Diwali Story for Kids in Hindi: दीपावली की कहानी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

Diwali Story in Hindi for Kids: यहां पढ़े दीपावली के शुभ अवसर पर दिवाली की प्रेरणादायक कहानी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए। इस साल दिवाली का त्योहार 31,अक्टूबर को धूम धाम से मनाया जायेगा। 

Oct 30, 2024, 10:09 IST
Diwali Story for Kids in Hindi: दीपावली की कहानी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए.
Diwali Story for Kids in Hindi: दीपावली की कहानी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए.

Diwali Story in Hindi for Students and Kids: रोशनी का त्योहार, दिवाली, भारत का प्रमुख त्योहार है।  यह भारत में सबसे ज्यादा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। दीपावली को ‘दीपों का त्योहार’ भी कहा जाता है क्योंकि इसे घरों में दीपकों के साथ मनाया जाता है। दिवाली खुशियों और उत्साह का पर्व है। दिवाली परिवारों, दोस्तों और समुदायों को करीब लाती है। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के कार्तिक मास के अमावस्या दिन को मनाया जाता है और अक्टूबर से नवम्बर के बीच आता है। 

दीपावली के पावन अवसर पर लोग धन, सुख, और शांती की कामना करते हैं। कई भारतीय संस्कृतियों के लिए दिवाली का त्यौहार ही नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। दिवाली बुराई पर अच्छाई का प्रतिक है क्यूंकि इसी दिन भगवान् राम रावण को हराने के बाद 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे थे। इस दिन अयोध्यावासियों ने अपने श्री राम के लौटने की खुशी  में अपने घरों और पूरे शहर को दीयों से सजाया था। 

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दिवाली पर लोग अपने घरों को साफ करते हैं, फूलों से सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, दीये जलाते हैं और पूरे घर को रोशनी से भर देते हैं। दीवाली की रात देवी लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। दीपावली के अवसर पे विद्यालयों मे तरह तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। यहाँ हमने दीपावली की कहानी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए प्रदान की है जिसे आप विद्यालयों में सुना सकते है। यह प्रेणादायक कहानी माता पिता और शिक्षक भी बच्चो को सुना सकते है। दिवाली क्यों मनाते है? इसके पीछे क्या कहानी है? दीये जलाने से ले कर उपहारों के आदान प्रदान का महत्व क्या है ? इन् सवालों का जवाब बताये बच्चो को दिवाली की कहानी मे।

Diwali Story in Hindi for Kids: दीपावली की कहानी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

दिवाली का त्यौहार

दिवाली एक हिंदू त्योहार है जिसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली पांच दिवसीय त्यौहार है। दिवाली त्यौहार के दौरान, घरों को साफ किया जाता है और घर के हर कोने को दीपक, फूलों और रंगीन रंगोलियों से सजाया जाता है। लोग उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। दिवाली की रात यानि इस पूरे त्यौहार के मुख्या शाम को लोग धन और समृद्धि के देवी-देवता, लक्ष्मी मान और भगवान गणेश की विशेष पूजा करते है।लोग घरों में रंगीन मिट्टी के दीये जलाते हैं, जो प्रकाश और आशा की विजय का सन्देश देते हैं। दीपावली सिर्फ रोशनी का नहीं बल्कि आपसी प्रेम का त्यौहार भी है।  यह परिवारों को एक साथ लाती है, खुशियाँ फैलाती है।

दिवाली की कहानी 

दीपावली मानाने के पीछे कई कथन हैं। महाकाव्य रामायण के अनुसार रावण को हराने के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाई जाती है। श्री राम को 14 साल के लिए अयोध्या से उनके पिता, राजा दशरथ द्वारा वनवास दिया गया था। उनकी पत्नी, माता सीता और भाई लक्षमण भी साथ थे। तीनो ने 14 साल जँगलो में भटकते हुए विभिन चुनोतियों का सामना किया। 

वनवास के दौरान, लंका के राजा, रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था। एक दिन जब माता सीता कुटिया में अकेली थी तब रावण ने संत का रूप धारण करके, छल से उनका अपहरण कर लिया। दिव्य पक्षी जटायु बहादुरी से रावण से लड़ने की कोशिश करता है, लेकिन रावण माता सीता को समुद्र पार करके अपने राज्य लंका में ले जाता है।

