17 नवंबर, 1965 को यूनेस्को नें 8 सितंबर की तिथि को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषणा की. वर्ष 1966 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस को मनाया गया था. अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का मुख्य उद्देश्य समाज के विविन्न समुदायों और व्यक्तियों को साक्षरता के महत्व के बारे में बताना है. साथ ही उसके बढ़ावे की प्रकृति पर जोर देना है. प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर, यूनेस्को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के अन्दर सीखने, साक्षरता को बढाने और प्रौढ़ लोगो की स्थिति को मजबूत बनाने, साथ ही उनमें मद्यपान के विरोध में विचार पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
शिक्षा, सतत विकास के क्षेत्र के लिए मूलभूत अधः संरचना के रूप में प्रमुख भूमिका निभाता है ताकि लोगो के मध्य आर्थिक विकास, पर्यावरण के एकीकरण और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में सही निर्णय करने में सफ़लता मिल सके. साक्षरता स्थायी विकास के लिए एक स्रोत है और निष्क्रिय समाज के टिकाऊ, समृद्ध और स्थायी बनाए रखने में एक निर्णायक एवं मूलभूत यन्त्र के रूप में कार्य करता है.
साक्षरता कौशल, का विकास एक मूलभूत विकास है. इसका विकास जीवन भर होता रहता है. यह जीवन में महत्वपूर्ण सोच, सहभागितापूर्ण शासन, जिम्मेदारी की भावना, टिकाऊ विकास और जीवन शैली, जैव विविधता संरक्षण, आपदा जोखिम में कमी, गरीबी कम करने और व्यापक दक्षताओं के साथ इनमे सुधार करने में अभूतपूर्व भूमिका का निर्वहन करता है.
साक्षरता एक मानव अधिकार है. यह व्यक्तिगत सशक्तिकरण का न केवल एक उपकरण है वल्कि मानव और सामाजिक विकास के लिए एक प्रमुख साधन भी है. साक्षरता में वृद्धि शैक्षिक संभावनाओं पर निर्भर करता हैं.
साक्षरता सभी के लिए मौलिक शिक्षा का मूल है. साथ ही गरीबी को दूर करने, जनसंख्या वृद्धि को रोकने, बाल मृत्यु दर में कमी करने, लिंग समानता को प्राप्त करने और सतत विकास, शांति और लोकतंत्र को मजबूत बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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