उत्तर प्रदेश यानि भारत के प्रमुख राज्यों में से एक और सबसे अधिक आबादी वाला राज्य भी है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की जनसंख्या पूरे देश में सभी राज्यों के बीच सबसे अधिक थी। इसके साथ ही यह सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। पर्यटन के लिहाज से भी यह राज्य भारत में सबसे अधिक घूमे जाने वाले राज्यों में से एक है।
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ऐसे में भूगौलिक, राजनीतिक व आर्थिक रूप से इस राज्य का अधिक महत्व है। हमने अपने पिछले कई लेखों में उत्तर प्रदेश के कई जिलों के बारे में जाना है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम उत्तर प्रदेश के ऐसे जिले के बारे में जानेंगे, जो कि जूतों के लिए जाना जाता है। कौन-सा है यह जिला और क्या है इसके पीछे की कहानी, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
एक जनपद-एक उत्पाद के तहत मिली है पहचान
एक जनपद-एक उत्पाद योजना उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है। इसे साल 2018 में राज्य में शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य उत्तर प्रदेश की उन शिल्प कलाओं और उत्पादों को प्रोत्साहित करना है, जो देश में मुश्किल से ही अन्य जगहों पर देखने को मिलते हैं। उदाहरण की बात करें, तो कालानमक चावल और गेंहू डंठल शिल्प आदि।
कौन-सा जिला जूतों के लिए है मशहूर
अब सवाल यह है कि आखिर कौन-सा जिला जूतों के लिए मशहूर हैं। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश का हमीरपुर जिला जूतों के लिए मशहूर है। दरअसल, यहां पर एक सुमेरपुर शहर है, जो कि जूतों के लिए जाना जाता है।
क्यों है जूतों के लिए मशहूर
उत्तर प्रदेश का सुमेरपुर शहर खासतौर पर अपने यहां की चमड़े और कपड़े की जूती के लिए जाना जाता है। यहां बनाई जानी वाली जूतियों की मांग अलग-अलग राज्यों में भी है। यही वजह है कि यहां बनाई गई जूतियों को देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाता है।
खास बात यह है कि यहां बनाई जानी वाली जूतियों को मशीन से नहीं, बल्कि हाथों से तैयार किया जाता है, जो कि अपनी मजबूती के लिए जानी जाती हैं और लंबे समय तक चलती हैं। यही वजह है कि लोग जूतों की खरीदारी के लिए इस जिले का रूख करते हैं।
जिले का परिचय
हमीरपुर जिला चित्रकूट मंडल में आता है, जिसमें चार तहसील हमीरपुर, मौदहा, राठ और सरीला है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, यह जिला उत्तर प्रदेश में महोबा और चित्रकूट के बाद सबसे कम आबादी वाला जिला है।
इस जिले में ही दो प्रमुख नदियां यानि यमुना और बेतवा का मिलन होता है और बेतवा नदी के किनारे पर मोटा रेत पाया जाता है, जिसे राज्य के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाता है। यहां पर 7 ब्लॉक, 14 पुलिस स्टेशन और 331 गांव हैं।
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