भारत में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TDPS)

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को ‘अल्पता का प्रबंधन’ (management of scarcity) तथा कम कीमत पर खाद्यान्न के वितरण के लिए विकसित किया गया था लेकिन यह प्रणाली व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की वजह से अपने वांछित उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सकी । इसलिए इस प्रणाली की खामियों को दूर करने के लिए सरकार ने जून,1997 में गरीबों पर ध्यान देने के लिए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) की फिर से शुरुआत की थी |

Jun 23, 2016, 17:10 IST

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को ‘अल्पता का प्रबंधन’ (management of scarcity) तथा कम कीमत पर खाद्यान्न के वितरण के लिए विकसित किया गया था । लेकिन यह प्रणाली व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की वजह से अपने वांछित उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सकी । इसलिए खाद्य सब्सिडी के बोझ को कम करने और वास्तव में जरूरतमंद लोगों के लिए बेहतर लक्ष्य के साथ खाद्यान्न उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण के साथ, भारत सरकार ने जून 1,1997 से लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) को अपनाया| TDPS  का मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से अत्यधिक रियायती कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध करना है तथा इसकी तुलना में गरीबी रेखा से ऊपर के लोगों को काफी ऊंची कीमत पर खाद्यान्न उपलब्ध करना है |

टीपीडीएस(TPDS) के तहत राज्यों में खाद्यान्न के वितरण के लिए गरीबों की पहचान कर चाक-चौबंद व्यवस्था को लागू करना था |

भारत सरकार द्वारा अपनाई गई टीपीडीएस की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. लक्ष्य निर्धारण :  पिछली नीति के संबंध में टीपीडीएस के सबसे विशिष्ट सुविधा योजना आयोग द्वारा गरीबी रेखा के आधार पर परिभाषित, गरीबी रेखा से नीचे  (बीपीएल) और गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) श्रेणियों की पूरी आबादी को विभाजित कर लक्ष्य को पुरःस्थापना करना है | बीपीएल के तहत  आबादी के लिए  अधिकतम आय के स्तर को 15,000 प्रति वर्ष रखा गया था । TDPS बीपीएल परिवारों को गेहूं 2 रूपए प्रति किग्रा, चावल 3 रूपए प्रति किग्रा तथा बाजरा 1 रूपए प्रति किग्रा के स्तर पर उपलब्ध कराता  है |  
  2.  दोहरी (एकाधिक) कीमतें : लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दूसरी प्रमुख विशेषता यह है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के अब दो केन्द्रीय निर्गम मूल्य हैं : (i)  बीपीएल (BPL) उपभोक्ताओं के लिए कीमतें और (ii) एपीएल (APL) उपभोक्ताओं के लिए कीमतें। एक तीसरी कीमत, 2001 में पेश की गई है , जो अंत्योदय अन्न योजना (AAY)  के लाभार्थियों के लिए है।
  3. केन्द्र-राज्य नियंत्रण:  टीपीडीएस की तीसरी प्रमुख विशेषता यह है कि इसने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के हकों और आवंटन के सम्बन्ध में केन्द्र-राज्य की जिम्मेदारियों को बदल दिया है। पीडीएस को पहले भी और बाद में राज्य सरकारों द्वारा बनाया व संभाला गया है और राज्य सरकार अधिकारों, बांटी जाने वाली वस्तुओं, खुदरा मूल्यों (राज्य निर्गम मूल्य) तथा इस तरह के और भी सम्बंधित विषयों से अलग थी|

बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना के तहत आए परिवारों की कुल संख्या वर्तमान में 6.52 करोड़ है।

Image Source:www.excellup.com

टीपीडीएस की समीक्षा

टीपीडीएस की कई आधारों पर आलोचना की गई है:

लक्ष्य निर्धारण:  टीपीडीएस के प्रमुख आलोचना यह की गई है कि वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली से वास्तव में जरूरतमंद लोगों का बडे पैमाने पर बहिष्कार करता है। इस संदर्भ में, मधुरा स्वामीनाथन ने दो प्रकार के मुद्दों पर चर्चा की है –(I) वैचारिक मुद्दे, और (ii) परिचालन मुद्दे  | पहली चिंता का विषय हैनिर्धनता की परिभाषा’  और दूसरी चिंता का विषय है व्यवहारतः गरीबों की पहचान ये दोनों मुद्दे टीपीडीएस के कार्य के लिए बहुत ही आवश्यक व महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसकी सफलता कार्यक्रम के तहत वास्तव में जरूरतमंद व्यक्तियों के शामिल किए जाने पर टिकी है |

(i) वैचारिक मुद्दे : (निर्धनता की परिभाषा)। यहाँ  मुख्य मुद्दा यह है कि किस तरह निर्धनता की परिभाषा को उचित रूप से लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लागू किया गया है | गरीबी रेखा से नीचे की स्थिति के लिए पात्रता की वर्तमान परिभाषा सरकारी गरीबी रेखा के रूप में 1993-94 ((2000 में जनसंख्या के स्तर के लिए समायोजित) में योजना आयोग द्वारा लगाये गए अनुमान पर आधारित है। यदि  हम आय के आधार पर गरीबी रेखा का निर्धारण करते हैं तो 37 रुपया/ खर्च (गांवो में)और 42 रुपया /दिन शहरों में खर्च करने वाला गरीब नही माना जाता है I गरीबी की यह परिभाषा ही विवादों के घेरे में है I

(ii) परिचालन के मुद्दे:  इस मामले का तथ्य यह है कि कई राज्यों में बीपीएल परिवारों की पहचान करने की पूरी प्रक्रिया को एक बहुत ही मनमाने तरीके से किया गया है। नतीजतन, वहाँ वास्तव में निकाले गये योग्य परिवारों के साथ गलत वर्गीकरण की बड़ी त्रुटी की गई है और कुछ समृद्ध परिवारों को बीपीएल श्रेणी में शामिल किया गया है ।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के निम्न दोष हमेशा मौजूद रहे हैं I

  1. कालाबाजारी और गैर जरुरतमंदों को लाभ पहुचाना ।
  2. उचित मूल्य की दुकानों में अनाज का देरी से और अनियमित आगमन।
  3. व्यय समूहों की खरीद में कोई भिन्नता न होना ।
  4. घटिया स्तर का खाद्यान्न वितरण ।
  5. टीपीडीएस खाद्यान्न की कमी से वाले क्षेत्रों में अनाज पहुचने में नाकाम रही है I
  6. सब्सिडी के बोझ का बढ़ना |

लेकिन बहुत सी खामियां होने के बावजूद, टीपीडीएस इस महंगे परिवेश में बीपीएल परिवारों को बहुत बड़ा सहारा दे रहा है |

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News