साइबर अपराध एक गैर कानूनी कार्य है जिसमें “कंप्यूटर” एक उपकरण या लक्ष्य या दोनों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है| इन दिनों “साइबर अपराध” अपराध का सबसे नवीनतम एवं तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ रही है, आदमी अपनी सभी जरूरतों के लिए इंटरनेट पर निर्भर होता जा रहा है, क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति एक ही स्थान पर खरीदारी, मनोरंजन, ऑनलाइन अध्ययन, लोगों से बातचीत एवं ऑनलाइन नौकरी आदि कार्य आसानी से कर लेता है| अतः वह दिन दूर नहीं है जब अन्य देशों की भांति भारत में भी साइबर अपराध एक विकराल रूप धारण कर लेगा क्योंकि यहाँ भी साइबर अपराध की घटना की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है|
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ये अपराधी मुख्यतः इंटरनेट की गति, सुविधा और गुमनामी का फायदा उठाकर विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं और दुनिया भर के लोगों को अपना शिकार बनाकर उनका शोषण कर रहे हैं। इनके द्वारा अंजाम दिए जाने वाले अपराधों में फ़िशिंग, क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड से संबंधित धोखाधड़ी, बैंक डकैती, अवैध रूप से डाउनलोडिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी तथा वायरसों का वितरण प्रमुख है|
क्या आप जानते हैं कि “एनसीआरबी” के आंकड़ों के अनुसार पिछले दस वर्षों में भारत में साइबर अपराध 19 गुना बढ़ा है और साइबर अपराध संबंधी गिरफ्तारी में 9 गुनी बढ़ोतरी हुई है? साइबर अपराध के मामले में अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर है| इसके अलावा जून 2016 तक भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 462 करोड़ से अधिक हो गई है|
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क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे इन दिनों “साइबर अपराध” की घटना तेजी से बढ़ती जा रही है?
चूंकि इंटरनेट के प्रयोग में जोखिम कम होता है और प्रतिफल की दर उच्च होती है, अतः लोग हमेशा इस सुविधा का उपयोग करते हैं जिसके कारण “साइबर अपराध” की घटना होती है| इंटरनेट से प्राप्त सूचनाओं एवं आकड़ों का इस्तेमाल “प्रतिफल” की प्राप्ति के लिए तो सही है लेकिन इसके द्वारा अपराधियों को पकड़ना कठिन है| इस वजह से वर्तमान समय में “साइबर अपराध” की घटना पूरी दुनिया में बढ़ रही है।
आइये अब हम “साइबर अपराध” के प्रकार और इसके कार्यप्रणाली पर ध्यान केंद्रित करते हैं!
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भारत के किन राज्यों में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है
साइबर अपराध के मामले में महाराष्ट्र शीर्ष पर है और पिछले 5 साल में वहाँ 5900 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं| दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश है जहाँ लगभग 5000 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि 3500 से अधिक मामलों के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर है|
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भारत में साइबर कानून
भारत में साइबर अपराध को तीन मुख्य अधिनियमों के अंतर्गत रखा गया है|
ये अधिनियम हैं- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, भारतीय दंड संहिता और राज्य स्तरीय कानून|
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अंतर्गत आने वाले प्रमुख मामले निम्न हैं:
• कंप्यूटर स्रोत एवं दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ - धारा 65
• कंप्यूटर सिस्टम की हैकिंग एवं आकड़ों में परिवर्तन - धारा 66
• अश्लील सूचनाओं का प्रकाशन - धारा 67
• संरक्षित सिस्टम तक अनाधिकृत पहुंच - धारा 70
• गोपनीयता को भंग करना - धारा 72
• झूठी हस्ताक्षरित डिजिटल प्रमाण पत्रों का प्रकाशन - धारा 73
भारतीय दंड संहिता और विशेष कानूनों के अंतर्गत आने वाले मामले:
• ईमेल से धमकी भरे संदेश भेजना – आईपीसी की धारा 505
• ईमेल द्वारा अपमानसूचक संदेश भेजना - आईपीसी की धारा 499
• इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जालसाजी - आईपीसी की धारा 463
• फर्जी वेबसाइट और साइबर धोखाधड़ी - आईपीसी की धारा 420
• ईमेल स्पूफिंग – आईपीसी की धारा 463
• वेब-जैकिंग - आईपीसी की धारा 383
• ईमेल का दुरुपयोग - आईपीसी की धारा 500
साइबर अपराध से संबंधित विशेष सेल:
• हथियारों की ऑनलाइन बिक्री से संबंधित अधिनियम
• नारकोटिक्स एवं अन्य दवाओं की ऑनलाइन बिक्री से संबंधित अधिनियम
आइये देखते है सरकार साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए कौन-कौन से कार्य कर रही है
नीचे उन तमाम उपायों का उल्लेख किया गया है जिन्हें सरकार साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए प्रयोग कर रही है:
• गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को साइबर अपराध के संबंध में परामर्श जारी किया गया है। इसके अलावा, राज्य सरकारों को साइबर अपराध के पंजीकरण, अन्वेषण एवं अभियोजन के लिए नई तकनीकों जैसे साइबर पुलिस स्टेशन, बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षित लोगों की टीम को तैयार करने की सलाह दी गई है।
• कानून को लागू करने वाली एजेंसियों, फोरेंसिक लैब और न्यायपालिका को उन्नत और बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि वे इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) एवं सी-डैक द्वारा इकट्ठा किए गए सबूतों का सही ढ़ंग से विश्लेषण कर सके|
• सरकार द्वारा साइबर अपराध की जाँच करने वाले पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए केन्द्रीय जाँच ब्यूरो के अंतर्गत केन्द्रीय फोरेंसिक लैब की स्थापना की है| साथ ही सरकार ने केरल, असम, मिजोरम, नागालैंड, अरूणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर और जम्मू-कश्मीर में भी फोरेंसिक लैब की स्थापना की है|
• इसके अलावा साइबर अपराध के प्रति जागरूकता बढानें के लिए सरकार द्वारा मुंबई, बेंगलुरू, पुणे और कोलकाता में नैसकॉम और भारतीय डाटा सुरक्षा परिषद (DSCI) की स्थापना की गई है|
• इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) वेबसाइटों को सुरक्षित रखने के लिए दिशानिर्देश प्रकाशित करती है जो www.cert-in.org.in पर उपलब्ध हैं| इसके अलावा वह साइबर हमलों के बारे में जागरूकता प्रदान करने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन भी करती है|
• “क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम” (CCTNS) के माध्यम से सरकार ऑनलाइन साइबर शिकायतों के पंजीकरण के लिए एक केन्द्रीकृत नागरिक पोर्टल उपलब्ध कराने का फैसला किया है।
• गृह मंत्रालय ने देश में साइबर अपराध के खिलाफ लड़ने के लिए और पीड़ितों को अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए खुला मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र” की स्थापना की है।
सरकार के साथ-साथ हमारा भी कर्तव्य है कि हमें कुछ आवश्यक उपाय एवं सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे- शराब और नशीली दवाओं के उपभोग में कमी करनी चाहिए| जैसा कि हम जानते हैं 51% अपराध शराब और नशीली दवाओं के प्रभाव के कारण होते हैं| इसके अलावा जो लोग अशिक्षित हैं उन्हें जागरूक करना चाहिए और यदि संभव हो तो उन्हें इंटरनेट, कंप्यूटर, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि के उपयोग के बारे में प्रशिक्षण देना चाहिए| साथ ही उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं साइबर कानून के बारे में जागरूक करना चाहिए| हम यह भी जानते हैं कि हैकर्स या इंटरनेट के अपराधियों को पकड़ना मुश्किल है क्योंकि वे एक देश में बैठकर कंप्यूटर का उपयोग करके किसी अन्य देश में कंप्यूटर हैक कर लेते हैं| अतः सबसे अच्छा तरीका यह है कि हमें सावधान और सतर्क रहना चाहिए| इंटरनेट के उपयोगकर्ता को अद्वितीय (Unique) पासवर्ड और एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करना चाहिए तथा संदिग्ध ईमेल और अज्ञात स्रोतों से आने वाले प्रोग्रामों को खोलने से बचना चाहिए|
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