दि‍वाली पर हिंदी में कविताएँ: Diwali Poems in Hindi [2024]

इस लेख में दीपावली पर 5 कविताएँ प्रस्तुत की गई हैं। स्कूल के बच्चे इन कविताओं को पढ़ सकते हैं और स्कूल कार्यक्रम में कविता पाठन भी कर सकते हैं।

Nov 1, 2024, 15:18 IST
दि‍वाली पर हिंदी में कविताएँ: Diwali Poems in Hindi [2024]
दि‍वाली पर हिंदी में कविताएँ: Diwali Poems in Hindi [2024]

दीपावली एक खुशी और उत्सव का महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो हर साल लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के कार्तिक मास के अमावस्या दिन को मनाया जाता है और अक्टूबर से नवम्बर के बीच आता है। दीपावली को "दीपों का त्योहार" भी कहा जाता है क्योंकि इसे घरों में दीपकों के साथ मनाया जाता है।

दीपावली का त्योहार सामाजिक और पारंपरिक महत्व के साथ आता है। यह एक मौका है जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ आते हैं और मिलकर धन और समृद्धि की कामना करते हैं। दीपावली के दिन घर के बाहर और अंधकार से छुटकारा पाने के रूप में दीपक जलाए जाते हैं। लक्ष्मी पूजा के दिन लोग अपने घरों को सफाई करते हैं और उन्हें खूबसुरती से सजाते हैं। दीपावली के त्योहार का अहम हिस्सा बच्चे होते हैं, जो खुशियों के साथ पटाखों की आवाज सुनने का आनंद लेते हैं और मिठाई खाते हैं।

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दीपावली के त्योहार पर पांच कविताएँ:

1. साथी, घर-घर आज दिवाली!

साथी, घर-घर आज दिवाली!

फैल गयी दीपों की माला
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!

हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!

आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!

– हरिवंशराय बच्चन

2. दीप से दीप जले 

सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें
कर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें।

लक्ष्मी खेतों फली अटल वीराने में
लक्ष्मी बँट-बँट बढ़ती आने-जाने में
लक्ष्मी का आगमन अँधेरी रातों में
लक्ष्मी श्रम के साथ घात-प्रतिघातों में
लक्ष्मी सर्जन हुआ
कमल के फूलों में
लक्ष्मी-पूजन सजे नवीन दुकूलों में।।

गिरि, वन, नद-सागर, भू-नर्तन तेरा नित्य विहार
सतत मानवी की अँगुलियों तेरा हो शृंगार
मानव की गति, मानव की धृति, मानव की कृति ढाल
सदा स्वेद-कण के मोती से चमके मेरा भाल
शकट चले जलयान चले
गतिमान गगन के गान
तू मिहनत से झर-झर पड़ती, गढ़ती नित्य विहान।।

उषा महावर तुझे लगाती, संध्या शोभा वारे
रानी रजनी पल-पल दीपक से आरती उतारे,
सिर बोकर, सिर ऊँचा कर-कर, सिर हथेलियों लेकर
गान और बलिदान किए मानव-अर्चना सँजोकर
भवन-भवन तेरा मंदिर है
स्वर है श्रम की वाणी
राज रही है कालरात्रि को उज्ज्वल कर कल्याणी।।

वह नवांत आ गए खेत से सूख गया है पानी
खेतों की बरसन कि गगन की बरसन किए पुरानी
सजा रहे हैं फुलझड़ियों से जादू करके खेल
आज हुआ श्रम-सीकर के घर हमसे उनसे मेल।
तू ही जगत की जय है,
तू है बुद्धिमयी वरदात्री
तू धात्री, तू भू-नव गात्री, सूझ-बूझ निर्मात्री।।

युग के दीप नए मानव, मानवी ढलें
सुलग-सुलग री जोत! दीप से दीप जलें।

-माखनलाल चतुर्वेदी

3. दीपावली 

आती है दीपावली, लेकर यह सन्देश।
दीप जलें जब प्यार के, सुख देता परिवेश।।
सुख देता परिवेश,प्रगति के पथ खुल जाते।
करते सभी विकास, सहज ही सब सुख आते।
‘ठकुरेला’ कविराय, सुमति ही सम्पति पाती।
जीवन हो आसान, एकता जब भी आती।।

दीप जलाकर आज तक, मिटा न तम का राज।
मानव ही दीपक बने, यही माँग है आज।।
यही माँग है आज,जगत में हो उजियारा।
मिटे आपसी भेद, बढ़ाएं भाईचारा।
‘ठकुरेला’ कविराय ,भले हो नृप या चाकर।
चलें सभी मिल साथ,प्रेम के दीप जलाकर।।

