अब तक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने कर्मचारियों के साथ लाभ का साझा नहीं करते. आम तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों की वेतन स्लिप्स में परफॉर्मेंस इन्सेन्टिव नामक कोई भी घटक नहीं होता है। यदि हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के वेतन का घटक देखे तो यह निन्मलिखित है:
- मूल वेतन (Basic Salary)
- महंगाई भत्ता (Dearness Allowance)
- घर भाड़ा भत्ता (House Rent Allowance)(यदि कोई अधिकारी बैंक द्वारा प्रदान की जाने वाली पट्टा सुविधा का लाभ उठा रहा है, तो एचआरए घटक बैंकों द्वारा देय नहीं है)
- मुआवजा शहर भत्ता (Compensatory City Allowance)
इन अब भत्तो के अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों को अखबार भत्ते, पेट्रोल भत्ते, मनोरंजन भत्ते आदि जैसी विभिन्न सुविधाएं हैं। लेकिन अब, सरकारी बैंकिंग क्षेत्र में इन बैंकरों की वेतन गणना में निष्पादन संबंधित वेतन का कोई निश्चित घटक नहीं है।
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एसबीआई द्वारा प्रस्तावित प्रॉफिट शेयरिंग स्कीम
हालांकि, समय बदल रहा है और साथ ही, बैंकिंग जगत भी बड़े परिवर्तन से गुजर रहा है इसके साथ ही 11 वे द्विपक्षीय समझौते के बाद बैंक कर्मचारियों की वेतन संरचना में महवपूर्ण बदलाव होने की उम्मीद है। देश का सबसे बड़े ऋणदाता, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपने कर्मचारियों के हित में एक सराहनीय कदम उठाया गया है। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपने वरिष्ठ प्रबंधन और मध्य प्रबंधन के कर्मचारियों के साथ बैंक के शुद्ध लाभ का 3-5% हिस्सा साझा करने पर विचार करने के लिए वित्त मंत्रालय में लिखित रूप से प्रस्ताव भेजा है।
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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में समग्र परिदृश्य
बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया आदि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने भी भविष्य में प्रॉफिट शेयरिंग स्कीम लांच करने का प्रस्ताव रखा है। यदि ये स्कीम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सफलतापूर्वक लांच हो जाती , तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रतिभा को रिटेन करने में सक्षम हो जाएगा। आज के समय में प्रतिभा को रिटेन करना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के लिए चुनौती है क्योंकि इन बैंकों के लिए खास तौर से निजी क्षेत्र के बैंक आकर्षक वेतन पैकेज और व्यावसायिक नीतियों के साथ युवा पीढ़ी को ज्यादा आकर्षित कर रहा है। बैंकिंग क्षेत्र में अनुभवी और प्रतिभाशाली लोगों को बनाए रखने के लिए हाल के दिनों में टैलेंट रिटेंशन एक बड़ा मुद्दा रहा है । सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गैर-निष्पादक संपत्ति (Non Performing Asset) के बढ़ते प्रतिशत का एक कारण प्रोफेशनलिज्म और प्रतिभा का अभाव भी है।
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एसबीआई प्रस्ताव की वर्तमान स्थिति
एसबीआई के प्रस्ताव के संबंध में अभी तक कुछ भी अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है, लेकिन सरकार गंभीर रूप से इस योजना को सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को शुरू करने की सोच रही है और इस संबंध में सरकार की तरफ से भारतीय बैंक संघ (Indian Bank Association) की राय भी मांगी गयी है। यह
एसबीआई की यह पहल कब तक लागू होगी यह अभी निश्चित नहीं है, लेकिन उम्मीद की जाती है कि निकट भविष्य एसबीआई का यह प्रस्ताव बैंकिंग उद्योग में एक सकारात्मक बदलाव ज़रूर लायेगा .
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