केद्र-राज्य संबंधों पर पुंछी आयोग की रिपोर्ट
केद्र-राज्यों संबंधों पर अपनी संस्तुतियां देने के लिए जस्टिस एम. एम. पुंछी के नेतृत्व में गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, जिसमें कुल 200 संस्तुतियां दी गई हैं। इन संस्तुतियों में संविधान के अनुच्छेद 355 और 356 को संशोधित करने जिसके द्वारा केेंद्र संकट की स्थिति में किसी राज्य को कुछ समय के लिए अपने शासन के अंतर्गत ला सकता है, अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की तर्ज पर देश में आंतरिक सुरक्षा के लिए एक डिपार्टमेंट का गठन करने, राष्ट्रीय एकता परिषद को अधिक अधिकार प्रदान करने और सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए थोड़े समय के लिए बिना राज्य की सहमति के केेंद्र द्वारा केेंद्रीय सुरक्षा बलों को लगाने जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल थे।
पुंछी आयोग का गठन 2007 में जस्टिस मदन मोहन पुंछी के नेतृत्व में किया गया था।
राज्यपाल की भूमिका
उपर्युक्त संस्तुतियों के अतिरिक्त, आयोग ने राज्यपालों की भूमिका में भारी परिवर्तन के सुझाव दिए। इसमें राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष निश्चित करने, उसके हटाये जाने के लिए राज्य विधानसभा द्वारा महाभियोग चलाए जाने जैसी संस्तुतियां शामिल थीं। राज्यपाल के बारे में यह भी संस्तुति दी गई है कि उनके चयन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बातचीत की जानी चाहिए। आयोग के अनुसार राज्यपाल को किसी मंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आदेश देने का भी हक होना चाहिए। हालांकि आयोग के अनुसार राज्यपालों को विश्वविद्यालयों का चांसलर नहीं बनाया जाना चाहिए।
राज्यपाल ऐसे व्यक्ति को बनाया जाना चाहिए जिसने पिछले दो वर्र्षों से सक्रिय राजनीति में भाग न लिया हो।
केद्र-राज्य संबंध के लिए गठित किए गये आयोग
सितलवाड कमेटी: सितलवाड कमेटी का गठन 1966 में प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा केंद्र-राज्य संबंधों में सुधार के लिए संस्तुतियां देने के लिए किया गया था। कमेटी ने संविधान के दायरे में रहते हुए राज्यों को अधिक स्वायत्तता देने की वकालत की थी।
राजा मन्नार कमेटी: इस कमेटी का गठन 1969 में तमिलनाडु सरकार द्वारा राज्य सरकारों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिए सुझाव देने के किया गया था। कमेटी ने ऑल इंडिया सिविल सर्विस को समाप्त करने, अंतरराज्यीय परिषद का गठन करने और राज्यों को अधिक अधिकार देने जैसी संस्तुतियां कीं।
सरकारिया आयोग: जस्टिस रंजीत सिंह सरकारिया के नेतृत्व में गठित सरकारिया आयोग का गठन 24 मार्च, 1983 में केद्र सरकार ने केद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा करने व उसके संबंध में संस्तुतियां करने के लिए किया था।
मुख्यमंत्री की नियुक्ति
आयोग ने मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देशों की संस्तुति की है। इसके अनुसार चुनाव पूर्व सम्पन्न गठबंधन को एक राजनीतिक पार्टी की तरह मानना चाहिए। सबसे ज्यादा सीटें पाने वाले चुनाव पूर्व गठबंधन को सबसे पहले सरकार बनाने के लिए बुलाया जाना चाहिए।
पुंछी आयोग की रिपोर्ट: मुख्य बिंदु
- संविधान के अनुच्छेद 355 और 356 में संशोधन जिससे केद्र थोड़े समय के लिए राज्य को अपने शासन के अंतर्गत ले सकेगा।
- अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की तर्ज पर एक विभाग का गठन करना व राष्ट्रीय एकता परिषद को अधिक अधिकार प्रदान करना।
- सांप्रदायिक हिंसा विधेयक में संशोधन जिससे केद्र बिना राज्य सरकार की अनुमति के केद्रीय सुरक्षा बलों को संबंधित राज्य में तैनात कर सके।
- राज्यपाल की नियुक्ति में मुख्यमंत्री से भी सलाह ली जाए।
- राज्य सरकार की इच्छा के बगैर राज्यपाल को किसी मंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश देने का अधिकार होना चाहिए।
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