जब आशा की लौ जले, हो प्रयास की धूम।
आती ही है लक्ष्मी, द्वार तुम्हारा चूम।।
द्वार तुम्हारा चूम, वास घर में कर लेती।
करे विविध कल्याण, अपरमित धन दे देती।
‘ठकुरेला’ कविराय, पलट जाता है पासा।
कुछ भी नहीं अगम्य, बलबती हो जब आशा।।

दीवाली के पर्व की, बड़ी अनोखी बात।
जगमग जगमग हो रही, मित्र, अमा की रात।।
मित्र, अमा की रात, अनगिनत दीपक जलते।
हुआ प्रकाशित विश्व, स्वप्न आँखों में पलते।
‘ठकुरेला’ कविराय,बजी खुशियों की ताली।
ले सुख के भण्डार, आ गई फिर दीवाली।।

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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4. जगमग-जगमग

हर घर, हर दर, ब़ाहर, भींतर,

नीचें ऊ़पर, हर जग़ह सुघ़र,

कैंसी उजियाली हैं पग़-पग़,

जग़मग जगमग़ जगमग़ जगमग!

छज्जो मे, छत मे, आलें मे,

तुलसी कें नन्हे थाले मे,

यह कौंन रहा हैं दृग़ को ठग़?

जगमग़ जगमग़ जगमग जगमग़!

पर्वत मे, नदियो, नहरो मे,

प्यारीं प्यारीं सी लहरो मे,

तैरतें दीप कैंसे भग-भग़!

जगम़ग जगमग़ जगमग जगमग़!

राजा के घर, कंग़ले कें घर,

है वहीं दीप सुन्दर सुन्दर!

दीवाली की श्रीं हैं पग-पग़,

जगमग़ जगमग जगमग़ जगमग 

- सोहनलाल द्विवेदी

5. दीपावली का त्योहार आया

दीपावली का त्योहार आया,
साथ में खुशियों की बहार लाया।

दीपको की सजी है कतार,
जगमगा रहा है पूरा संसार।

अंधकार पर प्रकाश की विजय लाया,
दीपावली का त्योहार आया।

सुख-समृद्धि की बहार लाया,
भाईचारे का संदेश लाया।

बाजारों में रौनक छाई,
दीपावली का त्योहार आया।

किसानों के मुंह पर खुशी की लाली आयी,
सबके घर फिर से लौट आई खुशियों की रौनक।

दीपावली का त्यौहार आया,
साथ में खुशियों की बहार लाया।

– नरेंद्र वर्मा 

 छात्र इन कविताओं का संदर्भ कर सकते हैं और यह भी कोशिश कर सकते हैं कि वे अपनी खुद की कविताएँ बनाएं या रचें। कविता रचते समय, छात्रों को कविता में छवियाँ शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए, कविता को दिलचस्प बनाने के लिए नई शब्दों की खोज करनी चाहिए, एक उत्सवपूर्ण भावना और माहौल बनाना चाहिए। छात्र अपनी आत्मरचित कविताओं को अपने सहवार्गियों के साथ साझा कर सकते हैं और एक-दूसरे की कविताएँ पढ़ सकते हैं। इससे छात्रों को एक ही विषय पर कविता लिखने के विभिन्न तरीकों और दृष्टिकोणों को समझने में मदद मिलेगी। यह गतिविधि उनका साहस बढ़ाएगी और शब्दों के साथ कविता के रूप में लिखने और प्रयोग करने के लिए उत्साह और उत्सव को बढ़ाएगी।

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दीपावली, प्रकाश का त्योहार, हमें एक समुदाय के रूप में एक साथ आने और प्रकाश के अंधकार, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर जीत का जश्न मनाने का समय है। हम अपने घरों को दीयों और भव्य सजावट के साथ सजाते हैं, उसी तरह हमें अपने दिल और मन को दया और एकता के भाव से भी रोशन करना चाहिए। इस दीपावली, हमें याद रखना चाहिए कि खुशी, प्यार और साझेदारी को बढ़ावा देने का महत्व है, न केवल हमारे परिवारों में बल्कि उन सभी लोगों के पास जो हमारे आसपास हैं। हम मिठाइयाँ और उपहार बाँटते हैं, वैसे ही हम मुस्कानें और अच्छाई का आदान-प्रदान भी करें। 

दिवाली के प्रकाशमय चमक से आपका मार्ग प्रकाशित हो, अंधकार को दूर करके खुशी, समृद्धि और प्रेम को बढ़ावा दें। शुभ दीवाली! सुरक्षित रहें और पर्यावरण-अनुकूल दीपावली मनाएं!

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Garima Jha
Garima Jha

Content Writer

    Garima is a graduate in English from the University of Delhi and post-graduate in English Journalism from the Indian Institute of Mass Communication. She is a content writer with around 3 years of experience and has previously worked with Inshorts. She finds solace in the world of books and art. At Jagranjosh.com, Garima creates content related to the school section.

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