कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी किसे कहते हैं और भारत में इस पर कितना खर्च होता है?

कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी का सीधा मतलब कंपनियों को उनकी सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में बताना है. भारत में कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (CSR) के नियम अप्रैल 1, 2014 से लागू हैं. इसके अनुसार, जिन कम्पनियाँ की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये या सालाना आय 1000 करोड़ की या सालाना लाभ 5 करोड़ का हो तो उनको CSR पर खर्च करना जरूरी होता है. यह खर्च तीन साल के औसत लाभ का कम से कम 2% होना चाहिए.

Hemant Singh
May 6, 2019, 10:21 IST
CSR Activity in India
CSR Activity in India

कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी क्या है (Corporate Social Responsibility Meaning):-
जैसा कि हमें पता है कि कम्पनियाँ किसी उत्पाद को बनाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती हैं, प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं और अपनी जेबें भरतीं हैं; लेकिन इस ख़राब प्रदूषण का नुकसान समाज में रहने वाले विभिन्न लोगों को उठाना पड़ता है; क्योंकि इन कंपनियों की उत्पादक गतिविधियों के कारण ही उन्हें प्रदूषित हवा और पानी का उपयोग करना पड़ता है. लेकिन इन प्रभावित लोगों को कंपनियों की तरफ से किसी भी तरह का सीधे तौर पर मुआवजा नही दिया जाता है. इस कारण ही भारत सहित पूरे विश्व में कंपनियों के लिए यह अनिवार्य बना दिया गया कि वे अपनी आमदनी का कुछ भाग उन लोगों के कल्याण पर भी करें जिनके कारण उन्हें असुविधा हुई है. इसे कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (CSR) कहा जाता है.

csr benefits in india
Image source:LinkedIn

भारत में कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी के दायरे में कौन कौन आता है?

भारत में कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (CSR) के नियम अप्रैल 1, 2014 से लागू हैं. इसके अनुसार जिन कम्पनियाँ की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये या सालाना आय 1000 करोड़ की या सालाना लाभ 5 करोड़ का हो तो उनको CSR पर खर्च करना जरूरी होता है. यह खर्च तीन साल के औसत लाभ का कम से कम 2% होना चाहिए. CSR नियमों के अनुसार, CSR के प्रावधान केवल भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होते हैं, बल्कि यह भारत में विदेशी कंपनी की शाखा और विदेशी कंपनी के परियोजना कार्यालय के लिए भी लागू होते हैं.

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C.S.R. में क्या क्या गतिविधियाँ की जा सकती हैं
C.S.R. के अंतर्गत कंपनियों को बाध्य रूप से उन गतिविधियों में हिस्सा लेना पड़ता है जो कि समाज के पिछड़े या बंचित वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए जरूरी हों.
इसमें निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल होती हैं :
1. भूख, गरीबी और कुपोषण को खत्म करना
2. शिक्षा को बढ़ावा देना
3. मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुधारना
4. पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना
5. सशस्त्र बलों के लाभ के लिए उपाय
6. खेल गतिविधियों को बढ़ावा देना
7. राष्ट्रीय विरासत का संरक्षण
8. प्रधान मंत्री की राष्ट्रीय राहत में योगदान
9. स्लम क्षेत्र का विकास करना
10. स्कूलों में शौचालय का निर्माण

भारत में कम्पनियाँ CSR पर कितना खर्च कर रहीं हैं?
कम्पनी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2015-16  में CSR गतिविधियों पर 9822 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 11.5% ज्यादा है. वर्ष 2015-16   की रिपोर्ट में 5097 कम्पनियाँ शामिल है जिनमे से सिर्फ 2690 ने  CSR गतिविधियों पर खर्च किया था. शीर्ष 10 ने इस मद में 3207 करोड़ रुपये खर्च किये जो कि कुल खर्च का 33% है.

TOP 10 spenders of CSR in india
Image source:Newslaundry
किस क्षेत्र पर कितना खर्च हुआ है?
1. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा  – 3117 करोड़ रुपये
2. शिक्षा                   – 3073 करोड़ रुपये
3. ग्रामीण विकास         – 1051 करोड़ रुपये
4. पर्यावरण               – 923 करोड़ रुपये
5. स्वच्छ भारत कोष      - 355 करोड़ रुपये
हाल ही में किया गये एक सर्वे के अनुसार, वर्ष 2016 में भारत की 99% कंपनियों ने CSR नियमों का पालन किया है,इसके अलावा सिर्फ जापान और इंग्लैंड की कंपनियों ने 99% का आंकड़ा छुआ है.

भारत की कंपनियों द्वारा समाज के निचले तबके के कल्याण को बढ़ावा देना कंपनियों और सरकार दोनों के लिए दोनों हाथों में लड्डू होने जैसा है. CSR में खर्च होने के जहाँ एक तरफ लोगों के कल्याण के लिए होने वाले खर्च से सरकर को कुछ राहत मिलती है वहीँ दूसरी तरफ लोगों की नजर में कंपनियों की इमेज भी एक अच्छी कंपनी की बनती है जिससे कि कंपनी को अपने उत्पादों को बेचने में आसानी होती है.

किन किन खर्चों के माध्यम से आयकर में छूट प्राप्त की जा सकती है?

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