सोशियोलॉजी से एमए करने वाले छात्रों के लिए करियर ऑप्शंस

हमें अपने पारंपरिक मूल्यों व बाहरी दुनिया के बीच संतुलन बनाने एवं व्यक्तिगत व सार्वजनिक क्रियाओं को पूरा करने के लिए तर्क संगत विचार सोशियोलॉजी के अध्ययन से आते हैं.

सोशियोलॉजी
सोशियोलॉजी

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा समाज में ही अपना पूर्ण विकास कर पाता है. बिना समाज के मनुष्य अपने जीवन की परिकल्पना तक नहीं कर सकता है. समाज की सबसे छोटी इकाई है परिवार और मनुष्य के मानसिक,शारीरिक तथा आर्थिक विकास की प्रारंभिक शुरुआत उसके घर से ही होती है. जन्म से लेकर म्रत्यु पर्यंत मनुष्य किसी न किसी  रूप में,रिश्तों की परिभाषा के साथ परिवार से जुड़ा रहता है. इसलिए समाज एक ऐसा घटक है जो मनुष्य को उन्नतशील तथा पतनशील दोनों ही मार्गों की तरफ उन्मुख करता है. इसलिए अगर किसी उम्मीदवार की रूचि सामाजिक गतिविधियों को जानने तथा उसकी छानबीन करने में है,तो सोशियोलॉजी उनके करियर के लिए एक बेहतर ऑप्शन साबित हो सकता है.

सोशियोलॉजी के अंतर्गत सामाजिक संरचना, रेस, कल्चर और सामाजिक परिवर्तन के बारे में मुख्य रूप से अध्ययन किया जाता है. वस्तुतः सोशियोलॉजी समाज में रहने वाले लोगों से जुड़ा हुआ विषय है और सीधे समाज से जुड़े होने के कारण आज के परिवेश में इसका महत्व बहुत अधिक हो गया है. आजकल तो इसे एमबीए के समकक्ष माना जाने लगा है.इसलिए इस विषय से मास्टर करने वाले उम्मीदवारों के लिए रोजगार की बहुत अधिक संभावनाएं हैं. व्यक्ति तथा उसकी रहन सहन तथा परिवेश के अध्ययन के कारण यह विषय बहुत रोचक भी है.आप सभी को पता है कि समाज की जीवन में अहम् भूमिका है और इसी समाज का अध्ययन इस विषय में किया जाता है.

मानव समाज के अध्ययन को ही सोशियोलॉजी अर्थात समाजशास्त्र कहा जाता है.भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार पूरी दुनिया में मनुष्य की सामाजिक संरचना भिन्न भिन्न है.इतना ही नही हर समाज की अपनी अलग अलग परम्पराएं भी हैं. आज के बदलते परिवेश की जरूरतों के अनुरूप सोशियोलॉजी के अंतर्गत चिकित्सा, सैन्य संगठन, जनसंपर्क और सामाजिक वैज्ञानिक ज्ञान का भी अध्ययन किया जाता है. आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रणालियों के सन्दर्भ में अगर देखें तो सोशियोलॉजी की शुरुआत भी पश्चिमी देशों से ही हुई है.

सोशियोलॉजी की विशिष्टता

सोशियोलॉजी यह जानने के लिए बहुत जरूरी है कि जिन परिस्थितियों में हम रह रहे हैं उसकी विसंगतियों को दूर कैसे किया जा सकता है ? इसी तरह यह हमें अपने पारंपरिक मूल्यों व बाहरी दुनिया के बीच संतुलन बनाने एवं व्यक्तिगत व सार्वजनिक क्रियाओं को पूरा करने के लिए तर्क संगत विचार  सोशियोलॉजी के अध्ययन से आते हैं.वस्तुतः सभी तरह की नीतियों और रणनीतियों का संबंध मानव जीवन की प्रगति से ही जुड़ा होता है.इसलिए अगर  करियर के लिहाज से देंखें तो इस विषय का महत्व स्वत: ही बढ़ जाता है. मानव सभ्यता, संस्कृति, समाज, जातीयता और सामाजिक संगठन आदि की जानकारी से हमें अपने वर्तमान को और अधिक बेहतर बनाने का मौका मिलता है.इन सभी विषयों के बारे में लोगों को शिक्षित कर उनका बेहतर समाजीकरण किया जा सकता है. इससे समाज में संस्कृति को संरक्षण मिलता रहता है.

सोशियोलॉजी का मुख्य उद्देश्य

  • सामाजिक विशिष्टताओं की पहचान कर मानवता को एकसूत्र में बांधने की कोशिश करना
  • सामाजिक जीवन में आ रहे परिवर्तनों की पहचान करना
  •  समाज से अंधविश्वास एवं नकारात्मक प्रवृतियों को दूर करने का प्रयास करना.  

