मानक समय एक आम समय का मानक होता है जो विविध भौगोलिक क्षेत्रों के समय के निर्धारण में इस्तेमाल किया जाता है. यह मध्याह्न रेखा पर निर्भर करता है. मानक समय की इस अवधारणा के आनुसार पृथ्वी को दो भागों में अर्थात पूर्वी गोलार्ध और पश्चिमी गोलार्ध. इस मानक रेखा के ठीक विपरीत रेखा को इंटरनेशनल डेटलाइन के नाम से जाना जाता है. इस रेखा के उद्भव के साथ ही अन्य प्रधान मध्याह्न रेखाओं के इस्तेमाल को बंद कर दिया गया.
11 दिसंबर 1847 में, ब्रिटिश रेलवे ने पहली बार एक मानकीकृत समय प्रणाली का इस्तेमाल किया था. चूँकि जगह जगह के समय प्रणाली में काफी अंतर होता था और उनके भौगोलिक विविधता की वजह से समय के निर्धारण में समस्या का सामना करना पड़ता था. अतः ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) का इस्तेमाल जरुरी हो गया था.
संयुक्त राज्य अमेरिका में, पेनसिल्वेनिया रेलरोड में सर्वप्रथम "एलेघेनी टाइम" प्रणाली का इस्तेमाल किया था. इस समय प्रणाली की इस्तेमाल वस्तुतः खगोलीय समय प्रणाली को व्यवस्थित रखने के लिए किया जाता था. इसकी खोज पिट्सबर्ग के एलेघनी वेधशाला में शमूएल पिएर्पोर्ट लैंगली द्वारा की गयी थी. नीदरलैंड के एम्स्टर्डम में मई 1909 में डच टाइम को सबसे पहली बार प्रस्तुत किया गया था.
टाइम जोन एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसमें स्थिरता होती है और जिसका इस्तेमाल कानूनी, वाणिज्यिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए एक सुसंगत मानक समय के निर्धारण के लिए किया जाता था. साथ ही यह माना जाता था कि यह रेखा लंदन में रॉयल वेधशाला को पार करती है. बाद में, सभी सरकारी संस्थाओं के द्वारा रेडियो समय का समन्वित वैश्विक समय (यूटीसी), के साथ सामंजस्य बनाते हुए इस्तेमाल किया जाने लगा. यह टाइम एक प्रकार का एटोमिक समय हैं जोकि .9 सेंकंड तक के समय को भी बरकरार रखने के लिए लीप इयर का इस्तेमाल करती थी. इस समय प्रणाली को अब (यूनिवर्सल टाइम 1) समय प्रणाली कहा जाता है.
वर्त्तमान में कई देशों के द्वारा कानूनी तौर पर यूटीसी के लिए अपने मानक समय का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम के द्वारा जीएमटी का इस्तेमाल किया जाता है. यूटीसी को ज़ुलु समय के रूप में भी जाना जाता है. इस समय प्रणाली का इस्तेमाल सभी खगोलविदों के द्वारा वर्त्तमान में किया जाता है और साथ ही उन देशों के द्वारा भी जोकि कुछ घटनाओं के सन्दर्भ में घटित होते हैं, व्यवस्थित करने की जरूरत होती है, द्वारा दुनिया भर में प्रयोग किया जाता है.
यह सत्य है की टाइम जोन पूरी तरह से प्रधान मध्यान्ह रेखा पर निर्भर होती है. अर्थात सौर समय जीएमटी पर आधारित होता हैं. वर्तमान में अब परमाणु घड़ियों से व्युत्पन्न समय प्रणाली को इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें UT1 के एक सेकंड के स्तर तक को व्यवस्थित किया जाता है जैसे की पृथ्वी की धुर्णन गति स्थिर नहीं होती है. जीएमटी और परमाणु समय दोनों के समय में काफी हद तक संतुलन रहता है. परमाणु घड़ियों की रीडिंग एक सुसंगत समय प्रदान करने के लिए की जाती है.
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