गीजा के महान पिरामिड का निर्माण 4500 वर्ष पूर्व फिरौन खुफु (Khufu) ने शानदार कब्रों के रूप में किया था | वैसे तो मिस्र में138 पिरामिड हैं लेकिन का हिरा के उपनगर गीजा में स्थित ‘गीजा के महान पिरामिड’ को मानव द्वारा निर्मित सबसे आश्चर्यजनक स्थापत्यों (Architectures) में से एक माना जाता है| इसका निर्माण इतनी सूक्ष्मता से किया गया है कि वर्तमान तकनीकी के लिए भी इसे दोहरा पाना संभव नहीं है |
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गीजा के महान पिरामिड के बारे में दस रोचक तथ्य
1. इसका निर्माण पृथ्वी के स्थल-भाग के मध्य बिंदु पर किया गया है अर्थात् पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण जाने वाली ऐसी सामानांतर रेखाएं जो सर्वाधिक स्थलीय भाग से होकर गुजरती हैं,गीजा में एक दुसरे को काटती हैं |
2. इसके निर्माण में 2 ½ मिलियन चूना-पत्थर के चट्टानी खण्डों (Blocks) का प्रयोग किया गया है,जिनके प्रत्येक खंड का भार 2 से 70 टन के बीच था|
3. यह मूलतः चट्टानों से ढका हुआ था,जिनका निर्माण अच्छी तरह से घिसाई व पॉलिश किये गए चूना पत्थर की चट्टानों से किया गया था | ये पत्थर सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर देते थे जिससे पिरामिड जवाहरात (Jewel) की तरह चमकता था |
4. चूँकि ये पिरामिडीय संरचना है इसलिए इनका ऊपरी सिरा नुकीला होना चाहिए लेकिन गीजा के पिरामिड की ऊपरी सतह सपाट (Flat) है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया था|
5. इसके प्रवेश द्वार पर सरकने वाले दरवाजे (Swivel Door) लगे हैं जिनका भार लगभग 20 टन है और अन्दर से बड़ी आसानी से खोला जा सकता है| ये दरवाजे इतने बेहतरीन तरीके से जोड़े गए हैं कि बाहर से उन्हें खोज पाना कठिन है|
6. इसमें तीन शव-कक्ष (burial chambers) है, जिनमे से एक कक्ष सबसे नीचे स्थित है और उससे ऊपर रानी का कक्ष है और सबसे ऊपर राजा का कक्ष स्थित है |
7. महान पिरामिड एक कंप्यूटर जैसा है क्योंकि यदि इसके किनारों की लंबाई, ऊंचाई और कोणों को नापा जाय तो पृथ्वी से संबंधित भिन्न-भिन्न चीजों की सटीक गणना की जा सकती है।
8. ग्रेट पिरामिड में पत्थरों का प्रयोग इस प्रकार किया गया है कि इसके भीतर का तापमान हमेशा स्थिर और पृथ्वी के औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के बराबर रहता है।
9. यदि इसके पत्थरों को 30 सेंटीमीटर मोटे टुकड़ों मे काट दिया जाए तो इनसे फ्रांस के चारों आ॓र एक मीटर ऊंची दीवार बन सकती है।
10. पिरामिड में नींव के चारों कोने के पत्थरों में बॉल और सॉकेट बनाये गये हैं ताकि ऊष्मा से होने वाले प्रसार और भूंकप से सुरक्षित रहे।
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