उभरते हुए नए टूल्स और टेक्नोलॉजी की मदद से लगातार विकसित हो रहा है डेटा साइंस, कैसे इस क्षेत्र में पाएं जॉब

भारत का टेक्नोलॉजी सेक्टर एक गंभीर चुनौती से जूझ रहा है, ये चुनौती है स्किल्स की कमी, साथ ही साथ रिक्रूटमेंट का कम होना है।

Jan 18, 2024, 11:55 IST
उभरते हुए नए टूल्स और टेक्नोलॉजी की मदद से लगातार विकसित हो रहा है डेटा साइंस, कैसे इस क्षेत्र में पाएं जॉब
उभरते हुए नए टूल्स और टेक्नोलॉजी की मदद से लगातार विकसित हो रहा है डेटा साइंस, कैसे इस क्षेत्र में पाएं जॉब

भारत का टेक्नोलॉजी सेक्टर एक गंभीर चुनौती से जूझ रहा है, ये चुनौती है स्किल्स की कमी, साथ ही साथ रिक्रूटमेंट का कम होना है। दरअसल, स्टाफिंग कंपनी  TeamLease के चौंकाने वाले खुलासे ये बताते हैं कि भारत के टेक्नोलॉजी सेक्टर को दोहरी दुविधा का सामना करना पड़ रहा है: IT कंपनियों में घटती नई नियुक्तियों के साथ-साथ कौशल की कमी। इस साल संख्या गंभीर तस्वीर पेश करती है। एक अनुमान के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024 में 155,000 नई भर्तियां हुई हैं, जो वित्तीय वर्ष 2023 के 230,000 से बहुत कम है।

यह महज उतार-चढ़ाव नहीं है, बल्कि यह इंडस्ट्री में स्किल्स के बदलाव का संकेत है, जो ऑटोमेशन और AI की निरंतर प्रगति से प्रेरित हैं, कंपनियों को आने वाली संभावनाओं और समस्याओं को जानने में मदद करती हैं। यह ट्रेंड एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है, वो है तेजी से विकसित हो रहे टेक्नोलॉजी के सामने कौशल विकास की तत्काल आवश्यकता। यह मुद्दा भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि डेटा साइंटिस्ट की बढ़ती मांग वैश्विक ट्रेंड को दर्शाता है। आइए इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए कुछ प्रमुख डेटा के बारे में जानते हैं। 

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वैश्विक और भारतीय परिस्थिति

विश्व आर्थिक मंच (WEF) की “Future of Jobs Report 2023”: यह रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर लेबर मार्केट ट्रेंड और जॉब की बदलती प्रकृति का व्यापक अवलोकन प्रदान करती है। यह रिपोर्ट बिजनेस में टेक्नोलॉजी को अपनाने के बढ़ते महत्व पर जोर देती है, जिसमें अगले पांच वर्षों में बदलाव और एफिशिएंसी लाने के लिए  85% से अधिक कंपनियां नई टेक्नोलॉजी अपना रही हैं। 

भारत में डेटा साइंटिस्ट्स की मांग: IBM की एक रिपोर्ट के अनुसार 2023 तक डेटा साइंटिस्ट्स की मांग 28% बढ़ने की उम्मीद है। यह बढोत्तरी इस बात का संकेत है कि एक क्षेत्र के रूप में डेटा साइंटिस्ट्स की जबरदस्त वृद्धि होगी। खासकर टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ने वाले भारत देश में।

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स्किल की कमी में योगदान देने वाले कारक

एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर vs इंडस्ट्री ग्रोथ: जिस तरह से तेजी से डेटा का विस्तार हो रहा है और डेटा की मदद से बिजनेस के डिसीजन लिए जा रहे हैं, उसे देखते हुए डेटा साइंस में स्पेशलाइज्ड एजुकेशनल प्रोग्राम की भारी कमी है। 

