड जारी करने के साथ ही भारत ने वर्ष 2015 में हरित बांड बाज़ार में प्रवेश किया। मार्च 2015 एक्जियम बैंक इंडिया ने 50 करोड़ डॉलर का पांचवर्षीय हरित बांड जारी किया जो भारत का प्रथम हरित बांड है।
हरित बांड बाज़ार अपेक्षाकृत नए परिसंपत्ति वर्ग है जो जलवायु परिवर्तन के समाधान में एक नया द्वार खोल सकता है। हरित बांड और सामान्य बांड के बीच का मुख्या अंतर यह है की हरित बांड में जारीकर्ता सार्वजनिक रूप से यह कहता है की वह पर्यवरणीय लाभ जैसे अक्षय उर्जा, कम कार्बन परिवहन आदि जैसी 'हरित परियोजनाओ, परिसंपतियो या व्यापारिक गतिविधियों के लिए पूंजी की उगाही कर रहा है।
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