जब किसी नए उम्मीदवार की नियुक्ति बैंक में की जाती है उस समय वह उम्मीदवार उस संस्थान के विषय में कुछ भी नहीं जानता है l एक अच्छे मानव संसाधन के रूप में बैंक को उस नए भर्ती किये गए अधिकारी की देखभाल करना होता है तथा उसे अपने संस्थान की सम्पूर्ण क्रियाविधि से अवगत कराना होता है ताकि वह भविष्य में एक बेहतर मानव संसाधन बन सके l मानव संसाधनों की महता समझने तथा उनको महत्व देने के सम्बन्ध में बैंकिंग क्षेत्र सबसे अच्छे क्षेत्रों में से एक है l बैंक अपने कर्मचारियों को उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्रदान करता है ताकि अपने सेवाकाल के दौरान वे बैंक के लिए अमूल्य संपत्ति साबित हो सकें l
प्रशिक्षण और विकास : यह कैसे होता है?
वास्तव में बैंकरों को प्रशिक्षण कैसे दिया जाता है ? यह जानना बहुत जरुरी है l भारत के किसी भी विश्वविद्यालय में बैंकिंग का कोई कोर्स नहीं कराया जाता है l आईबीपीएस पीओ या एसबीआई पीओ के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री है l इसलिए प्रशिक्षण नए नियुक्त किये गए कर्मचारी द्वारा बैंकिंग और वित्त की बारीकियों को समझने का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है l
• इंडक्शन ट्रेनिंग: बैंक में भर्ती के उपरांत सबसे पहले उम्मीदवार को प्रेरक प्रशिक्षण ही दिया जाता है l इस प्रशिक्षण के माध्यम से उम्मीदवार को संस्थान की संरचना, उसकी मौलिक गतिविधियों और बैंक के अन्य प्राथमिक कार्यों के विषय में समुचित जानकारी प्राप्त होती है l
• इन-सर्विस ट्रेनिंग: इस ट्रेनिंग के अंतर्गत अधिकारियों को उनके सेवाकाल के दौरान कई बार प्रशिक्षित किया जाता है l इस दौरान उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ साथ बैंकिंग क्षेत्र में हो रहे समकालीन विकास की पूर्ण जानकारी प्रदान की जाती है ताकि वे रोजमर्रे (दैनिक) की बैंकिग गतिविधियों में उनका इस्तेमाल कर सकें l
• विशेष प्रशिक्षण (स्पेशल ट्रेनिंग): इस तरह के प्रशिक्षण बैंको में हमेशा दिए जाते हैं l अधिकांश बैंक अपने अधिकारियों को स्वेच्छा से अपने रूचि के अनुसार कार्य क्षेत्र चुनने की स्वतंत्रता देते हैं तथा उनके द्वारा चुने गए क्षेत्र विशेष में ही उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करते हैं l
• रिफ्रेशर ट्रेनिंग: इस तरह के प्रशिक्षण के दौरान एच आर डिपार्टमेंट देश के विभिन्न बैंकों के कर्मचारियों को किसी एक निर्धारित स्थान पर एक साथ लाने का प्रयास करते हैं ताकि सभी कर्मचारी एक दूसरे की कार्य प्रणाली को बेहतर तरीके से जान सकें तथा अपना विचार एक दूसरे से साझा कर सकें l इससे कर्मचारियों को गेट टुगेदर के साथ-साथ पुनः काम पर जाने की आतंरिक प्रेरणा मिलती है l
• प्रतिनियुक्ति प्रशिक्षण: इस तरह के प्रशिक्षण का आयोजन विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक,आईएमएफ, भारतीय रिज़र्व बैंक, आयकर, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो आदि जैसे संगठनों द्वारा किया जाता है l इस प्रशिक्षण के दौरान ही विभिन्न बैंकों के अधिकारियों का चयन भी किया जाता है l यह अधिकारियों को एक व्यापक परिप्रेक्ष्य देता है और उन्हें अपने दैनिक कर्तव्यों को अधिक प्रभावी तरीके से से निर्वहन करने में मदद करता है।
बैंक अधिकारियों को उनके रूचि के क्षेत्र में काम करने का भरपूर मौका मिलता है l बहुत सारे बैंक के पास उनकी रूचि से जुड़े कई विभाग हैं l उन्हें क्रेडिट, परिचालन और सेवाओं, वसूली, आईटी, विदेशी मुद्रा आदि जैसे विभागों में सेवा करने का मौका मिलता है l इससे उनके व्यावसायिक गुणों में बढ़ोतरी होती है साथ ही नियमित रूप से बार-बार इस तरह के प्रशिक्षण उन्हें किसी भी बैंक के किसी भी विभाग में निपुणता पूर्वक कार्य करने में सक्षम बनाते हैं l जब एक व्यक्ति पी ओ के रूप में अपनी नौकरी ज्वाइन करता है तो उस समय उसे अपने व्यावसायिक गुणों के विषय में ना ही पता होता है और ना ही बहुत अधिक स्किल ही उसके पास होता है लेकिन रिटायरमेंट के समय वही व्यक्ति एक कुशल संदेशवाहक, विनम्र,बुद्धिमान और धैर्यशील व्यक्ति के रूप में एक परिपक्व इंसान होता है l
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