कुछ वर्गों से संबंधित विशेष प्रावधान

Dec 28, 2015, 15:28 IST

अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, एंग्लो– इंडियन और पिछड़ी जातियों के हितों की रक्षा के लिए अनुच्छेद 330 से 342 में विशेष प्रावधान किए गए हैं। अनुच्छेद 330 और 332 लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण के बारे में है। अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है। किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में ऐसी जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या वहां की जनसंख्या के आधार पर होती है।

अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, एंग्लो– इंडियन और पिछड़ी जातियों के हितों की रक्षा के लिए अनुच्छेद 330 से 342 में विशेष प्रावधान किए गए हैं। अनुच्छेद 330 और 332 लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण के बारे में है। अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है। किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में ऐसी जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या वहां की जनसंख्या के आधार पर होगी।

इसी प्रकार, अनुच्छेद 332 में प्रत्येक राज्य के विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान है। संविधान के 58वें संशोधन अधिनियम 1987 ने संविधान के अनुच्छेद 332 में संशोधन किया। यह अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में "अनुसूचित जनजातियों" के लिए सीटों के आरक्षण के बारे में है।

संविधान (79वां संशोधन) अधिनियम 1999:

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं और वे निर्वाचन क्षेत्र के सभी मतदाताओं द्वारा चुने गए हैं। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई अलग मतदाता नहीं हैं। अनुच्छेद 325 में सामान्य मतादाता सूची का स्पष्ट प्रावधान है। इसका अर्थ है कि अनुसूचित जाति और जनजाति का कोई सदस्य चुनाव लड़ सकता है और आरक्षित सीट के अलावा सीट प्राप्त कर सकता है।

अनुच्छेद 335 इस बात को स्पष्ट करता है कि केंद्र या किसी राज्य के मामलों से संबंधित सेवाओं और पदों पर नियुक्ति में प्रशासन की दक्षता को बनाए रखते हुए अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के दावों पर ध्यान दिया जाएगा।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोगः

संविधान (65वां संशोधन) अधिनियम, 1990, ने संविधान के अनुच्छेद 338 में संशोधन किया है। संशोधित अनुच्छेद 338 में विशेष अधिकारी की जगह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की बात करता है।

आयोग का गठनः आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यश्र और पांच अन्य सदस्य होंगे। आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।

आयोग के कार्य  

  • संविधान के तहत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों से संबंधित सभी मामलों और किसी भी अन्य कानून या किसी भी अन्य सरकार की जांच और निगरानी करना और ऐसे अधिकारों की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन करना।
  • अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों के हनन के संबंध में विशेष शिकायतों की जांच करना। 
  • अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में हिस्सा लेना और सलाह देना और केंद्र और किसी भी राज्य के तहत उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।
  • उन सुरक्षा अधिकारों के बारे में राष्ट्रपति को सालाना रिपोर्ट देना (जब भी जब आयोग को सही लगे)।
  • अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की रक्षा, कल्याण और सामाजिक आर्थिक विकास के लिए उन अधिकारों और अन्य उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के लिए सिफारिशें करना।

अनुच्छेद 338 में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रपति द्वारा विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान है। इस विशेष अधिकारी को इन श्रेणियों को दिए गए अधिकारों से संबंधित सभी मामलों की जांच करना और राष्ट्रपति के निर्देश के अनुसार इन पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट देना।

राष्ट्रपति को ऐसी सभी रिपोर्टों को संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। राष्ट्रपति कभी भी और संविधान के लागू होने के दस वर्ष बाद समाप्ति पर, राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण पर प्रशासन की रिपोर्ट हेतु एक आयोग का गठन कर सकते हैं। केंद्र सरकार के पास राज्य में अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए अनुसूची में निर्धारित दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन के लिए राज्य को निर्देश देने का अधिकार है।

अनुच्छेद 366(2) के अनुसार एंग्लो– इंडियन का अर्थ है एक ऐसा व्यक्ति जिसके पिता या उसके कोई भी पुरुष पूर्वज पुरुष पक्ष का हो या यूरोपीय वंश का, लेकिन जो भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर अधिवासित हो या ऐसे राज्य क्षेत्र में उसका जन्म हुआ हो और जिसके माता– पिता भारत में रहते थे और यहां अस्थायी उद्देश्य के लिए नहीं आए थे, एंग्लो– इंडियन कहलाता है।

अनुच्छेद 340 (1)–पिछड़ा वर्ग, राष्ट्रपति को भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जातियों की स्थितियों की जांच करने के लिए उपयुक्त व्यक्तियों से बने आयोग के गठन का अधिकार है।

भाषाई अल्पसंख्यक

भाषाई अल्पसंख्यक लोगों का वह वर्ग है जिनकी मातृभाषा राज्य के अधिकांश हिस्सों या कुछ हिस्सों में बोली जाने वाली भाषा से अलग होती है। अनुच्छेद 350– ए, भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों की शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर उनकी मातृभाषा में निर्देश देने के लिए सुविधा प्रदान करता है।

अनुच्छेद 347, प्रशासन में बहुसंख्यक भाषा के उपयोग की बात कहता है।

अनुच्छेद 350, प्रत्येक व्यक्ति को केंद्र या राज्य इस्तेमाल की जाने वाली किसी भी भाषा में केंद्र या राज्य के किसी भी अधिकारी या प्राधिकारी के खिलाफ किसी भी प्रकार के शिकायत के निवारण के लिए अभ्यावेदन जमा करने का अधिकार प्रदान करता है।

अनुच्छेद 350–बी, भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार राष्ट्रपति को प्रदान करता है। इस संविधान के तहत भाषाई अल्पसंख्यकों को दिए गए अधिकारों से संबंधित सभी मामलों की जांच करना और उनकी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित समयावधि पर उनको देना, इस विशेष अधिकारी का काम होता है।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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