जानें भारत में अंग्रेजों द्वारा निर्मित आर्किटेक्चर के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण

Aug 25, 2016, 17:26 IST

यह बात सच है कि अंग्रेजों की उपस्थिति ने भारत को हर तरह से हानि पहुचाई थी परन्तु फिर भी इनके शासन की अच्छाइयों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि इन्होने भारत से तमाम सामाजिक बुराईयों का अंत करने के साथ-साथ बहुत सी उत्कृष्ट इमारतें जैसे भारतीय संसद, इंडिया गेट, गेटवे ऑफ़ इंडिया आदि का निर्माण कराया था, और ये इमारतें आज भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहीं हैं|

यह बात सच है कि अंग्रेजों की उपस्थिति ने भारत को हर तरह से हानि पहुचाई थी परन्तु फिर भी इनके शासन की अच्छाइयों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि इन्होने भारत से तमाम सामाजिक बुराईयों का अंत करने के साथ-साथ बहुत सी उत्कृष्ट इमारतें जैसे भारतीय संसद, इंडिया गेट, गेटवे ऑफ़ इंडिया आदि का निर्माण कराया था, और ये इमारतें आज भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहीं हैं| इस लेख में हमने ऐसी ही कुछ इमारतों के बारे में बताया है |

1. दिल्ली का पुल: यमुना नदी पर बने इस पुल को पूर्वी दिल्ली का पुल भी कहा जाता है | इस जगह पर सबसे पहले मुग़ल सम्राट जहाँगीर ने किले को शहर से जोड़ने के लिए 1622 में लकड़ी के एक पुल का निर्माण कराया था |अंग्रजों ने इसी पुल को लोहे के गर्टरों से बनवाया था जो कि 12 अक्टूबर 1883 को बनकर तैयार हुआ था | 1917 में आये एक तूफ़ान में यह गंभीर रूप से क्षति ग्रस्त हो गया था लेकिन दुबारा बना लिया गया | यह पुल अभी भी प्रयोग में है परन्तु अब इसे 2018 में बंद कर दिया जायेगा | इसकी गणना भारत के सबसे पुराने पुलों में होती है | यह पुल अंग्रेजों की निर्माण प्रतिभा का अनौखा उदाहरण है |

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2. पमबन का पुल:- भारत का पहला समुद्री पुल यानी कि ‘पमबन पुल 1914 में यातायात के लिए खोला गया था | फरबरी 2016 में इस पुल के निर्माण ने 102 वर्ष पूरे कर लिए हैं | यह 6776 फीट लम्बा पुल धार्मिक स्थल रामेश्वरम को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है | 22 दिसंबर 1964 को आये एक भयंकर तूफ़ान में यह पुल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन भारतीय रेलवे के कर्मचारियों की अथक मेहनत की वजह से इसे 2 माह के अन्दर ही ठीक भी कर लिया गया था | यह पुल इस बात का बढ़िया प्रमाण है कि अंग्रजों के ज़माने की निर्माण तकनीकी कितनी बेमिशाल थी | बड़े जहाजों को रास्ता देने के लिए यह पुल 2 भागों में खुल भी जाता है |

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3.भारत की संसद:- 88 वर्ष पुरानी भारत की संसद अंग्रेजी वास्तुकला का एक अनमोल नमूना है | इसकी स्थापना की नींव ड्यूक ऑफ़ कनाट ने 12 फरबरी 1921 को रखी थी | इसके बनने में 6 वर्ष लगे थे और कुल खर्च 83 लाख आया था | संसद भवन का निर्माण सर हर्बर्ट बेकर की देखरेख में प्रसिद्द वास्तुकार लुटियन ने कराया था | इस भवन का उद्घाटन गवर्नर जनरल लार्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927  को किया था | आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस भवन के नीचे एक तहखाना भी है| दिसंबर 2001 में जब संसद पर हमला हुआ था तो कुछ सांसदों ने इसी तहखाने में छिपकर अपनी जान बचायी थी |

 

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4. हावड़ा ब्रिज:- रवीन्द्र सेतु, भारत के पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के उपर बना एक "कैन्टीलीवर सेतु" है। यह हावड़ा को कोलकाता से जोड़ता है। इसका मूल नाम "नया हाव दा पुल" था जिसे 14 जून सन् 1965 को बदलकर ‘रवीन्द्र सेतु’ कर दिया गया। किन्तु अब ‘यह "हावड़ा ब्रिज" के नाम से अधिक लोकप्रिय है। इस पुल का निर्माण 1937—1943 के बीच हुआ था | इसे बनाने में 26500 टन स्टील की खपत हई थी | अंग्रेजों ने इस पुल को बनाने में भारत में बनी स्टील का इस्तेमाल किया था | इस पुल को तैरते हुए पुल का आकार इसलिए दिया गया था क्योंकि इस रास्ते से बहुत सारे जहाज निकलते हैं |यदि खम्भों वाला पुल बनाते तो अन्य जहाजों का परिवहन रुक जाता |

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5. इंडिया गेट :- नई दिल्ली के मध्य चौराहे में 42 मीटर ऊंचा इंडिया गेट है जो मेहराबदार "आर्क-द ट्रायम्‍फ" के रूप में है। इसके फ्रैंच काउंटरपार्ट के अनुरूप यहां 82,000 भारतीय सैनिकों का स्मारक है। जिन्होंने  प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान ब्रिटिश आर्मी के लिए अपनी जान गंवाई थी। इस स्मारक में अफगान युद्ध-1919 के दौरान पश्चिम सीमांत (अब उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान) में मारे गए 13516 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम अंकित है। इंडिया गेट की आधारशिला 1921 में माननीय डयूक ऑफ कनॉट ने रखी थी और इसे एडविन ल्‍यूटन ने डिजाइन किया था। इसे सन् 1931 में बनाया गया था | यह लाल और पीले बलुआ पत्थरों से मिलकर बना है | इस स्मारक को तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन ने राष्ट्र को समर्पित किया था।

 

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6. गेटवे ऑफ़ इंडिया: गेटवे ऑफ़ इन्डिया भारत के प्रमुख नगर मुम्बई के दक्षिण में समुद्र तट पर स्थित है।  इसके निर्माण की आधारशिला मुम्बई के राज्यपाल ने 31 मार्च 1913 में रखी थी | इसकी ऊंचाई 26 मीटर है। 4 मीनारों वाले इस स्मारक की गुम्बद को बनाने में ही 21 लाख रुपये का खर्च आया था | इसका निर्माण इंग्लैंड के राजा जार्ज पंचम और महारानी मेरी की मुम्बई यात्रा को यादगार बनाने के लिए 1924  में कराया गया था | ब्रिटिश वास्तुकार जार्ज विटेट ने इसे डिजायन किया था | इस प्रवेश द्वार के पास ही पर्यटकों के समुद्र भ्रमण हेतु नौका-सेवा भी उपल्ब्ध है। यह स्मारक आज भी पूरी मजबूती के साथ मुम्बई की पहचान के रूप में खड़ा है |

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7. अंडमान सेलुलर जेल:- यह जेल अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनी हुई है। यह अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी| यह काला पानी के नाम से कुख्यात थी। इस जेल की नींव 1897 में रखी गई थी तथा यह 1906 में 5 लाख रुपये की लागत से बनकर तैयार हई थी । इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल-जोल को रोकना था। पहले यह जेल 7 शाखाओं में फैली थी परन्तु अब इसमें केवल 3 शाखाएं ही बची हैं |

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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