कौन हैं सुनिता विलियम्स, शिक्षा, करियर और उपलब्धियां, यहां देखें

Who is Sunita Williams: सुनीता विलियम्स एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और सेवानिवृत्त अमेरिकी नौसेना अधिकारी हैं, जो अपनी अंतरिक्ष उड़ान अनुभव के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसमें 62 घंटे से अधिक समय तक की नौ अंतरिक्ष यात्राएं शामिल हैं। उन्होंने फ्लाइट इंजीनियर और कमांडर के रूप में कार्य करते हुए कई अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) मिशनों में भाग लिया है।

Mar 19, 2025, 16:07 IST
कौन हैं सुनिता विलियम्स
कौन हैं सुनिता विलियम्स

5 जून 2024 को नासा के दो अनुभवी अंतरिक्ष यात्री आठ दिवसीय परीक्षण उड़ान के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पहुंचे थे। लेकिन, चीजें योजना के अनुसार नहीं हुईं। कई समस्याओं के कारण वे अंतरिक्ष में ही फंस गए और उन्हें इस बात का कोई पता नहीं था कि वे घर कब लौटेंगे।

सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर, दोनों अनुभवी नासा अंतरिक्ष यात्री, को बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान पर एक मिशन के लिए चुना गया था। 5 जून 2024 को प्रक्षेपित इस मिशन का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए आठ दिवसीय परीक्षण उड़ान था।

हालांकि, उनके अंतरिक्ष यान में थ्रस्टर संबंधी समस्याएं और हीलियम रिसाव जैसी तकनीकी समस्याओं के कारण उन्हें अंतरिक्ष में ही फंसना पड़ा, जिसके कारण उन्हें योजना से अधिक महीनों तक आई.एस.एस. पर ही रुकना पड़ा। इस वजह से वापसी की कोई स्पष्ट तिथि भी नहीं बताई गई।

लेकिन, नौ महीने से अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री 18 मार्च, 2025 को स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल, फ्रीडम पर सवार होकर 19 मार्च को पृथ्वी पर लौट आए। कैप्सूल फ्लोरिडा के तट पर सफलतापूर्वक उतरा, जिससे उनका लंबा मिशन पूरा हुआ।

कौन हैं सुनीता विलियम्स ? उनकी आयु, शिक्षा और करियर पर एक नजर

सुनीता विलियम्स एक प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, पूर्व अमेरिकी नौसेना अधिकारी और इतिहास की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं। सुनीता विलियम्स का विवाह माइकल जे. विलियम्स से हुआ था।

आयु एवं पृष्ठभूमि

-जन्मतिथि: 19 सितंबर, 1965, यूक्लिड, ओहियो, संयुक्त राज्य अमेरिका।

आयु: 59 वर्ष

पारिवारिक पृष्ठभूमि: उनके पिता दीपक पंड्या गुजरात, भारत से थे और उनकी मां उर्सुलाइन बोनी पंड्या स्लोवेनियाई मूल की थीं। वह नीडहैम, मैसाचुसेट्स को अपना गृहनगर मानती हैं।

शिक्षा

 -हाई स्कूल: 1983 में नीधम हाई स्कूल से स्नातक किया।

-स्नातक की डिग्री: 1987 में संयुक्त राज्य अमेरिका नौसेना अकादमी से भौतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

-मास्टर डिग्री: 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग प्रबंधन में मास्टर डिग्री पूरी की।

सैन्य वृत्ति

-अमेरिकी नौसेना: 1987 में अमेरिकी नौसेना में शामिल हुई और 1989 में हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में प्रशिक्षित हुई।

-कार्यभार: ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड और ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट के दौरान भूमध्य सागर, लाल सागर और फारस की खाड़ी में किए गए अभियानों सहित कई मिशनों में भाग लिया। उन्होंने 1992 में तूफान एंड्रयू के दौरान आपदा राहत प्रयासों में भी सहायता की।

-सेवानिवृत्ति: 2017 में नौसेना से सेवानिवृत्त हुई।

अंतरिक्ष यात्री कैरियर

-नासा चयन: 1998 में नासा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयनित।

अंतरिक्ष मिशन:

अभियान 14 और 15 (2006-2007): अंतरिक्ष में 195 दिन से अधिक समय बिताया और अंतरिक्ष चहलकदमी की, जिससे अंतरिक्ष में महिलाओं के लिए रिकॉर्ड स्थापित हुआ। वह अंतरिक्ष में मैराथन दौड़ने वाली पहली व्यक्ति भी बनीं।

-अभियान 32 और 33 (2012): अभियान 33 के फ्लाइट इंजीनियर और कमांडर के रूप में कार्य किया। उन्होंने तीन बार और अंतरिक्ष में चहलकदमी की और अंतरिक्ष में ट्रायथलॉन पूरा करने वाली प्रथम व्यक्ति बनीं।

- बोइंग क्रू फ्लाइट टेस्ट (2024) : अपने पहले क्रू मिशन के भाग के रूप में बोइंग स्टारलाइनर पर उड़ान भरी तथा तकनीकी समस्याओं के कारण मार्च 2025 में अपनी वापसी तक आई.एस.एस. पर ही रही।

 

