प्राकृतिक संरचना

Sep 22, 2011, 10:59 IST

भारत ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के 63 वर्षों में बहुआयामी सामाजिक-आर्थिक प्रगति की है। भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों से लेकर दक्षिण के उष्णकटिबंधीय सघन वनों तक फैला हुआ है।

प्राकृतिक संरचना

भारत का क्षेत्रफल

भारत ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के 63 वर्षों में बहुआयामी सामाजिक-आर्थिक प्रगति की है। भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों से लेकर दक्षिण के उष्णकटिबंधीय सघन वनों तक फैला हुआ है। विश्व के  इस सातवें विशालतम देश को पर्वत तथा समुद्र शेष एशिया से अलग करते हैं, जिससे इसका अलग भौगोलिक अस्तित्व है। इसके उत्तर में  हिमालय पर्वत शृंखला है, जहाँ से यह दक्षिण में बढ़ता हुआ कर्क रेखा तक जाकर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर के बीच हिन्द महासागर से जा मिलता है।

इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक 3,214 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम तक 2,933 किलोमीटर है। इसकी भूमि सीमा लगभग 15,200 कि.मी. है। मुख्य भूमि, लक्षद्वीप समूह और अण्डमान-निकोबार  द्वीप समूह के समुद्री तट की कुल लम्बाई 7516.6 कि.मी. है। 

सीमावर्ती देश

भारत के सीमावर्ती देशों में उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान और अफगानिस्तान हैं। उत्तर में चीन, नेपाल और भूटान हैं। पूर्व में म्यांमार और पश्चिम बंगाल के पूर्व में बांग्लादेश स्थित है। मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरू मध्य, भारत को श्रीलंका से अलग करते हैं।

हिमालय

हिमालय की तीन शंखलाएं हैं जो लगभग समानान्तर फैली हुई हैं। संसार की सबसे ऊँची चोटियों में से कुछ इन्हीं पर्वत शंखलाओं में हैं। पर्वतीय दीवार लगभग 2,400 किलोमीटर की दूरी तक फैली है, जो 240 किलोमीटर से 320 किलोमीटर तक चौड़ी है। पूर्व में भारत और म्याँमार  तथा भारत और बांग्लादेश के बीच पहाड़ी शंखलाओं की ऊंचाई बहुत कम है।

मैदानी क्षेत्र

सिन्धु और गंगा के मैदान लगभग 2400 किमी. लम्बे और 240 किमी. तक चौड़े हैं। ये तीन अलग-अलग नदी प्रणालियों सिन्धु, गंगा और ब्रह्मïपुत्र के थालों से बने हैं। ये संसार के विशालतम सपाट कछारी विस्तारों और पृथ्वी पर बसे सर्वाधिक घने क्षेत्रों में से एक हैं। 

रेगिस्तानी क्षेत्र

रेगिस्तानी क्षेत्र को दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है- विशाल रेगिस्तान और लघु रेगिस्तान। विशाल रेगिस्तान कच्छ के  रण के पास से उत्तर की ओर लूनी नदी तक फैला हुआ है। राजस्थान-सिन्ध की पूरी सीमा रेखा इसी रेगिस्तान में है। लघु रेगिस्तान जैसलमेर और जोधपुर के बीच में लूनी नदी से शुरू होकर उत्तरी बंजर तक फैला हुआ है। 

दक्षिणी प्रायद्वीप

दक्षिणी प्रायद्वीप का पठार 460 से 1,220 मीटर तक की ऊंचाई के पर्वत तथा पहाडिय़ों की श्रेणियों द्वारा सिन्धु और गंगा के मैदानों से पृथक हो जाता है। इसमें प्रमुख हैं- अरावली, विंध्य, सतपुड़ा, मैकला और अजंता। प्रायद्वीप के एक तरफ पूर्वी घाट है, दूसरी तरफ पश्चिमी घाट हैं।

नदियाँ

भारत की नदियाँ इस प्रकार वर्गीकृत की जा सकती हैं - (1) हिमालय की नदियाँ, (2) प्रायद्वीपीय नदियाँ, (3) तटीय नदियाँ, तथा (4) अंत:स्थलीय प्रवाह क्षेत्र की नदियाँ।
हिमालय की नदियाँ बारहमासी हैं जिनको पानी आमतौर से बर्फ पिघलने से मिलता है। उनमें वर्ष भर निर्बाध प्रवाह रहता है। प्रायद्वीप की नदियों में सामान्यत: वर्षा का पानी रहता है, इसलिए पानी की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है। अधिकाँश नदियाँ बारहमासी नहीं हैं। पश्चिमी राजस्थान में नदियाँ बहुत कम हैं। उनमें से अधिकतर थोड़े दिन ही बहती हैं। इस भाग की केवल लूनी नदी ही ऐसी नदी है, जो कच्छ के रण में गिरती है।

