किस देश को कहा जाता है 'आग और बर्फ की धरती', जानें नाम

Nov 26, 2025, 16:32 IST

आइसलैंड को 'आग और बर्फ की धरती' कहा जाता है। इसका कारण यहां ग्लेशियरों, ज्वालामुखियों, गर्म पानी के झरनों, बर्फीली झीलों और आर्कटिक परिदृश्यों का अनोखा संगम है। आइसलैंड के बारे में विस्तार से पढ़ें।

आग और बर्फ की भूमि
आग और बर्फ की भूमि

आइसलैंड को 'आग और बर्फ की धरती' के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह दुनिया की उन गिनी-चुनी जगहों में से एक है, जहां बहुत बड़े ग्लेशियर और ताकतवर ज्वालामुखी एक साथ मौजूद हैं। इस देश का परिदृश्य कभी बर्फीले नीले ग्लेशियरों और बर्फ से ढके पहाड़ों जैसा दिखता है, तो कभी यहां उबलते लावे और फटते ज्वालामुखियों वाले भाप से भरे गर्म इलाके नजर आते हैं। इस अद्भुत प्राकृतिक भिन्नता ने आइसलैंड की संस्कृति, ऊर्जा प्रणाली, पर्यटन उद्योग और वैश्विक पहचान को आकार दिया है। यह नाम आइसलैंड की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता को दिखाता है। साथ ही, यह प्रकृति द्वारा बनाए गए विनाश और नवीनीकरण के दुर्लभ संतुलन पर भी जोर देता है।

आइसलैंड को आग और बर्फ की धरती क्यों कहा जाता है?

आइसलैंड मध्य-अटलांटिक रिज पर स्थित है, जिससे यहां ज्वालामुखी गतिविधियां होती रहती हैं। वहीं, इसकी उत्तरी भौगोलिक स्थिति और ठंडी समुद्री धाराओं के कारण यहां ग्लेशियर पनपते हैं। इन दोनों वजहों से यहां मौसम और भूगोल में बहुत ज्यादा भिन्नता देखने को मिलती है।

आइसलैंड को आग और बर्फ की धरती कहने के कारण

विशाल ग्लेशियरों और बर्फीली वादियों की धरती

आइसलैंड बर्फ की विशाल चादरों से ढका है, जो यूरोप के कुछ सबसे बड़े ग्लेशियर बनाते हैं। ये अछूते बर्फीले मैदान शानदार बर्फीली गुफाएं, ग्लेशियर झीलें और जमी हुई घाटियां बनाते हैं, जो दुनिया भर के खोजकर्ताओं को आकर्षित करते हैं। ग्लेशियर लगातार यहां के परिदृश्य को बदलते रहते हैं। वे गहरी घाटियां (फ्योर्ड) बनाते हैं, नदियों को पानी देते हैं और नीले रंग की ग्लेशियर झीलें बनाते हैं, जो मौसम के साथ बदलती रहती हैं। हर सर्दियों में आइसलैंड एक आर्कटिक स्वर्ग में बदल जाता है और इसकी उपध्रुवीय स्थिति के कारण यहां शानदार बर्फीले नजारे देखने को मिलते हैं।

सक्रिय ज्वालामुखी और आग उगलते लावे का घर

आइसलैंड सीधे मध्य-अटलांटिक रिज पर स्थित है, जहां दो टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं। इस वजह से यहां अक्सर ज्वालामुखी फटते रहते हैं। इस देश में 100 से ज्यादा ज्वालामुखी हैं और हजारों सालों से इन विस्फोटों ने यहां के भूगोल को आकार दिया है। काले लावा के मैदान और बेसाल्ट के स्तंभ और भाप छोड़ती दरारें आइसलैंड की शक्तिशाली भू-तापीय ताकतों की याद दिलाती हैं। एयाफ्यात्लायोकुल और कटला जैसे ज्वालामुखी आज भी यहां की जमीन, संस्कृति, हवाई मार्गों और यहां तक कि मिट्टी की उर्वरता को भी प्रभावित करते हैं। इस कारण ज्वालामुखी की आग आइसलैंड की प्राकृतिक पहचान का एक अहम हिस्सा है।

भू-तापीय ऊर्जा और प्राकृतिक गर्म झरने

आइसलैंड जमीन के नीचे की ज्वालामुखी गर्मी का इस्तेमाल साफ और नवीकरणीय ऊर्जा बनाने के लिए करता है। भू-तापीय प्लांट घरों को बिजली देते हैं, पानी गर्म करते हैं और पर्यावरण के अनुकूल उद्योगों को सहारा देते हैं। इसी वजह से आइसलैंड दुनिया के सबसे टिकाऊ देशों में से एक है। 

आर्कटिक वन्यजीव और नॉर्दर्न लाइट्स का आश्चर्य

अपनी उत्तरी स्थिति के कारण आइसलैंड में सर्दियां लंबी और बर्फीली होती हैं, जबकि गर्मियां छोटी और रोशन होती हैं। सर्दियों में यह देश एक स्वर्ग बन जाता है, जहां नॉर्दर्न लाइट्स (उत्तरी ध्रुवीय ज्योति) आसमान को चमकीले रंगों से भर देती हैं। यहां दुनिया में ऑरोरा देखने के सबसे अच्छे अनुभवों में से एक मिलता है। आइसलैंड पफिन, सील, व्हेल और आर्कटिक लोमड़ी जैसे आर्कटिक वन्यजीवों का भी घर है। बर्फीले इलाके, तारों से भरे आसमान और वन्यजीवों से भरे तटों का यह मेल आइसलैंड के रहस्यमयी और साहसिक आकर्षण को और बढ़ाता है।

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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