भारत सरकार की महत्वाकांक्षी कर योजना, जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर), आज मध्यरात्रि से पूरे भारत में लागू हो जाएगा. वस्तु एवं सेवा कर को लाने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य कर नीतियों को नियमित करने के साथ साथ पूरे देश में एक समान कर नीति की व्यवस्था करना है. इसके लागू हो जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी हिस्सों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा. यहाँ हम शिक्षा के क्षेत्र पर वस्तु एवं सेवा कर के प्रभाव की चर्चा करेंगे.
शिक्षा क्षेत्र में टैक्स स्लैब
स्कूल या कॉलेज जैसे शैक्षिक संस्थानों द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी सेवाओं को जीएसटी से अलग रखा गया है. 25 वर्ष से कम उम्र के लगभग एक अरब से अधिक आबादी वाले हमारे देश के लिए यह शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक सही और सार्थक कदम है. स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ साथ इस क्षेत्र को शून्य या न्यूनतम कर ब्रैकेट के तहत रखा गया है.
ध्यान देने योग्य बात यह है कि विद्यालय (पूर्व विद्यालय(प्री स्कूल) से उच्च माध्यमिक विद्यालय तक या इसके बराबर तक की संस्थाएं ) को किसी भी तरह के जीएसटी का भुगतान नहीं करना पड़ेगा जबकि उच्च शिक्षा केन्द्रों को सरकार द्वारा मिल रही सेवाओं के लिए वस्तु एवं सेवा कर का भुगतान करना आवश्यक होगा. अर्थात परिवहन, खानपान, गृह व्यवस्था, उच्च शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश या परीक्षा आदि से सम्बन्धित सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर लागू होगा तथा इसका वहन उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा किया जाएगा.
फीस पर प्रभाव
वस्तु एवं सेवा कर के तहत उच्च शिक्षा की लागत में 2 से 3 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है. चूँकि प्रशिक्षण या कोचिंग संस्थान मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं प्रदान करते इस कारण उन्हें वस्तु एवं सेवा कर का भुगतान करना पड़ेगा. कर की दर वर्तमान में लागू 15% की बजाय लगभग 12 से 18 प्रतिशत तक होने की संभावना है.
छात्रों पर जीएसटी कर का प्रभाव
जीएसटी के लागू होने से तकनिकी वस्तुओं जैसे फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर के कीमतों में वृद्धि होगी.
महिला परिधानों के कीमतों में भी बढ़ोत्तरी होगी. अतः ड्रेस के साथ साथ श्रृंगार की वस्तुएं जैसे लिपस्टिक तथा नेलपेंट आदि पर कम व्यय करने की आवश्यक्ता है.
अधिकांश छात्रों द्वारा पसंद किये जाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे डोमिनो पिजा बर्गर आदि की निःशुल्क डिलीवरी होगी क्योंकि इनकी कीमतों में वृद्धि नहीं होगी या फिर कीमतें कम ही होंगी.
अतः जीएसटी ने विद्यार्थियों को एक तरफ राहत देते हुए दूसरी तरफ उनके लिए क्या जरुरी है और क्या जरुरी नहीं है, यह सोचने पर विवश किया है.
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