भारत में सभी राज्यों के बीच उत्तर प्रदेश राज्य का भी विशेष महत्व है। यह न सिर्फ अपनी सरस-संस्कृति, खान-पान और भाषाओं के लिए जाना जाता है, बल्कि कृषि के लिए भी उत्तर प्रदेश प्रमुख राज्यों में से एक है।
यही वजह है कि कृषि प्रधान देश भारत में कृषि प्रधान राज्य के रूप में उत्तर प्रदेश राज्य का भी नाम लिया जाता है, जो कि प्रमुख रूप से गेहूं की खेती के लिए जाना जाता है। हालांकि, क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश का एक जिला ऐसा भी है, जो कि काले चावल के लिए प्रसिद्ध है।
खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस जिले को विशेष पहचान भी दी है। कौन-सा है यह जिला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने दी है पहचान
उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2018 की एक जनपद-एक उत्पाद योजना के तहत राज्य के अलग-अलग जिलों में संबंधित उत्पादों की पहचान कर उन्हें अलग पहचान दी है। इसका प्रमुख उद्देश्य संबंधित उत्पाद की वैश्विक स्तर पर पहचान होने के साथ जिले में रोजगार के नए अवसर को बढ़ावा देना है।
यही वजह है कि सरकार ने राज्य में एक जिले को काले चावल के लिए पहचान दी है।
कौन-सा जिला काले चावल के लिए है मशहूर
उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिले अलग-अलग उत्पादों के लिए जाने जाते हैं, जिसमें कृषि उत्पादों से लेकर हस्त निर्मित उत्पाद तक शामिल हैं। ऐसे में आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश का चंदौली जिला काले चावल और जरी जरदोजी के लिए जाना जाता है।
क्यों है काले चावल के लिए मशहूर
इस जिले में दो प्रमुख कार्य हैं, जिसमें एक काले चावल का उत्पादन और दूसरा जरी जरदोजी, जो कि यहां पर गोपालपुर, दुल्हीपुर, सतपोखरी, सिकंदरपुर और केस्तर ग्राम के कारीगरों द्वारा किया जाता है। यहां के कई कारीगर वाराणसी में भी इस काम में लगे हुए हैं।
क्या होता है काला चावल
आपने सफेद चावल देखा और खाया भी होगा। हालांकि, आपको बता दें कि सफेद की तरह एक काला चावल भी होता है, जो कि औषधीय गुणों से भरा होता है। इसमें अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, कैल्शियम, मैग्निशियम, मल्टीविटामिन, आयरन और जिंक जैसे महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं।
इसके साथ ही यह कई गंभीर बीमारियों में भी खाया जाता है। यही वजह है कि कई बार कुछ बीमारियों में डॉक्टर चावल खाने की सलाह नहीं देते हैं, लेकिन काले चावल को लोग इसके औषधीय गुणों के कारण खाते हैं।
जिले का एक परिचय
उत्तर प्रदेश की वेबसाइट के मुताबिक, चंदौली जिले का गठन साल 1997 में वाराणसी जिले से अलग कर किया गया था। यह जिला भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अपनी कृषि उत्पादों के योगदान के लिए भी जाना जाता है।
यहां पर जीविका के तौर पर कृषि ही प्रमुख साधन है। वहीं, यहां पर चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य और देवदारी व राजदारी जैसे जलप्रपात(झरनें) भी देखे जा सकते हैं।
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