हाल ही में गुजरात राज्य में एक नया ट्रेंड देखा गया है। इसके तहत पाया गया है कि 30 से 45 वर्ष व्यक्ति भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं और विदेशों में स्थिर हो रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि बीते एक वर्ष में इन आंकड़ों में दोगुना की बढ़ोतरी हुई है, जो कि चौंकाने वाले नतीजे हैं।
हालांकि, इसे लेकर अलग-अलग कारण बताया जा रहा है, जिससे भारतीय नागिरक यहां की नागरिकता को छोड़कर विदेशों की नागरिकता अपना रहे हैं। क्या है इसके पीछे की मुख्य वजह और गुजरात में क्यों बढ़ रहा है यह आंकड़ा, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
बीते 8 सालों में 22 हजार से अधिक लोगों ने छोड़ी नगारिकता
संसदीय आंकड़ों पर गौर करें, तो 2014 से लेकर 2022 तक बीते 8 वर्षों में गुजरात में 22 हजार 300 लोगों ने नागरिकता ने छोड़ी है। हालांकि, दिल्ली इस मामले में 60 हजार से अधिक आंकड़ों के साथ पहले स्थान पर है, जबकि पंजाब 28 हजार से अधिक मामलों के साथ तीसरे स्थान पर है।
एक साल में दोगुना हुए नागरिकता छोड़ने के मामले
गुजरात के क्षेत्रीय पासपोर्ट केंद्र के मुताबिक, गुजरात के दक्षिणी हिस्से में मौजूद सूरत, नर्मदा, वलसाड और नवसारी क्षेत्र के लोग सबसे अधिक नागरिकता छोड़ रहे हैं। साल 2022 में 241 गुजरातियों ने भारत की नागरिकता छोड़ी थी, जबकि 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 485 हो गया।
वहीं, साल 2024 के मई तक यह आंकड़ा 244 तक पहुंच गया है। इसमें सबसे अधिक 30 से 45 वर्ष के आयु वाले गुजराती शामिल हैं, जो कि भारत की नागरिकता छोड़कर अमेरिका, लंदन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हैं।
क्यों छोड़ रहे हैं भारत की नागरिकता
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पासपोर्ट से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, छात्र बेहतर करियर की तलाश में विदेशों का रूख कर रहे हैं और वीजा लेकर विदेशों से पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़ाई के बाद उन्हें वहां ही बेहतर विकल्प मिल रहे हैं, जिस वजह से छात्र नौकरी लगने के बाद भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं।
कुछ इसी तरह व्यावसायियों के साथ भी है, जो कि बेहतर उद्योग और जीवनशैली की तलाश में विदेशों का रूख कर रहे हैं।
क्या है नागरिकता छोड़ने के नियम
यदि कोई नागिरक भारत की नागरिकता छोड़ता है और दूसरे देश की नागिरकता हासिल करता है, तो उसे एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। पासपोर्ट अधिनियम 1967 के तहत यदि कोई नागरिक भारत की नागरिकता छोड़ता है, तो उसे अपना पासपोर्ट भारत को सौंपना होता है।
यह नागरिकता हासिल करने के तीन वर्ष के भीतर करना होता है। यदि कोई व्यक्ति तीन वर्ष बाद भारत को पासपोर्ट सौंपता है, तो उसे 10 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक जुर्माना देना होता है।
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