भारतीय इतिहास में कई शासक हुए हैं। हालांकि, कुछ शासकों ने अपनी ताकत, दूरदर्शिता और उपलब्धियों के कारण इतिहास पर एक स्थायी छाप छोड़ी। ऐसे ही एक शासक थे अलाउद्दीन खिलजी, जो खिलजी वंश के दूसरे सम्राट थे। वे गर्व से खुद को "दूसरा सिकंदर" या सिकंदर-ए-सानी कहते थे।
अलाउद्दीन खिलजी ने बड़ी महत्वाकांक्षा के साथ दिल्ली सल्तनत पर शासन किया। उसने महत्वपूर्ण सुधार किए और कई सफल जीतों के जरिए अपने साम्राज्य का विस्तार किया। उनके मजबूत नेतृत्व ने भारत को मंगोल आक्रमणों से भी बचाया।
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किस राजा ने खुद को भारत का सिकंदर कहा?
अलाउद्दीन खिलजी खुद को दूसरा सिकंदर कहता था। वह खिलजी वंश के सबसे ताकतवर शासकों में से एक था। वह अपनी कीमत और राजस्व नीति में नए सुधारों के लिए जाना जाता है। अपने शासन के दौरान, उसने कई प्रशासनिक सुधार किए और उसे भारत पर मंगोल आक्रमण को समाप्त करने का श्रेय भी दिया जाता है। उसने पूरी दुनिया पर कब्जा करने की महत्वाकांक्षा रखी थी, इसलिए उसने अपने सिक्कों पर खुद को "सिकंदर-ए-सानी" के रूप में दिखाना शुरू कर दिया।
यह शासक खिलजी वंश का दूसरा सम्राट था। पूरी दुनिया पर कब्जा करने की अपनी महत्वाकांक्षा के कारण, उसने "सिकंदर-ए-सानी" या दूसरे सिकंदर का उपनाम इस्तेमाल किया। उसने भारतीय उपमहाद्वीप में दिल्ली सल्तनत पर खिलजी वंश के सबसे ताकतवर और महत्वाकांक्षी सम्राट के रूप में शासन किया।
अलाउद्दीन खिलजी कौन था?
अलाउद्दीन अपने से पहले शासक जलालुद्दीन का भतीजा और दामाद था। जब जलालुद्दीन ने मामलुकों को हराकर दिल्ली का सुल्तान बना, तो अलाउद्दीन को अमीर-ए-तुजुक (समारोहों का प्रमुख) नियुक्त किया गया। जलालुद्दीन के खिलाफ एक विद्रोह को दबाने के बाद 1291 में अलाउद्दीन को कड़ा का गवर्नर बनाया गया। इसके बाद, 1296 में भिलसा पर एक सफल अभियान के बाद उसे अवध का गवर्नर भी बनाया गया। 1296 में, अलाउद्दीन ने देवगिरि पर हमला किया और वहां से मिली दौलत का इस्तेमाल करके जलालुद्दीन के खिलाफ सफलतापूर्वक विद्रोह किया। जलालुद्दीन की हत्या के बाद, उसने दिल्ली में अपना दबदबा कायम किया और मुल्तान में जलालुद्दीन के बेटों पर शासन किया।
उसने खुद को दूसरा सिकंदर क्यों कहा?
उसने कई अन्य राज्यों के साथ-साथ गुजरात, रणथंभौर, चित्तौड़, मालवा और जालोर के राज्यों पर भी विजय प्राप्त की। इसके परिणाम स्वरूप, लड़ाई में उसका आत्मविश्वास बढ़ा और वह दुनिया पर कब्जा करने की नई संभावनाएं देखने लगा। इसी कारण से उसने खुद को "दूसरा सिकंदर" कहा।
अलाउद्दीन खिलजी के बाद कौन शासक बना
अपने अंतिम सालों में अलाउद्दीन बीमार पड़ गया और प्रशासन चलाने के लिए मलिक काफूर पर निर्भर हो गया। 1316 में उसकी मृत्यु पर, मलिक काफूर ने अलाउद्दीन और उसकी हिंदू पत्नी झत्यपाली के बेटे शिहाबुद्दीन को एक कठपुतली शासक बना दिया। उसकी मृत्यु के तुरंत बाद, अलाउद्दीन के बड़े बेटे कुतुबुद्दीन मुबारक शाह ने शिहाबुद्दीन से सत्ता छीन ली।
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