उत्तर प्रदेश (UP) भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, जो उत्तर भारत में स्थित है। इसकी राजधानी लखनऊ है, जबकि न्यायिक राजधानी प्रयागराज है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। साल 2011 में यहां की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी।
वर्तमान में यह करीब 24 करोड़ हो चुकी है। उत्तर प्रदेश की सीमाएं उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार से मिलती हैं। राज्य के उत्तर में नेपाल की सीमा लगती है।
गंगा, यमुना, सरयू और घाघरा जैसी नदियां इसे उपजाऊ बनाती हैं। यहां की जलवायु मुख्यतः उष्णकटिबंधीय मानसूनी है। आपने प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि यूपी का कौन-सा जिला सहेत-महेत नगर नाम से जाना जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
पहले संयुक्त प्रांत नाम से जाना जाता था यूपी
उत्तर प्रदेश पूर्व में अवध सूबे और जौनपुर में बंटा हुआ था, जिसे शर्की और मुगलों द्वारा बसाया गया था। बाद में यहां ब्रिटिश पहुंचे और उन्होंने यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया, जिसे बाद में अवध सूबे में मिलाकर संयुक्त प्रांत नाम दिया गया। देश आजाद हुआ और इसका नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश में कुल जिले और मंडल
उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, जिसके साथ यह पूरे भारत में सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। ये जिले कुल 18 मंडलों में आते हैं। ये मंडल चार संभागों में आते हैं, जिनमें पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और बुंदेलखंड हैं। इसके अतिरिक्त यहां 826 सामुदायिक विकास खंड, 75 नगर पंचायत और 351 तहसील हैं।
किस जिले को कहा जाता है सहेत-महेत नगर
अब सवाल है कि किस जिले को सहेत-महेत नगर कहा जाता है, तो आपको बता दें कि यूपी के श्रावस्ती जिले को सहेत-महेत नगर कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है सहेत-महेत नगर
यूपी में स्थित श्रावस्ती में सहेत-महेत एक महत्त्वपूर्ण बौद्ध पुरातात्विक स्थल है। यह प्राचीन श्रावस्ती नगर का हिस्सा था, जो भगवान गौतम बुद्ध के जीवन और उपदेशों से गहराई से जुड़ा हुआ है।
सहेत – यह जेतवन विहार का स्थल माना जाता है, जहां बुद्ध ने अपने 24 चातुर्मास (वर्षावास) बिताए थे।
महेत – इसे प्राचीन श्रावस्ती नगर के अवशेषों के रूप में पहचाना जाता है।
श्रावस्ती बुद्ध के समय की छह प्रमुख महाजनपदों में से एक था, जहां राजा प्रसेनजित (कोशल नरेश) ने बुद्ध का स्वागत किया था। वहीं, अनाथपिंडिक नामक एक व्यापारी ने यहां जेतवन विहार बनवाया था, जो बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है।
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