सोशियोलॉजी से एमए करने वाले छात्रों के लिए रोजगार के अवसर

सोशियोलॉजी से एमए करने वाले छात्रों के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है. शिक्षाजगत और गैर सरकारी संगठनों के साथ काम करने के अलावा वे प्रशासनिक सेवा, मीडिया और कारपोरेट घरानों में भी अपने लिए नौकरी तलाश सकते हैं. सोशल साइंस के विभिन्न विषयों में जॉब अवसर हाल के दिनों में बहुत अधिक बढ़ गए हैं.एमए के बाद प्रशासनिक सेवा और रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रवेश पाने के लिए सोशल साइंस सबसे बेहतर विषय साबित हो रहा है. मीडिया में भी इस विषय के जानकारों की काफी मांग है क्योंकि वे समाज और उससे जुड़ी घटनाओं को दूसरों की तुलना में बेहतर तरीके से समझ पाते हैं और इन विषयों पर अपना पक्ष रखते हुए दर्शकों और पाठकों को उसके अनकहे पहलुओं से भी परिचित कराते हैं.सोशियोलॉजी के छात्र एनजीओ के साथ भी काम कर सकते हैं. इसके साथ ही वे समाज से जुड़े अन्य विषयों जैसे पर्यावरण, लिंगभेद आदि पर भी काम कर सकते हैं.इतना ही नहीं उनके लिए अध्यापन के क्षेत्र में भी काफी अच्छे अवसर हैं. राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान, राष्ट्रीय पुस्तकालय, संसदीय सेवाओं तथा सरकारी मंत्रालयों सहित विविध केंद्र सरकारी विभागों में भी इनके लिए रोजगार पाने के अच्छे अवसर मौजूद हैं.अगर जॉब प्रोफाइल की बात करें तो ये मुख्य रूप से सोशियोलॉजिस्‍ट,कम्यूनिटी ऑर्गेनाइजर,प्रोफेसर,लेक्चरर,कंसल्टेंट तथा काउंसलर के प्रोफाइल पर काम कर सकते हैं.

सोशियोलॉजी के अंतर्गत किये जाने वाले विभिन्न कोर्सेज

सोशियोलॉजी में बैचलर तथा मास्टर डिग्री कोर्स मौजूद हैं. किसी भी स्‍ट्रीम से 12वीं करने वाले छात्र आगे सोशियोलॉजी की पढ़ाई कर सकते हैं. इसके अलावा सोशियोलॉजी में एमफिल और पीएचडी भी की जा सकती है. सोशियोलॉजी के अंतर्गत मुख्यतः निम्नांकित विषयों को पढ़ाया जाता है -

  • इकॉनोमिक सोशियोलॉजी
  • पोलिटिकल सोशियोलॉजी
  • सोशियोलॉजी ऑफ किनशिप
  •  अप्लाइड सोशियोलॉजी
  •  सोशियोलॉजी ऑफ रिलीजन  

सोशियोलॉजी का अध्ययन कराने वाली मुख्य भारतीय तथा विदेशी यूनिवर्सिटीज

भारत में

  • टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, मुंबई
  • यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद
  • यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान 
  • बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी
  • यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास
  • पटना यूनिवर्सिटी
  • दिल्ली यूनिवर्सिटी
  • इलाहाबाद यूनिवर्सिटी
  • लखनऊ यूनिवर्सिटी
  • हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला (हिप्र)
  •  गवर्नमेंट कालेज धर्मशाला (हिप्र)
  • कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
  •  पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
  • जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
  •  बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल
  •  देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय, इंदौर
  • अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
  • मुंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई
  • जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
  • भारतीय सांख्यिकी संस्थान, बैंगलुरू

विदेश में

  • न्यूयार्क यूनिवर्सिटी
  • मिशिगन यूनिवर्सिटी
  • यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज 
  • यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स 

इस प्रकार हम देखते हैं कि सोशियोलॉजी में स्पेशलाइजेशन करने के बाद रोजगार की संभावनाएं काफी अधिक बढ़ जाती हैं. भारत में ही नहीं भारत से बाहर विदेशों में भी सोशियोलॉजी स्पेशलाइजेशन वाले उम्मीदवारों की बहुत अधिक मांग है.यूनिसेफ और रेडक्रॉस जैसी संस्थाएं समाजशास्त्र के विशेषज्ञों को काफी अच्छे पैकेज पर हायर करती हैं. अतः विदेशों में अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों के लिए यह बेहतर विषय साबित हो सकता है.

सोशियोलॉजी से एमए करने वाले छात्रों की संभावित सैलरी
सोशियोलॉजी के फील्ड में सैलरी मुख्यतः इस बात पर निर्भर करती है कि आप ने सरकारी क्षेत्र में ज्वाइन किया है या प्राइवेट फील्ड में.आप अपने देश में ही रोजगार कर रहे हैं या फिर विदेश में किसी एनजीओ के साथ कार्यरत हैं. इस फील्ड में आरंभिक वेतन लगभग 15000 से 20000 हजार तक मिलने की उम्मीद होती है तथा आगे चलकर कार्य अनुभव और पद के अनुसार सैलरी बढ़ती जाती है.

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