National Education Day 2024: हर साल 11 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय शिक्षा दिवस, जानें

Nov 11, 2024, 14:29 IST

National Education Day 2024: भारत में हर साल राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का आयोजन किया जाता है। यह दिवस हमें अपने जीवन में शिक्षा के महत्त्व को दर्शाता है। हालांकि, क्या आपने सोचा है कि हर साल 11 नवंबर को ही शिक्षा दिवस क्यों मनाया जाता है, यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख में हम इस बारे में जानेंगे। 

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2024
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2024

National Education Day 2024: किसी भी देश के के विकास में शिक्षा का अधिक महत्त्व होता है। क्योंकि, शिक्षा वह रास्ता है, जिस पर चलकर एक सभ्य सामाज का विकास किया जा सकता है। यह न सिर्फ इंसान का मानसिक विकास करती है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी मनुष्य का विकास करती है।

यही वजह है कि हर साल शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डालने के लिए शिक्षा दिवस का आयोजन किया जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि हर साल 11 नवंबर को ही शिक्षा दिवस क्यों मनाया जाता है। यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

पहली बार कब मनाया गया राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारत में पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कब मनाया गया था, तो आपको बता दें कि मानव विकास संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा साल 2008 में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया था। इसके बाद से प्रतिवर्ष भारत में शिक्षा दिवस का आयोजन किया जा रहा है। 

11 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षा दिवस 

भारत में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कमाल आजाद की जंयती के अवसर पर मनाया जाता है। उन्होंने पूरे 10 वर्षों तक भारत के शिक्षा मंत्री के रूप में काम किया है और उन्हें भारतीय शिक्षा प्रणाली में अपने अतुलनीय योगदान के लिए जाना जाता है। 

कहा जाता है स्वतंत्र भारत का आर्किटेक्ट

मौलाना अबुल कमाल आजाद को स्वतंत्र भारत का आर्किटेक्ट कहा जाता है। उन्होंने देश के कई शिक्षण संंस्थानों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। साल 1920 में उन्होंने अलीगढ़ में स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया की नींव समिति में अपना योगदान दिया। वहीं, साल 1934 में जब विश्वविद्यालय को नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया, तो उन्होंने इसमें भी अहम भूमिका निभाई। आज विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर हमें उनकी प्रतिमा भी देखने को मिलती है।

व्यस्क शिक्षा पर भी रहा जोर 

अबुल कमाल आजाद का शुरू से ही ध्यान गरीब बच्चों की शिक्षा पर रहा। उन्होंने 14 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा पर जोर दिया। साथ ही, व्यस्क शिक्षा पर भी उनका जोर रहा, जिससे समाज के सभी वर्गों को साधा जा सके। इसके अतिरिक्त उन्होंने व्यावसायिक शिक्षा पर भी जोर दिया, जिससे समाज में कौशल को भी बढ़ावा मिले।

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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