भारतीय रेलवे में मौजूदा समय में 68 हजार किलोमीटर से अधिक रनिंग ट्रैक है, जिस पर प्रतिदिन 13 हजार से अधिक ट्रेनें करोड़ों यात्रियों के साथ 7 हजार से अधिक स्टेशनों से गुजरती हैं। इतने बड़े नेटवर्क की जिम्मेदारी के लिए 18 जोन में 12 लाख से अधिक कर्मचारी अपनी सेवाएं देते हैं।
इन सभी आंकड़ों के साथ भारतीय रेलवे दुनिया की चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। आपने भी ट्रेन में कभी-न-कभी जरूर सफर किया होगा। इस दौरान क्या आपने नोटिस किया है कि ट्रेन के अलग-अलग कोच पर अलग-अलग शब्दों को लिखा जाता है, जिसमें से कुछ कोच पर H1 भी लिखा होता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि ट्रेन के कोच पर H1 क्यों लिखा जाता है। यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
ट्रेन के कोच पर क्यों लिखे होते हैं एल्फाबेट्स
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि ट्रेन के कोच पर एल्फाबेट्स क्यों लिखे होते हैं, तो आपको बता दें कि ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों को उनके कोच की पहचान के लिए इन एल्फाबेट्स को लिखा जाता है। इन एल्फाबेट्स के साथ कुछ अंकों को भी लिखा जाता है। उदाहरण के तौर पर, H1 प्रमुख उदाहरण है।
क्यों लिखा जाता है H1
अब हम यह जान लेते हैं कि आखिर ट्रेन के कोच पर H1 क्यों लिखा जाता है, तो आपको बता दें कि यह फर्स्ट एसी कोच पर लिखा जाता है, जो कि रेलवे का सबसे प्रीमियम कोच होता है। इस वजह से इन कोच को अलग से दर्शाने के लिए ट्रेन पर H1 लिखा जाता है। इन कोच में यात्रियों को अपना निजी केबिन मिलता है। साथ ही इसमें अन्य कोच की तुलना में बेहतर सुविधाएं शामिल होती हैं।
शेष कोच पर क्या लिखा होता है
यहां भी जानना जरूरी है कि ट्रेन के अन्य कोच पर क्या लिखा होता है, तो आपको बता दें कि अन्य स्लीपर कोच को ‘S’ से दर्शाया जाता है, जबकि सेकेंड क्लास एसी कोच को ‘B’ से दर्शाया जाता है। इसके अतिरिक्त चेयर क्लास को ‘CC’ से दर्शाया जाता है।
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