Positive India: माँ के साथ घर-घर जाकर बेचते थे चूड़ियाँ, गरीबी से लड़ कर बनें IAS अफसर - जानें रमेश घोलप की कहानी

Jun 21, 2021, 17:48 IST

कौन कहता है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प रंग नहीं लाते हैं? जानें चूड़ियाँ बेचने से लेकर IAS अधिकारी बनने तक रमेश घोलप की प्रेरक कहानी।

From Bangle Seller to IAS Ramesh Gholap story in hindi
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महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के बारशी तालुका के रहने वाले ऱमेश घोलप को उनके गाँव महागुन में रामू के नाम से जाना जाता था। रमेश बचपन से ही एक तेजस्वी बालक थे। उनके पिता गोरख घोलप एक साइकिल मरम्मत की दुकान चलाते थे , जो उनके परिवार के लिए एक आय प्रदान करने के लिए पर्याप्त थी, लेकिन यह व्यवसाय लंबे समय तक नहीं चला क्योंकि उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया। इसी वजह से रमेश की माँ को घर घर जा कर चूड़ियां बेचनी पड़ती थी और रमेश एवं उनके बड़े भाई अपनी माँ के साथ चूड़ियाँ बेचने जाते थे। हालांकि गरीबी की यह दीवार उन्हें मेहनत करने से नहीं रोक सकी और रमेश ने UPSC की परीक्षा पास कर अपनी और अपने स्थिति को बदला। आइये जानते हैं कैसे तय किया IAS ऱमेश घोलप ने यह चुनौतीपूर्ण सफर:

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12वीं की बोर्ड परीक्षा के दौरान हुआ पिता का देहांत फिर भी लाये अच्छे अंक 

रमेश में गांव में सिर्फ प्राथमिक विद्यालय था इसलिए आगे की पढ़ाई करने के लिए वह  अपने चाचा के साथ बरसी में रहने चले गए। 12वीं की बोर्ड परीक्षा से कुछ समय पहले उनके पिता का देहांत हो गया था। उस समय उनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमज़ोर थी कि अपने चाचा के घर से वापस गाँव जाने के लिए उनके पास बस का किराया देने क लिए मात्र दो रूपए भी नहीं थे। फिर भी वह जैसे तैसे गाँव पहुंचे और पिता के देहांत के ठीक चार दिन बाद परीक्षा देने गए। उन्होंने 12वीं की परीक्षा में 88.4% अंक हासिल किये। 

फीस के पैसे ना होने के कारण किया D.Ed. डिप्लोमा  

रामू ने 12वी में अच्छे अंक लाने के बावजूद D.Ed (डिप्लोमा इन एजुकेशन) में एडमिशन लिया क्योंकि यह सबसे सस्ता कोर्स था जो वह एक शिक्षक के रूप में नौकरी पाने और अपने परिवार का समर्थन करने के लिए कर सकते थे। उन्होंने अपनी D.Ed पूरी की और साथ ही साथ एक ओपन विश्वविद्यालय से आर्ट्स में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने 2009 में एक शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया। यह उनके परिवार के लिए एक सपने के सच होने जैसा था।

करप्शन से परेशान हो कर किया UPSC में आने का फैसला 

रामू अपनी माँ और भाई के साथ अपनी चाची द्वारा प्रदान किए गए एक छोटे से कमरे में रहता था, जिसे इंदिरा आवास योजना नामक एक सरकारी योजना के माध्यम से अपना दो-कमरा घर मिल गया था। उन्होंने अपनी माँ को इसी योजना के तहत घर पाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगते देखा था। परन्तु उन्हें वह घर नहीं मिल पाया था। यही नहीं रमेश बताते हैं कि उनके गाँव के राशन दुकान के मालिक उनके जैसे ज़रूरतमंद परिवारों को मिट्टी का तेल मुहैया कराने के बजाय काला बाज़ार में उसे बेच देते थे। रमेश गरीबों के साथ हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने चाहते थे और इसीलिए उन्होंने 6 महीने के लिए अपनी नौकरी से छुट्टी ले कर UPSC और महाराष्ट्र राज्य सेवा की परीक्षा देने का फैसला किया। 

MPSC की परीक्षा में किया टॉप, दूसरे प्रयास में पास की UPSC परीक्षा 

रमेश ने बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए ही UPSC की परीक्षा दी। हालांकि वह पहले प्रयास में असफल रहे। इसी के साथ साथ उन्होंने MPSC की राज्य सेवा परीक्षा भी दी। उन्होंने वर्ष 2012 में महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) की परीक्षा में टॉप किया था, जिसमें 1,800 में से 1,244 अंक प्राप्त हुए थे। इसी वर्ष उन्होंने UPSC की परीक्षा भी पास की और 287वीं रैंक हासिल की। 

अपनी इस सफलता के बाद रमेश कहते हैं कि “जब भी मैं किसी ऐसे पीडीएस दुकान के मालिक का लाइसेंस रद्द करता हूं, जो केरोसिन की कालाबाजारी करता रहा है, मुझे अपने दिन याद आते हैं जब मुझे केरोसिन की कमी के लिए लालटेन बंद करना पड़ा था। जब भी मैं किसी विधवा की मदद करता हूं, मुझे याद आता है कि मेरी मां घर या अपनी पेंशन के लिए भीख मांगती है। जब भी मैं किसी सरकारी अस्पताल का निरीक्षण करता हूं, तो मुझे अपने पिता की बातें याद आती हैं जब उन्होंने शराब पीना छोड़ दिया था और बेहतर इलाज चाहते थे। वह मुझे एक बड़ा आदमी बनने और एक निजी अस्पताल में ले जाने के लिए कहते थे। जब भी मैं किसी गरीब बच्चे की मदद करता हूं, तो मैं खुद को याद करता हूं, मैं रामू को याद करता हूं।

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Sakshi Saroha is an academic content writer 3+ years of experience in the writing and editing industry. She is skilled in affiliate writing, copywriting, writing for blogs, website content, technical content and PR writing. She posesses trong media and communication professional graduated from University of Delhi.
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