उभरती टेक्नोलॉजी में स्किल गैप: डेटा साइंस उभरते हुए नए टूल्स और टेक्नोलॉजी की मदद से लगातार विकसित हो रहा है। इस बढ़ते हुए क्षेत्र की वजह से स्किल्स में गैप दिखाई दे रहा है। ऐसे कई पेशेवर हैं जो अभी भी इस क्षेत्र में अपने आप को अपडेट रखने में संघर्ष कर रहे हैं। 

प्रैक्टिकल एक्स्पोजर बहुत कम: कई डेटा साइंस कोर्स थ्योरी के हिसाब से सही होते हैं, लेकिन जब वास्तविक दुनिया के डेटा और समस्याओं को समझना होता है तो वहां व्यावहारिक अनुभव की भारी कमी दिखाई देती है।  

जियोपॉलिटिकल प्रभाव: शिक्षा, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर नीतियों सहित जियोपॉलिटिकल कारक डेटा साइंस एजुकेशन और ट्रेनिंग की उपलब्धता और गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।

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इस स्किल गैप को कैसे कम करें

शैक्षणिक संस्थानों के साथ ट्रेनिंग प्रोग्राम और नॉलेज पार्टनरशिप में निवेश करने वाली कंपनियां टैलेंट को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण मदद कर सकती हैं। यह अब एक बिजनेस है, क्योंकि कंपनियां पोस्ट-इवेंट विश्लेषण से लेकर ट्रेंड का पूर्वानुमान लगाने और सटीक फैसलों के लिए डेटा का उपयोग करने की ओर बढ़ रही हैं। डेटा साइन्टिस्ट एनालिटिक्स से लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लेने तक सटीक राय बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ऐसे कई शैक्षणिक संस्थान हैं जो डेटा साइंस में प्रोग्राम की पेशकश करते हैं। वैसे कोलकाता और बेंगलुरु कैंपस वाले Praxis Tech School को भारत का नंबर 1 डेटा साइंस संस्थान का दर्जा दिया गया है। यह संस्थान डेटा साइंस के क्षेत्र में अग्रणी है, जिसने पिछले 10 सालों में डेटा साइंस (PGPDS) में एक अत्यधिक सम्मानित पोस्ट-ग्रेजुएट प्रोग्राम की पेशकश करके एक गहरी प्रतिष्ठा स्थापित की है। यह 9 महीने का फुल टाइम प्रोग्राम है, जिसमें जेनरेटिव एआई और मशीन लर्निंग शामिल है।  

इस प्रोग्राम को इंडस्ट्री नॉलेज पार्टनर्स से रियल टाइम इनपुट के साथ डिजाइन किया गया है। करिकुलम को लेटेस्ट डेवलपमेंट के साथ जोड़ने के लिए अपडेट किया गया है और यह डेटा साइंस, इसके एप्लीक्शन्स और आवश्यक टूल्स में ट्रेनिंग प्रदान करता है। PGPDS प्रोग्राम कोलकाता और बैंगलोर में पेश किया गया है। अधिक जानकारी के लिए, www.praxistech.school पर जाएं। 

Praxis Tech School अपने वर्कफ्लो में एनालिटिक्स को समझने और लागू करने के लिए अभ्यास करने वाले मैनेजर के लिए कॉर्पोरेट ट्रेनिंग वर्कशॉप भी प्रदान करता है। डेटा साइंस स्किल की कमी एक महत्वपूर्ण चुनौती है, लेकिन यह भारत के लिए उभरती टेक्नोलॉजी पर ध्यान केंद्रित करने, स्किल डेवलपमेंट को प्रोत्साहित करने और टेक्नोलॉजी में अग्रणी ग्लोबल प्लेयर के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर भी देती है। Praxis Tech School ने इस बदलाव को जल्दी ही पहचान लिया था और अपने प्रोग्राम कोर्स के साथ इस अंतर को पाटने का काम किया है जो डिजिटल कल के लिए लीडर्स तैयार कर रहे हैं।

Note: The article is written by the Brand Desk.

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