भारत में है दुनिया की सबसे बड़ी रेल फैक्ट्री, एक साल में तैयार होते हैं 4000 से अधिक कोच

Dec 30, 2024, 11:46 IST

भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। साल 2022 तक इसके कुल रूट की सीमा 67 हजार से अधिक किलोमीटर दर्ज की गई थी। इस लेख में हम दुनिया की सबसे बड़ी रेल फैक्ट्री भारत में स्थित रेल कोच फैक्ट्री के बारे में जानेंगे। 

रेल कोच फैक्ट्री
रेल कोच फैक्ट्री

भारतीय रेलवे भारत की लाइफलाइन भी कही जाती है। इसके माध्यम से प्रतिदिन करोड़ों यात्री हजारों किलोमीटर का सफर पूरा कर अपने गंतव्यों तक पहुंचते हैं। भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया में सबसे  बड़े रेल नेटवर्क की लिस्ट में चौथे स्थान पर आता है।

साल 2022 तक रेलवे का 67 हजार से अधिक किलोमीटर का नेटवर्क दर्ज किया गया था। आपने भी भारतीय ट्रेनों में जरूर सफर किया होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि जिन कोच में आप सफर करते हैं, वे सबसे अधिक भारत में कहां बनाए जाते हैं। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम दुनिया की सबसे रेल फैक्ट्री भारतीय रेल कोच फैक्ट्री के बारे में जानेंगे। 

प्रतिदिन कितनी ट्रेनों का होता है संचालन

भारत में प्रतिदिन 23 हजार से अधिक ट्रेनों का संचालन होता है, जो कि 7 हजार से अधिक स्टेशनों से गुजरती हैं। इन ट्रेनों में 13 हजार से अधिक पैसेंजर ट्रेनें और 9200 से अधिक मालगाड़ियां शामिल हैं।, जिनसे प्रतिदिन कई टन माल की ढुलाई होती है।  

कहां तैयार होते हैं सबसे अधिक रेल कोच 

अब सवाल है कि भारत में सबसे अधिक कोच कहां तैयार होते हैं, तो आपको बता दें कि भारत में सबसे अधिक रेल कोच चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किए जाते हैं। 1955 में स्थापित यह चेन्नई के पेरम्बूर में स्थित है। साथ ही, दुनिया में सबसे बड़ी रेल कोच निर्माता भी है। इसके स्वामित्व की बात करें, तो यह भारतीय रेलवे के पास है।

वहीं, यह फैक्ट्री भारतीय रेलवे की पांच रेक उत्पादन इकाइयों में सबसे पुरानी भी है। वर्तमान में यहां LHB कोच और सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेन-सेट सहित इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट बनाए जाते हैं, जबकि पहले यहां सिर्फ आईसीएफ कोच का निर्माण किया जाता था। बाद में इस फैक्ट्री को अपडेट कर यहां अन्य कोच का भी निर्माण होने लगा। 

एक साल में 4000 से अधिक कोच होते हैं तैयार 

चेन्नई स्थित इस आईसीएफ में एक साल में 4 हजार से अधिक कोच तैयार कर दिए जाते हैं। साल 2024 जून तक यहां कुल 75 हजार से अधिक कोच को तैयार किया गया था। इसमें वंदे भारत ट्रेन के कोच भी शामिल हैं।  इन कोच को तैयार करने में कई दिनों का समय लग जाता है। 

दो डिविजन में बंटी हुई है फैक्ट्री

रेल कोच फैक्ट्री दो डिवीजन में बंटी हुई है। पहली शेल डिविजन है, जिसमें अलग-अलग 14 यूनिट आती हैं। इन यूनिट द्वारा रेल कोच के ढांचे को तैयार किया जाता है। अंत में इसे व्हील एक्सल या बोगी पर रख दिया जाता है।

वहीं, दूसरी डिविजन फर्निशिंग डिविजन है। इसमें भी अलग-अलग यूनिट शामिल हैं। इन यूनिट द्वारा कोच के अंदर का फर्नीचर, लाइट, पंखा, दरवाजे और अंदर व बाहर से पेंट किया जाता है। अंत में नीरिक्षक द्वारा कोच का निरीक्षण किया जाता है और कोच को डिलीवरी स्टॉक में रख दिया जाता है। 

नोटः कुछ लोग बोगी और कोच में अंतर को लेकर दुविधा में होते हैं। ऐसे में आपको बता दें कि जिन व्हील एक्सल पर पूरी बॉडी होती है, उसे कोच कहते हैं। वहीं, एक कोच में जो दो व्हील सेगमेंट होते हैं, उन्हें बोगी कहा जाता है। ऐसे में आप कोच में सफर करते हैं, बोगी में नहीं। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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