गुलाम या मामलूक वंश भारत के शासक वंश के रूप में खिलजी वंश द्वारा विस्थापित कर दिया गया था. खिलजी वंश का संस्थापक जलाल-उद-दीन फिरोज खिलजी था. उसने गुलाम वंश के अंतिम शासक की हत्या कर दी और 70 साल की उम्र में स्वयं को दिल्ली सल्तनत के सुल्तान के रूप में घोषित कर दिया. खिलजी वस्तुतः अफगान क्षेत्र के निवासी खलजी कबीले से सम्बंधित थे. जलाल-उद-दीन फिरोज खिलजी का मूल नाम मलिक फिरोज था. वह वास्तव में स्वभाव से क्रूर नहीं था. उसके इस व्यवहार का पता इस बात से भी चलता है कि जब बलबन के भतीजे मलिक छज्जू ने जलाल-उद-दीन फिरोज खिलजी के ऊपर आक्रमण किया तो उस समय सुल्तान ने उसे जिन्दा ही पकड़ लिया था लेकिन माफ़ कर दिया गया.
मंगोल आक्रमणकारियों नें जलालुद्दीन खिलजी के समय उसके शासन पर हमला किया था. लेकिन कुछ बातचीत के बाद दोनों पक्षों में किसी भी प्रकार का युद्ध नहीं हुआ.
मंगोलों ने एक बार पुनः उलूग खान के नेतृत्व में भारत पर आक्रमण किया लेकिन कुछ वार्ता के माध्यम से उन्होंने इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लिया और बदले में उलूग खान को सुल्तान की बेटी के साथ विवाह करा दिया गया. ये मंगोल इस्लाम धर्म स्वीकार करने के पश्चात दिल्ली के नजदीक ही बस गए.
जलाल उद दीन खिलजी ने किसी भी षड्यंत्रकारी या गद्दार को उसके अपराधो से माफ़ी दे दी. उसकी इस नीति को उसके दरबारियों और रईसों से ना तो कोई सराहना मिली और नहीं प्रोत्साहन. वास्तव में उसके अमीर उसके इस तरह के व्यवहार से पूरी तरह से हताश थे. अंततः जलालुद्दीन खिलजी खिलजी अपने भतीजे और दामाद अलाउद्दीन खिलजी द्वारा मारा गया था. अलाउद्दीन खिलजी खिलजी साम्राज्य का नया शासक नियुक्त हुआ.
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