जलवायु

भारत की जलवायु मोटे रूप से उष्ण-कटिबंधीय है। यहाँ चार ऋतुएं होती हैं- शीत ऋतु (जनवरी-फरवरी), ग्रीष्म ऋतु (मार्च-मई), वर्षा ऋतु या दक्षिण-पश्चिम मानसून का समय (जून-सितम्बर) और मानसून-पश्चात ऋतु (अक्तूबर-दिसंबर) जिसे दक्षिण प्रायद्वीप में उत्तर-पूर्व मानसून का मौसम भी कहा जाता है। भारत की जलवायु पर दो प्रकार की मौसमी हवाओं का प्रभाव पड़ता है- उत्तर-पूर्वी मानसून और दक्षिण पश्चिमी मानसून। उत्तर-पूर्वी मानसून को आमतौर पर शीत-मानसून कहा जाता है। 

पेड़-पौधे

भारत को आठ वनस्पति क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है, पश्चिमी हिमालय, पूर्वी हिमालय, असम, सिन्धु का मैदान, गंगा का मैदान, दक्कन, मालाबार और अंडमान।
पश्चिमी हिमालय क्षेत्र कश्मीर से कुमाऊं तक फैला है। इस क्षेत्र के शीतोष्ण कटिबंधीय भाग में चीड़, देवदार, कोनधारी वृक्षों (कोनीफर्स) और चौड़ी पत्ती वाले शीतोष्ण वृक्षों के वनों का बाहुल्य है। इससे ऊपर के क्षेत्रों में देवदार, नीली चीड़, सनोवर वृक्ष और श्वेत देवदार के जंगल हैं। अलपाइन क्षेत्र शीतोष्ण क्षेत्र की ऊपरी सीमा से 4,750 मीटर या इससे अधिक ऊँचाई तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र मेंं ऊंचे स्थानों में मिलने वाले श्वेत देवदार,श्वेत भोजवृक्ष और सदाबहार वृक्ष पाए जाते हैं। पूर्वी हिमालय क्षेत्र सिक्किम से पूर्व की ओर शुरू होता है और इसके  अंतर्गत दार्जिलिंग, कुर्सियांग और उसके साथ लगे भाग आते हैं। इस शीतोष्ण क्षेत्र में ओक, जायफल, द्विफल, बड़े फूलों वाला सदाबहार वृक्ष और छोटी बेंत के जंगल पाए जाते हैं। असम क्षेत्र में ब्रह्मïपुत्र और सुरमा घाटियाँ और बीच की पर्वत श्रेणियाँ आती हैं। इनमें सदाबहार जंगल हैं और बीच-बीच  में घने बाँसों और लम्बी घासों के झुरमुट हैं। सिंधु मैदान क्षेत्र में पंजाब, पश्चिमी राजस्थान और उत्तरी गुजरात के मैदान शामिल हैं। यह क्षेत्र शुष्क और गर्म है और इनमें प्राकृतिक वनस्पतियाँ मिलती हैं। गंगा मैदान क्षेत्र के अंतर्गत अरावली श्रेणियों से लेकर बंगाल और उड़ीसा तक का क्षेत्र आता है। इस क्षेत्र का अधिकतर भाग कछारी मैदान है और इनमें गेहूं, चावल और गन्ने की खेती होती है। केवल थोड़े से भाग में विभिन्न प्रकार के जंगल हैं। दक्कन क्षेत्र में भारतीय प्रायद्वीप की सारी पठारी भूमि शामिल है, जिसमें पतझड़ वाले वृक्षों के जंगलों से लेकर तरह-तरह की जंगली झाडिय़ों के वन हैं। मालाबार क्षेत्र के अधीन प्रायद्वीप तट के साथ-साथ लगने वाली पहाड़ी तथा अधिक नमी वाली पट्टïी है। इस क्षेत्र में घने जंगल हैं। इनके अलावा इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलें जैसे नारियल, सुपारी, काली मिर्च, कॉफी, चाय, रबड़ और काजू की खेती होती है। कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक के हिमालय क्षेत्र (नेपाल, सिक्किम, भूटान, नगालैंड) और दक्षिण प्रायद्वीप में क्षेत्रीय पर्वतीय श्रेणियों में ऐसे देशी पेड़-पौधों की अधिकता है जो दुनिया में अन्यत्र कहीं नहीं मिलते हैं।

जीव-जन्तु

जलवायु और प्राकृतिक वातावरण की व्यापक भिन्नता के कारण भारत में लगभग 89,451 किस्म के जीव-जंतु पाए जाते हैं। इनमें 2,577 प्रोटिस्टा (आद्यजीव), 68,389 एंथ्रोपोडा, 119 प्रोटोकॉर्डेटा, 2,546 किस्म की मछलियाँ, 209 किस्म के उभयचारी, 456 किस्म के सरीसृप, 1,232 किस्म के पक्षी और 390 किस्म के स्तनपायी जीव, पाँच हजार से कुछ अधिक मोलस्क प्राणी और 8,329 अन्य अकशेरूकी आदि शामिल हैं।

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Education Desk

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