करियर गाइड और मनोवैज्ञानिक, सौरभ नंदा के साथ जागरण जोश की बातचीत इंटरव्यू का सारांश : एक करियर गाइड बनने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली ? सौरभ नंदा से अक्सर लोग यह सवाल पूछते हैं कि आपको एक करियर गाइड बनने की प्रेरणा कहाँ से मिली? इस तरह के यूनिक करियर का चुनाव करने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. वे एक इंजीनियर होने के साथ साथ एक मनोवैज्ञानिक भी हैं. आमतौर पर इस तरह का संयोजन कि एक इंजीनियर एक मनोवैज्ञानिक भी हो बहुत मुश्किल से मिलता है और शायद इस करियर के चुनाव में मुख्य प्रेरणा तथा कारक यह तथ्य भी रहा हो. भारत के सैकड़ों छात्रों की तरह ही नंदा ने अपने सहकर्मियों के दबाव में आकर इंजीनियरिंग की. लेकिन इंजीनियरिंग के प्रोफेशन में उन्हें वो सुकून नहीं मिलता था जिसकी तलाश उनका मन निरंतर करता था. इंजीनियरिंग में बहुत अच्छा काम करने के बावजूद भी उन्हें आत्मसंतुष्टि नहीं थी. इसीलिए इन्होंने इंजीनियरिंग का प्रोफेशन छोड़कर अपने जूनून की सही तलाश में एक करियर गाइड बनने का निर्णय लिया. अपने इसे परिवर्तनीय जर्नी के दौरान उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि उन्ही की तरह कई ऐसे छात्र और युवा प्रोफेशनल्स हैं जिनकी इच्छा कुछ और करने की होती है और परिस्थिति वश वे करते कुछ और हैं और इसी ऊहापोह तथा दुविधा में अपनी जिन्दगी बीता देते हैं. ऐसे प्रोफेशनल्स तथा युवाओं को सही मदद और मार्गदर्शन की बहुत आवश्यकता है. एक करियर गाइड की भूमिका निभाते समय सौरभ ने कई युवकों तथा उनके माता पिता को सही मार्गदर्शन तथा मदद देकर उनकी जिन्दगी बदल दी. वे आजकल न सिर्फ अपने इस नए चुनाव से खुश हैं बल्कि उन्हें इस बात की आत्मसंतुष्टि है कि उन्होंने अपने लिए एक सही मार्ग का चुनाव किया है. |
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