भारत के जानवरों की प्रजातियाँ

भारत का वन्यजीवन विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के जीवों के मेल से बना है | गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी तथा ऊंटों जैसे कुछ अल्प संख्यक पशुओं के अलावा, भारत में देसी जानवरों की आश्चर्यजनक रूप से व्यापक विविधता है | भारत विभिन्न जीवों जैसे बंगाल टाइगर, भारतीय शेरों, हिरण, अजगर, भेड़िये, भालू, मगरमच्छ, जंगली कुत्ते, वानर, साँप, मृग की विभिन्न प्रजाति, जंगली भैंसों की विभिन्न क़िस्मों तथा एशियाई घोड़ों का आवास स्थान है |

Nov 17, 2015, 15:18 IST

भारत का वन्यजीवन विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के जीवों के मेल से बना है | गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी तथा ऊंटों जैसे कुछ अल्प संख्यक पशुओं के अलावा, भारत में देसी जानवरों की आश्चर्यजनक रूप से व्यापक विविधता है | भारत विभिन्न जीवों जैसे बंगाल टाइगर, भारतीय शेरों, हिरण, अजगर, भेड़िये, भालू, मगरमच्छ, जंगली कुत्ते, वानर, साँप, मृग की विभिन्न प्रजाति, जंगली भैंसों की विभिन्न क़िस्मों तथा एशियाई घोड़ों का आवास स्थान है |

जानवरों की विभिन्न प्रजातियों की व्याख्या निम्न हैं :

स्तनधारी :

भारत में पाये जाने वाली हिरण की प्रजातियों में सांभर, चीतल, बारहसिंगा और भौंकने वाला हिरण शामिल हैं |

सांभर खासकर जंगली पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे दलों में रहते हैं  और यह मुख्यतः झाड़ियाँ और निचली टहनियों की  पत्तियाँ खाते हैं | ये गहरे भूरे रंग के होते हैं तथा इनके बड़े सींग होते हैं जिसमे तीन शाखायें बनी होती हैं |

चीतल या चित्तकबरा हिरण खुले वनों में बड़े झुंडों में रहते हैं जहां वे घास चर सकें | इनका शरीर सफ़ेद धब्बों के साथ गहरे भूरे रंग का होता है जो वन मे  छलावरण का काम करते हैं | प्रत्येक सींग पर  तीन नुकीली शाखाएँ होती हैं |

दुर्लभ हंगुल हिरण केवल कश्मीर में पाया जाता है | इसके फैले हुए शानदार सींगों पर 6 शाखाएँ बनी होती हैं |

बारहसिंगा या दलदली हिरण के बड़े खुर होते हैं जो इस खूबसूरत जानवर को तराई के दलदली क्षेत्र में रहने योग्य बनाते हैं | प्रत्येक सींग में 6 या उससे ज्यादा शाखाएं बनी होती हैं |

छोटे भौकने वाले हिरण सम्पूर्ण भारत के कई वनों में पाए जाते हैं | इनके चेहरे पर दो लकीरें बनी होती हैं तथा छोटे छोटे सींगों पर 2 -2 शाखाएँ बनाई होती हैं | इसकी आवाज़ कुत्ते के भोंकने की तरह होती है |

काला हिरण भारत में पाया जाने वाला वास्तविक मृग है | यह बड़े झुंडों में रहते हैं | नर मृग के शरीर की ऊपर की तरफ काला रंग तथा नीचे की तरफ क्रीम रंग होता है तथा इनके “V” आकार के सुंदर  घुमावदार सींग होते हैं |

चिंकारा जिसे भारतीय बारहसिंगा  भी कहा जाता है, एक छोटा गहरे पीले रंग का जानवर होता है जिसके सुंदर घुमावदार सींग होते हैं |

दुर्लभ चौसिंगा या चार सींग वाला हिरण दुनिया में पाया जाने वाला केवल एक ऐसा जानवर है जिसके चार सींग होते हैं |

नीलगाय  सबसे बड़ी शुष्क थलचर शाकाहारी पशु है | नर नीलगाय नीले-ग्रे रंग के होते हैं | नीलगाय के पैर और सिर पर सफ़ेद निशान होते हैं | इनके छोटे मजबूत नुकीले सींग होते हैं |

