NEFT और RTGS के बीच क्या अंतर है?

डिजिटल इंडिया के दौर में ऑनलाइन तरीके से भुगतान करने को बढ़ावा दिया जा रहा है. वर्तमान में देश में तीन तरीकों से ऑनलाइन भुगतान किया जाता है. इनके नाम हैं; राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT), तत्काल सकल निपटान (RTGS) और तत्काल भुगतान सेवा (IMPS). RBI ने NEFT और RTGS प्रणालियों के जरिये होने वाले लेन-देन पर शुल्क नहीं लगाने का निर्णय किया है. 

Hemant Singh
Nov 19, 2019, 14:23 IST
Difference b/w RTGS & NEFT
Difference b/w RTGS & NEFT

भारत में डिजिटल इंडिया की शुरुआत के कारण ऑनलाइन लेनदेनों की संख्या में बहुत बढ़ोत्तरी हुई है. इसी दिशा में सरकार ने भी यह नियम बना दिया है कि अब किसी भी बैंक के डेबिट कार्ड से 2000 रुपये तक के स्वाइप/पॉइंट ऑफ़ सेल पर सरकार कोई भी टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन लोग बहुत बड़ी संख्या में अपने सगे सम्बन्धियों को पैसे भेजते हैं जिसमें NEFT, IMPS जैसी सुविधाओं का उपयोग किया जाता है.

दरअसल भारत में इस समय बहुत सी भुगतान प्रणालियाँ चलन में हैं जिनमें मुख्य हैं:

1.  राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (National Electronic Funds Transfer -NEFT)

2.  तत्काल सकल निपटान (Real Time Gross Settlement- 'RTGS')

3.  तत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service-IMPS)

आइये अब इन तीनों के बारे में एक एक करके जानते हैं

1. नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) भारत के सबसे प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक धन हस्तांतरण प्रणालियों में से एक है। इसे नवंबर 2005 में शुरू किया गया था| NEFT एक व्यक्ति के खाते से दूसरे व्यक्ति के खाते में रूपये भेजने की सुविधा है| इसमें रुपया तुरंत ही लाभार्थी के खाते में जमा हस्तांतरित नही किया जा सकता है बल्कि इसको भेजने के लिए प्रति घंटा के हिसाब से टाइम स्लॉट बंटे होते हैं जिनमे ही इस माध्यम से रुपये भेजे जा सकते हैं|

इसे इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के माध्यम से किया जाता है। यह सुविधा देश की 30,000 बैंक शाखाओं में उपलब्ध हैं। भारत में इस सेवा के माध्यम से 2014-15 में $ 890 अरब भेजे गए थे जो कि पिछले साल US$650 थे |

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NEFT-PROCESS

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2. तत्काल सकल निपटान (Real Time Gross Settlement- 'RTGS'): इस प्रणाली में कम से कम 2 लाख के ऊपर का पेमेंट (और अधिक कितना भी) किया जाता है.भारतीय RTGS प्रणाली लगभग 16 दिन में देश की जीडीपी के बराबर का लेन-देन कर देती है। RTGS राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली में माध्यम से देश के उच्च मूल्य लेनदेन वाले 95% भुगतान इसी भुगतान प्रणाली के माध्यम से किये जाते हैं |

यह भुगतान प्रणाली पूरे विश्व में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है| 1985 में इसके माध्यम से केवल 3 देशों के केन्द्रीय बैंक भुगतान करते थे लेकिन इस समय विश्व के 100 से अधिक देशों के केन्द्रीय बैंक इसका इस्तेमाल कर रहे हैं| RTGS के माध्यम से रुपये का हस्तांतरण बिना किसी देरी के किया जाता है इसमें जैसे ही किसी ने ऑनलाइन पैसे भेजने के लिए ok का बटन दबाया, लाभार्थी के खाते में रुपये तुरंत पहुँच जाते हैं|

RTGS-PROCESS.

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3. तत्काल भुगतान सेवा Immediate Payment Service (IMPS): इस सेवा को सार्वजनिक रूप से 22 नवंबर, 2010 को शुरू किया गया था इस सेवा के माध्यम से एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में रुपया कभी भी किसी भी समय भेजा जा सकता है| इस सेवा का लाभ मोबाइल फ़ोन के माध्यम से भी उठाया जा सकता है l NEFT और RTGS के विपरीत, इस सेवा का उपयोग बैंक की छुट्टियों के समय भी पूरे साल 24x7 किया जा सकता है। इस सेवा का प्रबंधन राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India –NPCI) द्वारा किया जाता है |

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नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और तत्काल सकल निपटान (RTGS) के बीच में क्या अंतर है ?

इन दोनों भुगतान सेवाओं के बीच निम्न आधारों पर भेद किया जा सकता है :-

a. NEFT के माध्यम से फंड ट्रांसफर मुख्य रूप से छोटे बचत खाता धारक करते हैं जबकि RTGS का उपयोग बड़े बड़े उद्योग घराने, संस्थाएं इत्यादि करते हैं |

b. NEFT के माध्यम से भुगतान एक समय के बाद होता है लेकिन RTGS के माध्यम से भुगतान तुरंत उसी समय हो जाता है |

c. NEFT का उपयोग छोटी राशि को भेजने के लिए किया जाता है जबकि RTGS के माध्यम से कम से कम 2 लाख रुपये का ट्रांसफर करना जरूरी हिता है जबकि NEFT के मामले में ऐसी कोई न्यूनतम या अधिकत्तम की सीमा नही है |

d. NEFT के माध्यम से पैसे भेजने के लिए बैंकों में सोमवार से शुक्रवार तक सुबह के 9 बजे से शाम के 7 बजे तक का समय तय रहता है जबकि शनिवार के दिन सुबह के 9 बजे से दोपहर के 1 बजे तक पैसे भेजे जा सकते हैं | लेकिन RTGS प्रणाली से पैसे तुरंत (continuous basis पर ) भेज दिए जाते हैं (लेकिन उस दिन बैंक का खुला होना जरूरी होता है)

e. हस्तांतरण लेनदेन पर लगने वाला शुल्क

रिज़र्व बैंक अपने रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) के माध्यम से लेन-देन के लिए बैंकों से न्यूनतम शुल्क वसूलता था, और इसके बदले में बैंक यह शुल्क ग्राहकों से बसूलते थे.

लेकिन अब RBI ने NEFT और RTGS पर शुल्क लगाना बंद कर दिया है और बैंकों से कहा है कि वे भी ग्राहकों से शुल्क लेना बंद कर दें.

तो इस प्रकार कहा जा सकता है कि देश में जैसे-जैसे तकनीकी और शैक्षिक विकास होगा और लोगों के पास अधिक से अधिक संख्या में मोबाइल और इन्टरनेट की पहुँच होगी, इलेक्ट्रोनिक माध्यमों में होने वाले आर्थिक लेन देन की संख्या और बजट में साल दर साल बृद्धि होती ही जायेगी |

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