उपलब्धियां

-अंतरिक्ष में चहलकदमी : कुल 62 घंटे और 6 मिनट की नौ अंतरिक्ष चहलकदमी पूरी की। 2017 तक एक महिला द्वारा सर्वाधिक अंतरिक्ष चहलकदमी घंटे का रिकार्ड अपने नाम रखा।

-अंतरिक्ष में बिताया गया समय : अपने नवीनतम मिशन के अनुसार, अंतरिक्ष में 606 दिन से अधिक समय बिताया।

व्यक्तिगत जीवन

विलियम्स का विवाह माइकल जे. विलियम्स से टेक्सास में हुआ था। दोनों की पृष्ठभूमि विमानन क्षेत्र में थी तथा अपने करियर के आरंभ में उन्होंने हेलीकॉप्टर उड़ाए थे।

विलियम्स हिंदू धर्म का पालन करती हैं। दिसंबर 2006 में वह भगवद् गीता की एक प्रति अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ले गईं थीं।

अपने 2012 के मिशन के दौरान, वह ओम का प्रतीक और उपनिषदों की एक प्रति भी ले गईं थी । सितंबर 2007 में उन्होंने साबरमती आश्रम और अपने पैतृक गांव झूलासन का दौरा किया था।

विश्व गुजराती समाज से सरदार वल्लभभाई पटेल विश्व प्रतिभा पुरस्कार प्राप्त करने वाली भारतीय मूल की पहली व्यक्ति बनीं, जो भारतीय नागरिक नहीं थीं।

4 अक्टूबर 2007 को विलियम्स ने अमेरिकी दूतावास स्कूल में भाषण दिया और बाद में भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की।

अंतरिक्ष में सुनीता विलियम्स की उल्लेखनीय उपलब्धियां

सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में अपनी अनेक उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसने उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आगे रखा है। उनकी कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

-किसी महिला द्वारा सबसे लंबी एकल अंतरिक्ष उड़ान (2017 तक):

अभियान 14 और 15 के दौरान, उन्होंने अंतरिक्ष में 195 दिन से अधिक समय बिताया, जिससे 2017 तक किसी महिला द्वारा सबसे लंबी एकल अंतरिक्ष उड़ान का रिकार्ड स्थापित हुआ।

-अंतरिक्ष में मैराथन दौड़ने वाली प्रथम व्यक्ति:

16 अप्रैल 2007 को विलियम्स अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ट्रेडमिल पर बोस्टन मैराथन पूरी करके अंतरिक्ष में मैराथन दौड़ने वाली पहले व्यक्ति बने।

-अंतरिक्ष में ट्रायथलॉन पूरा करने वाली प्रथम व्यक्ति:

अभियान 32 और 33 के दौरान उन्होंने आई.एस.एस. के प्रशिक्षण उपकरणों का उपयोग करके दौड़, साइकिल चलाना और तैराकी करके ट्रायथलॉन का अनुकरण किया और अंतरिक्ष में यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह पहली व्यक्ति बनीं।

-स्पेसवॉक रिकॉर्ड्स:

विलियम्स ने कुल 62 घंटे और 6 मिनट की नौ अंतरिक्ष यात्राएं पूरी की हैं, जो 2017 तक किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए सबसे अधिक थी।

-आईएसएस के कमांडर:

वह अभियान 33 के दौरान आई.एस.एस. की कमान संभालने वाली दूसरी महिला बनीं।

-बोइंग स्टारलाइनर का पायलट:

जून 2024 में विलियम्स किसी कक्षीय मिशन के लिए उड़ान परीक्षण पर अंतरिक्ष यान का संचालन करने वाली पहली महिला बनी, जब उन्होंने बोइंग स्टारलाइनर उड़ाया

-आईएसएस पर विस्तारित तैनाती:

बोइंग स्टारलाइनर में तकनीकी समस्याओं के कारण विलियम्स ने आई.एस.एस. पर अपना प्रवास बढ़ा दिया, तथा मार्च 2025 में स्पेसएक्स के क्रू 9 मिशन पर वापस लौटीं।

अंतरिक्ष में रहते हुए सुनीता विलियम्स को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष में अपने लम्बे प्रवास के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यहां कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं, जिनका उन्होंने सामना किया:

-शारीरिक चुनौतियां

सूक्ष्मगुरुत्व के दीर्घकालिक संपर्क के कारण हड्डियों की घनत्व में कमी, मांसपेशियों में शोष, दृष्टि संबंधी समस्याएं और हृदय संबंधी तनाव। पृथ्वी पर वापस लौटने पर उन्हें गुरुत्वाकर्षण के साथ पुनः समायोजन करना पड़ा, जिसके लिए उन्हें संतुलन और समन्वय पुनः सीखना पड़ा।

विकिरण जोखिम: आई.एस.एस. ब्रह्मांडीय विकिरण के विरुद्ध बहुत कम सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इस लंबे समय तक संपर्क के कारण उनके जीवन भर कैंसर होने का खतरा बढ़ गया है।

-द्रव विस्थापन: सूक्ष्मगुरुत्व में शारीरिक द्रवों के पुनर्वितरण के कारण चेहरे पर सूजन, नाक में जमाव, तथा खोपड़ी के अंदर दबाव बढ़ा है।

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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