सहपाठी तथा मित्रों का पढ़ाई से सम्बंधित दबाव : उपयोगी या हानिकारक ?

Jun 21, 2017, 13:19 IST

इस लेख में हम सहपाठी तथा मित्रों के दबाव के प्रभाव पर चर्चा करेंगे. कुछ लोगों के दृष्टिकोण में यह तर्कसंगत तथा सही है जबकि कुछ लोगों का मानना है कि इससे अनायास ही प्रतिद्वंद्विता (दुश्मनी) की भावना विकसित होती है जो छात्रों के लिए बिलकुल अच्छा नहीं है.

स्कूल में हमें इस संसार को भिन्न भिन्न दृष्टिकोण से देखने का अवसर मिलता है. हम अलग अलग तरीकों से अपनी खोज और जिज्ञाषा को जारी रखते हैं. इस खोज में हम अकेले नहीं होते बल्कि हमारे माता-पिता,शिक्षक,मित्र और हामारे साथी सहयोगी के रूप में हमेशा साथ होते हैं. सहपाठियों के साथ अधिक सामीप्यता के कारण हमारे व्यक्तित्व पर उनका असर सर्वाधिक होता है तथा हमारे शारीरिक विकास के साथ साथ कुछ आदतों के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है.परिणामतः कभी कभी ये हमारे साथी हम पर किसी विशेष कार्य को करने के लिए दबाव देने लगते हैं.

peer pressure

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साथी का दबाव उपयोगी होता है : सहपाठी तथा मित्रों का दबाव उपयोगी होता है क्योंकि इससे हमें और अधिक चौकस, सतर्क रहने के साथ साथ  हमारे चारों ओर होने वाली घटनाओं के प्रति सजग रहने हेतु प्रेरित किया जाता है. यहाँ तक कि ऐसी छोटी बातें जो हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं और छात्र उसे नजरअंदाज कर देते हैं, वैसी बातों के प्रति चौकन्ना रहने की प्रवृति का विकास भी सहपाठी तथा मित्रों के दबाव के कारण होता है. अगर हम कमजोर और आलसी प्रवृति के हैं तो यह निश्चित रूप से बहुत अच्छा है.

जब हमारे साथी कुछ उपलब्धि हासिल करते हैं तो यह हमारे लिए एक वेकअप कॉल का काम करता है. उनसे प्रेरणा लेकर हम कुछ करने तथा काम करने के तरीके में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयत्नशील रहते हैं.

उदाहरण के लिए यदि मेरे सहपाठी ने अध्ययन करने के लिए एक निश्चित समय सारणी अपनाई है और यह बेहतर परिणाम प्रदान कर रहा है, तो मैं भी उस समय सारणी को अपनाने और अपने ग्रेड को बेहतर करने का प्रयास कर सकता हूं. अपने साथियों के साथ रहते समय हम उनकी अच्छी आदतों पर गौर करते हुए उनसे कुछ सीख सकते हैं. उदाहरण के लिए- अध्ययन करना, साइकिल चलाना, स्केचिंग इत्यादि आदतों को सीख कर हम अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं.

सहपाठी तथा मित्रों के साथ रहते हुए हम जीवन के प्रति अपने नकारात्मक दृष्टिकोण को सकारात्मक दृष्टिकोण में बदल सकते हैं साथ ही दबाव को प्रेरणा में परिवर्तित कर सकते हैं.

सहपाठी तथा मित्रों का दबाव हानिकारक है: हम सभी जानते हैं कि छात्रों को उनकी पढ़ाई के दौरान बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हर परीक्षा में अच्छे नंबर लाने का काफी दबाव उन पर होता है और उस समय यह दबाव और अधिक हो जाता है जब माता-पिता अभिभावक तथा शिक्षक हमारी व्यक्तिगत प्रवृति को समझे बिना हमारी तुलना किसी और से करते हैं. 

उदाहरण के लिए अगर आपका कोई सहपाठी संगीत में बहुत अच्छा और लोकप्रिय है, तो संभावना है कि आपके माता पिता आप पर भी संगीत लेने का दबाव डालें. इसके अतिरिक्त आपके साथी मित्रों को देखकर अन्य और क्षेत्रों में बेहतर करने का सुझाव देंगे. लेकिन हो सकता है कि आप इससे भिन्न किसी अन्य क्षेत्र में जैसे फुटबॉल या पिंग पोंग में कुछ करना चाहते हों.ऐसी स्थिति में साथी का दबाव आपकी वास्तविक प्रतिभा का हनन कर सकता है. इससे आपका व्यक्तित्व प्रभावित हो सकता है. 

करियर के विषय में भी यही बात लागू होती है. अगर मेरे किसी साथी ने विज्ञान विषय लिया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे भी विज्ञान लेना चाहिए. मैं इंजीनियरिंग या चिकित्सा में अच्छा कर सकता हूँ.

इसलिए कभी भी जो दूसरे कर रहे हैं वैसा करने का दबाव साथियों या माता-पिता या अभिभावकों द्वारा नहीं बनाया जाना चाहिए.

सहपाठी तथा मित्रों के दबाव से कभी भी गलत आदतों का शिकार नहीं होना चाहिए. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि

छात्र अपने साथियों के दबाव से धूम्रपान या पीने जैसी बुरी आदतों के शिकार हो जाते हैं जिसका खामियाजा उन्हें अपने आगे की जिंदगी में भुगतना पड़ता है. किशोरावस्था जीवन की बहुत नाजूक अवस्था होती है और इस समय छात्रों में सही और गलत की समझ होना बहुत जरुरी है तभी वे साथियों के दबाव में न आकर अपने जीवन के लिए सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे.

दूसरे ऐसा कह रहे हैं या फिर मेरा साथी हमसे नाराज हो जायेगा,ऐसा सोचकर हमें कभी भी किसी निर्णय को अपने ऊपर थोपने का प्रयास नहीं करना चाहिए. इससे हमारी अद्वितीय पहचान, मौलिकता और व्यक्तित्व सभी प्रभावित होंगे तथा कहीं न कहीं हम नकारात्मकता का शिकार होते चलें जाएंगे.

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