राम, वानरों के राजा सुग्रीव और सेनापति हनुमान की मदद से लंका तक पहुँचने के लिए समुद्र पर पत्थरों का एक पुल बनाते हैं। पत्थरों को उछाल का वरदान प्राप्त है, इसलिए वे डूबते नहीं हैं। एक लंबी लड़ाई के बाद, राम ने रावण को हराया और माता सीता को बचाया।

जब उनका वनवास समाप्त हुआ, राम, सीता और लक्ष्मण अपने राज्य अयोध्या लौट आये। अयोध्या के लोगों ने उनके स्वागत के लिए दीये जलाए और अपने घरों को सजाया। भगवान राम की अयोध्या वापसी अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसी लिए  हम रोशनी का त्योहार दिवाली मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। 

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महाभारत में दिवाली

दीपावली मनाने के पीछे एक कथन महाभारत से जुड़ा हुआ है। यह कहानी है पांडव भाइयों के वनवास की। पांचों पांडव भाई कौरवों के खिलाफ पासे के एक धोखेबाज खेल में अपनी सारी संपत्ति खो देते हैं। वर्षों की कठिनाइयों के बाद, पांडव और उनकी पत्नी द्रौपदी कार्तिक अमावस्या की रात में अपने राज्य वापस लौट आए। उनकी प्रजा, उनकी वापसी पर खुश होकर, मिट्टी के दीपक जलाती है।

दिवाली क्यों मनाते हैं ?

दिवाली, दीवाली या दीपावली को 'रोशनी का त्योहार' भी कहा जाता है। कई भारतीय संस्कृतियों के लिए दिवाली का त्यौहार ही नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। दिवाली बुराई पर अच्छाई का प्रतिक है क्यूंकि इसी दिन भगवान् राम रावण को हराने के बाद 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे थे। दिवाली पर लोग अपने घरों को साफ करते हैं,  फूलों से सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, दीये जलाते हैं और पूरे घर को रोशनी से भर देते हैं। 

पड़ोसी, दोस्त, रिश्तेदार एक-दूसरे से प्यार से मिलते हैं और उपहार एवं मिठाइयाँ लेते - देते हैं। दिवाली उत्सव देवी लक्ष्मी की मुक्ति का भी प्रतीक है, जिन्हें राजा बलि ने कैद कर लिया था। भगवान विष्णु ने भेष बदलकर उन्हें राजा से बचाया, जिससे कई क्षेत्रों में दिवाली का हर्षोल्लास मनाया जाने लगा, क्योंकि यह लोगों के घरों में पूजनीय देवी लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक है। कई लोगों का मानना है कि वह आने वाले वर्ष में उन्हें धन और समृद्धि का आशीर्वाद देंगी। 

दिवाली के पांच दिन 

पहले दिन के उत्सव को धनतेरस कहा जाता है। यह दिन नई चीजें, खासकर सोना और चांदी खरीदने के लिए शुभ दिन माना जाता है। 

दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का दिन है क्योंकि इस दिन बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए विशेष अनुष्ठान किये जाते हैं। 

दिवाली, यानि के तीसरे दिन, रावण को हराने के बाद भगवान राम की अपने राज्य अयोध्या में वापसी का जश्न है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवन गणेश की भी पूजा की जाती है। 

दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। 

भैया दूज दिवाली का 5वां और अंतिम दिन है। यह भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का जश्न मनाने का दिन है। बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं।

विद्यार्थी और बच्चे पर्यावरण-अनुकूल दिवाली मनाए और इस त्योहार को मनाने के अधिक जिम्मेदार और सामंजस्यपूर्ण तरीके को बढ़ावा दें। शुभ दीपावली !

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Garima Jha
Garima Jha

Content Writer

    Garima is a graduate in English from the University of Delhi and post-graduate in English Journalism from the Indian Institute of Mass Communication. She is a content writer with around 3 years of experience and has previously worked with Inshorts. She finds solace in the world of books and art. At Jagranjosh.com, Garima creates content related to the school section.

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