Positive India: 64 वर्षीय रिटायर्ड बैंकर ने NEET परीक्षा की क्लियर, MBBS की पढ़ाई कर बनना चाहते हैं डॉक्टर

Dec 30, 2020, 19:21 IST

ओडिशा के रहने वाले जय प्रकाश प्रधान 2016 में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से रिटायर हुए थे। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद अपना सालों पुराना डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए NEET परीक्षा पास की है। 

Hindi| 64-year-old Retired Banker Jay Prakash Pradhan clears NEET to Pursue MBBS
Hindi| 64-year-old Retired Banker Jay Prakash Pradhan clears NEET to Pursue MBBS

जिस उम्र में अधिकांश सेवानिवृत्त लोग पोते-पोतियों के साथ समय बिताने, ताश खेलने, बागवानी करने में समय व्यतीत करते हैं, श्री जय प्रकाश प्रधान ने खुद के लिए एक अलग राह चुनी। साल 2016 में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से डिप्टी मैनेजर के पद से रिटायर हुए प्रधान ने 40 साल की नौकरी के बाद अपना बरसो पुराना सपना पूरा करने का फैसला किया। उन्होंने NEET परीक्षा पास कर ओडिशा के प्रमुख सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य संस्थानों में से एक, बुरला के वीर सुरेंद्र साईं इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (VIMSAR) में चार साल के एमबीबीएस कार्यक्रम में दाखिला लिया है।

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1970 में भी दिया था MBBS एंट्रेंस एग्ज़ाम, पर हुए थे फेल 

श्री प्रधान कहते हैं “मैं 1970 के दशक में अपनी इंटरमीडिएट कक्षा के बाद एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा के लिए एक बार उपस्थित हुआ था। मैं तब सफल नहीं हो सका। तैयारी में एक और साल खोना नहीं चाहता था, इसलिए मैंने फिजिक्स ऑनर्स के साथ बीएससी में प्रवेश लिया। परन्तु मैं इस फैसले से खुश नहीं था और डॉक्टर बनने का सपना हमेशा मेरे मन में जीवित रहा। "

कई बार आया नौकरी छोड़कर डॉक्टर बनने का ख्याल 

“चिकित्सा की पढ़ाई करने की इच्छा इतनी मजबूत थी कि मैं 15 साल की बैंकिंग सेवा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement) लेने का विचार तक मेरे मन में आया था। हालांकि, परिवार के दायित्व को ध्यान में रखते हुए नौकरी छोड़ना बहुत जोखिम भरा था। इसलिए मैंने ऐसा कदम नहीं उठाया।"

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने  एक स्थानीय स्कूल में शिक्षक के रूप में काम किया। इसके बाद, उन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में नौकरी की और इंडियन बैंक में काम किया। 1983 में, श्री प्रधान SBI में शामिल हुए।

बेटियों ने दिया सपना पूरा करने का प्रोत्साहन 

श्री प्रधान अपनी तैयारी के बारे में बताते हैं “मेरी दो जुड़वा बेटियां हैं, जो मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। मैं उनकी तैयारी में उनकी सहायता कर रहा था। मैं भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान को याद करने में बहुत अच्छा था, मेरी बेटियों ने मुझे इसे आजमाने के लिए प्रेरित किया और मैंने NEET परीक्षा देने का फैसला किया। उन्होंने 175 स्कोर करके 5,94,380 रैंक प्राप्त की थी। श्री प्रधान को शारीरिक रूप से विकलांग कोटा में VIMSAR में प्रवेश मिला। 

डॉक्टर बन बेटी को देना चाहते हैं श्रद्धांजलि 

श्री प्रधान की एक बेटी का पिछले महीने दुर्भाग्यपूर्ण निधन हो गया था। वह कहते हैं कि "मैं अपनी बेटी की याद में अध्ययन चिकित्सा जारी रखने के लिए दृढ़ हूँ।" प्रधान 69 वर्ष की आयु में MBBS की पढ़ाई पूरी करेंगे। अपने आगे के करियर के बारे में वह कहते हैं, “मैंने पहले ही अपनी नियमित नौकरी में शामिल होने का चरण पार कर लिया है। जो भी मैं अगले पांच वर्षों के दौरान सीखूंगा, मैं अपने जीवन के बाकी सालों में निजी तौर पर उसका अभ्यास करूंगा।"

प्रधान ने अपनी दृढ इच्छा शक्ति से यह साबित कर दिया है कि सपने पूरे करने की कोई उम्र नहीं होती। उनके जज़्बे को जागरण जोश का सलाम। 

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Sakshi Saroha is an academic content writer 3+ years of experience in the writing and editing industry. She is skilled in affiliate writing, copywriting, writing for blogs, website content, technical content and PR writing. She posesses trong media and communication professional graduated from University of Delhi.
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