सहजन के बीजों से जल का शोधन
भारत जैसे देशों के लिए काफी उपयोगी:
सहजन एक ऐसा वृक्ष है जो अफ्रीका, मध्य तथा दक्षिणी अमेरिका, भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्व एशिया में पैदा किया जाता है। सहजन की सबसे प्रमुख खासियत उसका तेल होता है। इससे खाना भी पकाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग बायोडीजल बनाने में भी किया जा सकता है। हाल में इसके बारे में एक महत्वपूर्ण तथ्य मालूम चला है। पीने योग्य पानी के शुद्धीकरण के लिए इसके बीजों का उपयोग किया जा सकता है। यह एक अल्प लागत जल परिशोधन तकनीक साबित हो सकती है।
कई देशों के लिए उपयोगी
यदि इस तकनीक का विकासशील देशों में वृह्तस्तर पर प्रयोग किया जाये तो दूषित जल-जनित रोगों पर एक स्तर तक अंकुश लगाया जा सकता है। यह एक तथ्य है कि आज भी एशिया, अफ्रीका और लेटिन अमेरिकी देशों में एक अरब लोगों को दूषित जल का पीने के लिए प्रयोग करना पड़ता है। प्रदूषित जल की वजह से लगभग 20 लाख लोगों की प्रतिवर्ष मृत्यु होती है।
क्या है तकनीक?
पहले इन बीजों का पाउडर बनाया जाता है जिसे जल में घुलनशील निलंबक सत्व के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। ऐसा होने पर अपरिशोधित जल के जीवाणु 90.00 फीसदी से 99.99 फीसदी तक समाप्त हो जाते हैं। यह तकनीक केवल जल को पीने योग्य ही नहीं बनाती इससे जल की गंदगी भी 90 फीसदी से 99 फीसदी तक कम हो जाती है, क्योंकि यह पूर्ण जल में विद्यमान ठोस कणों के साथ मिलकर तले में बैठ जाती है।
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