क्या आपने एम्बरग्रीस (Ambergris) के बारे में सुना है या इसे देखा है? आखिर ये कहां पाया जाता है? इसे 'तैरता हुआ सोना' या 'समुद्र का खजाना' क्यों कहते हैं? आइये जानते हैं.
आखिर एम्बरग्रीस (Ambergris) क्या है?
यह स्पर्म व्हेल द्वारा निर्मित होता है और सदियों से इसका उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन कई वर्षों से इसकी उत्पत्ति एक रहस्य बनी हुई है.
एम्बरग्रीस सहस्राब्दियों से एक अनूठी घटना रही है. इस पदार्थ के जीवाश्म साक्ष्य लगभग 1.75 मिलियन वर्ष पहले के हैं, और ऐसी संभावना है कि मनुष्य 1,000 से अधिक वर्षों से इसका उपयोग कर रहे हैं. इसे 'समुद्र का खजाना' या 'तैरता हुआ सोना' भी कहा गया है.
एम्बरग्रीस, जिसका अर्थ फ्रेंच में ग्रे एम्बर ( Gray amber) है. यह एक ठोस और मोम जैसा पदार्थ है जो स्पर्म व्हेल की आँतों से उत्पन्न होता है. हालांकि इसे 'व्हेल की उल्टी' के रूप में भी संदर्भित किया जाता है. यह कहां से आता है यह वर्षों तक एक रहस्य बना रहा, जिसके दौरान कई सिद्धांत प्रस्तावित किए गए.
इसके गठन के सिद्धांतों में से एक यह बताता है कि यह कुछ स्पर्म या शुक्राणु व्हेल के जठरांत्र संबंधी मार्ग (Gastrointestinal tract) में कठोर, तेज (Sharp) वस्तुओं को पारित करने के लिए उत्पन्न होता है जो कि उनके द्वारा निगले जाते हैं जब व्हेल बड़ी मात्रा में समुद्री जानवरों को खाती है. यानी स्पर्म व्हेल बड़ी मात्रा में सेफलोपोड्स (Cephalopods) जैसे स्क्वीड (Squid) और कटलफिश (Cuttlefish) खाती हैं. ज्यादातर मामलों में उनके शिकार के अपचनीय तत्व, जैसे कि चोंच इत्यादि पचने से पहले ही उल्टी हो जाते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि एम्बरग्रीस मल से भी पास हो जाता है और इसमें काफी तेज़ समुद्री गंध के साथ-साथ एक बहुत ही मजबूत फेकल गंध भी होती है. ऐसा बताया जाता है कि स्पर्म व्हेल में से केवल 1% ही एम्बरग्रीस का उत्पादन करती हैं.
ताजा निकला हुआ एम्बरग्रीस एक हल्के पीले रंग का पदार्थ होता है और वसायुक्त भी होता है लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है यह मोम के जैसा या वैक्सी के साथ लाल भूरा रंग का हो जाता है. कभी-कभी भूरे और काले रंग के रंगों के साथ हल्की, मिट्टी की मीठी गंध भी होती है लेकिन फिर भी हल्की समुद्री गंध उसमें रहती ही है.
एम्बरग्रीस (Ambergris) को 'तैरता हुआ सोना' क्यों कहते हैं?
एम्बरग्रीस रसायनिक रूप से एल्कलॉइड, एसिड और एंब्रेन नामक एक विशिष्ट यौगिक होता है, जो कि कोलेस्ट्रॉल के समान होता है. जल निकाय की सतह के चारों ओर यह तैरता है और कभी-कभी तट के पास आकर इकठ्ठा भी हो जाता है. इसका मूल्य काफी ज्यादा होता है इसलिए इसे तैरता हुआ सोना कहा जाता है.
आइये अब एम्बरग्रीस का उपयोग और यह इतना महंगा क्यों होता है के बारे में जानते हैं.
अधिकारियों का कहना है कि अत्यंत दुर्लभ होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी काफी ज्यादा मांग और ज्यादा कीमत होती है. परंपरागत रूप से, एम्बरग्रीस का उपयोग परफ्यूम बनाने के लिए किया जाता है जिसमें Notes of musk होते हैं.
हालांकि अतीत में कुछ संस्कृतियों में इसका उपयोग भोजन, मादक पेय और तंबाकू के स्वाद के लिए किया जाता था, लेकिन वर्तमान में इन उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग शायद ही कभी किया जाता हो.
अंत में भारत में इसकी वैधता के बारे में जानते हैं
जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे देशों में एम्बरग्रीस के कब्जे और व्यापार पर प्रतिबंध है, कई अन्य देशों में यह एक व्यापार योग्य वस्तु है, हालांकि उनमें से कुछ में सीमाएं हैं.
भारतीय संदर्भ में, स्पर्म व्हेल वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 2 के तहत एक संरक्षित प्रजाति है और इसके किसी भी उप-उत्पाद, जिसमें एम्बरग्रीस और इसके उपोत्पाद शामिल हैं, का कब्जा या व्यापार, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत अवैध है.
ऐसा देखा गया है कि एम्बरग्रीस की तस्करी करने वाले गिरोह इसे तटीय क्षेत्रों से खरीदते हैं और कुछ अन्य देशों के माध्यम से गंतव्य देशों में भेजते हैं.
क्या एम्बरग्रीस व्हेल को खतरे में डाल रहा है?
जब व्हेलिंग व्यापक थी, एम्बरग्रीस और तेल जैसे अन्य मूल्यवान उत्पादों के लिए स्पर्म या शुक्राणु व्हेल का शिकार किया जाता था. व्हेल अब दुनिया भर में संरक्षित हैं, लेकिन भविष्य में अभी भी जोखिम में हो सकती हैं.
एम्बरग्रीस के संग्रह और बिक्री को नियंत्रित करने वाले कानून दुनिया भर में अलग हैं. कुछ देशों में एम्बरग्रीस और अन्य सभी व्हेल-व्युत्पन्न उत्पाद प्रतिबंधित हैं, लेकिन कहीं और यह या तो लीगल या फिर ग्रे एरिया है.
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