भारतीय जंगली गधा, छोटे कच्छ के रण का स्थानीय जानवर है |

एकल प्रजाति, नीलगिरी तहर दक्षिण भारत की नीलगिरी और अन्नामलाई पहाड़ियों में पाया जाता है |

गैंडा अब केवल असम तक ही सीमित रह गया है परंतु एक बार ये गंगा के मैदानी इलाकों में भी पाये गए थे |

जंगली भैंस भी तराई क्षेत्रों तक ही सीमित रह गई  हैं | हाथियों को पूर्वोत्तर तथा दक्षिणी राज्यों में छोड़ दिया गया | इनके निवास स्थान को क्षति पहुंचाई जा रही है तथा हाथी दाँत के लिए इनका अवैध शिकार भी किया जा रहा है |

गौर भारत के कई जंगली भागों में पाये जाते हैं |

तेंदुए बाघ की तुलना में अधिक अनुकूलनीय है और ये घने व छोटे दोनों प्रकार के वनों में रहते हैं | इसके शरीर पर खूबसूरत गोलाकार चिन्ह बने होते हैं जो  इसके  शिकार के लिए छलावरण का काम करते हैं और वे इसे आसानी से नहीं देख पाते |

छोटी जंगली बिल्ली हल्के भूरे रंग की जानवर है और दुर्लभ तेंदुआ बिल्ली जोकि घरेलू बिल्ली की तुलना में थोड़ी बड़ी होती हैं |

हिमालय के क्षेत्रों में पाये जाने वाला एक खास शिकारी हिम तेंदुआ एक दुर्लभ जीव है तथा इसकी खूबसूरत खाल जो गहरे भूरे रंग की होती है तथा जिस पर गहरे ग्रे रंग के गोलाकार चिन्ह बने होते हैं के लिए इसका शिकार किया जाता है |

भेड़िया, सियार, लोमड़ी और जंगली कुत्ते सभी एक प्रजाति के समूह में आते हैं जिन्हे कनिड्स (एक प्रकार के  कुत्तों की प्रजाति )कहा जाता है |

हिमालय के  भेड़िये की प्रजाति भी खतरे में है |अब भेड़िये अत्यधिक रूप से खतरे में हैं क्यूंकि वे पूरी तरह से चरवाहों की भेड़ – बकरियों पर निर्भर हो रहे हैं |

वन के आम वानर प्रजातियों में से एक प्रजाति है बोनट मकैक, जिसका चेहरे लाल रंग का होता है और एक लंबी पुंछ होती है तथा इसकी सिर की खाल पर गोलाकार बालों का गुच्छा होता है जो टोपी की तरह दिखाई देता है |

हमारे पास एक अन्य  वानर प्रजाति है जिसे रीसस मकैक कहते हैं | यह छोटे होते हैं तथा बोनट मकैक की तुलना में इनकी पुंछ छोटी होती है |

शेर की तरह दिखने वाला मकैक, दुर्लभ प्रजाति का वानर है जो दक्षिण पश्चिमी घाटों के कुछ वनों तथा अन्नामलाई पर्वतमाला में पाए जाते हैं | ये काले रंग के होते हैं, इनके लंबे बाल होते हैं, ग्रे रंग की अयाल ( जानवर की गर्दन के बाल ) होती है तथा इनकी पुंछ के अंत में बालों का गुच्छा होता है जो शेर की पुंछ की तरह दिखती है |

साधारण लंगूर का मुँह काले रंग का होता है और इसे हनुमान वानर के रूप में जाना जाता है |

दुर्लभ सुनहरा लंगूर का रंग सुनहरा पीला होता है और ये असम में मानस नदी के किनारों में रहते हैं |

छाया लंगूर पूर्वोत्तर भारत की असाधारण प्रजाति है |

दुर्लभ काले नीलगिरी लंगूर दक्षिणी पश्चिमी घाट, नीलगिरी और अन्नामलाई पर्वतमाला में रहते हैं |

Jagran Josh
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Education Desk

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