भारत-तुर्कमेनिस्तान गैस पाइपलाइन समझौता
भारत ने 20 सितंबर, 2010 को अफगानिस्तान व पाकिस्तान के रास्ते तुर्कमेनिस्तान से गैस सप्लाई प्राप्त करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। हालांकि अफगानिस्तान व पाकिस्तान की अस्थिर राजनीतिक स्थिति को देखते हुए इस परियोजना के पूरी होने में पूरा संदेह है।
चार देशों- भारत, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने गैस पाइपलाइन फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए है जिससे आगे चलकर गैस खरीद बिक्री समझौते का रास्ता प्रशस्त हो गया है। इस समझौते पर भारत की ओर से पेट्रोलियम मंत्रालय में राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर जितिन प्रसाद का कहना था कि गैस सप्लाई के लिए ट्रांजिट फीस को कम-से-कम रखने की आवश्यकता है, और पाइपलाइन को ऑपरेट करने के लिए पाइपलाइन की सुरक्षा, गैस का मूल्य और पाइपलाइन को ऑपरेट करने के लिए मैकेनिज्म इत्यादि जैसे विषयों पर सभी संबंधित पार्टियों के बीच पर्याप्त चर्चा होनी चाहिए। इस प्रोजेक्ट को अमेरिका का समर्थन हासिल है और इसे एशिया विकास बैंक द्वारा फंड किया जा रहा है।
यहां पर गौरतलब है कि ईरान के साथ भी भारत को गैस पाइपलाइन समझौता करना था, लेकिन पाकिस्तान के पेंच की वजह से यह समझौता नहीं हो पाया। अमेरिका भी इस समझौते का घनघोर विरोधी है।
यदि भारत-तुर्कमेनिस्तान गैस पाइपलाइन समझौता हो जाता है तो भारत को ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में भारी राहत मिलेगी। केद्रीय कैबिनेट की भी इसको मंजूरी है।
इस पाइपलाइन की लंबाई भारत की सीमा तक तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में क्रमश: 145 किमी., 735 किमी. और 800 किमी. होगी। यदि यह परियोजना पूरी हो जाती है तो भारत को 38 एमएमएससीएम गैस प्रतिदिन प्राप्त होगी।
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