28 मार्च, 2018 के दिन सीबीएसई कक्षा 10वीं के छात्र अपनी बोर्ड की परीक्षा देकर घर लौटे ही थे कि तभी CBSE की ओर से 10वीं क्लास के मैथ्स और 12वीं क्लास के इकोनॉमिक्स विषय के पेपर दोबारा करवाए जाने के बारे में नोटिस जारी कर दिया गया.
देश भर के 16 लाख 40 हज़ार बच्चों ने सीबीएसई कक्षा 10वीं का गणित का पेपर लिखा और इसके साथ ही 10वीं के सभी मेनस्ट्रीम विषयों के लिए परीक्षा समाप्त होनी थी. लेकिन परीक्षा दोबारा करवाने के फैसले ने लाखों मां बाप और बच्चों को झकझोर दिया है. इस संबंध में छात्रों के माता-पिता पूरी घटना के लिए निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों में 10वीं और 12वीं के कई पेपर लीक होने की ख़बरें सामने आई थी लेकिन सीबीएसई पेपर लीक से लगातार इनकार करता रहा लेकिन 10वीं क्लास के मैथ्स और 12वीं क्लास के इकोनॉमिक्स विषय के पेपर के लीक होने की पुष्टि होने के बाद बोर्ड को परीक्षा दोबारा आयोजित करने का बड़ा कदम उठाना पड़ा.
कैसे बनता है बोर्ड प्रश्न पत्र?
10वीं गणित का जो पेपर लीक हुआ था उसमें एक पेपर पर 10वीं गणित के प्रश्नपत्र के सारे सवाल हाथ से लिखे गये और उसे वॉट्सएप ग्रुप पर सर्कुलेट कर दिया गया। इस लीक हुए पेपर में लिखे सभी प्रश्न 28मार्च को हुई बोर्ड परीक्षा में मिले प्रश्न पत्र के समान थे।
आखिर कौन है जिसने यह सारे प्रश्न लिख कर वॉट्सएप द्वारा देश भर में सर्कुलेट कर दिए?
यहाँ हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि किस तरह बोर्ड पेपर रातो-रात लीक हुए होंगे. लेकिन इससे पहले हमें यह जानना होगा कि आखिर बोर्ड पेपर बनते कैसे हैं?
- दरअसल सीबीएसई बोर्ड पेपर की सुरक्षा व प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के लिए लेवल सेट किये जाते हैं.
- सबसे पहले पेपर सेट करने यानि उसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों की रचना या चयन करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से कई सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स को नियुक्त किया जाता है.
- पेपर में पूछे जाने वाले प्रश्नों का चयन करने के बाद, इन एग्जाम पेपर्स को मॉडरेटर के पास भेजा जाता है. मॉडरेटर सीबीएसई के उप-नियमों के मुताबिक पेपर की लेंथ, सिलेबस और कठिनाई की जांच करते. यह प्रक्रिया इस बात को सुनिश्चित करती है कि पेपर का लेवल उस दर्जे का हो जिससे अलग-अलग बैकग्राउंड से आने वाले छात्रों के बीच समानता बनी रहे. इस चरण पर बोर्ड परीक्षा के लिए पेपर का स्टैण्डर्ड नियत किया जाता है.
- अगले पड़ाव में पेपर को ट्रांसलेशन के लिए भेजा जाता है.
- इसके बाद पेपर को छपने के लिए भेजा जाता है.
- छपाई के बाद सभी प्रश्न पत्रों को एक जगह पर स्टोर करके रखा जाता है जहाँ से इन्हें कलेक्शन सेंटर में भेज दिया जाता है. यह कलेक्शन सेंटर कोई बहुत सुरक्षित जगह होती है जैसे कि बैंक इत्यादि.
- अंत में एग्जाम होने से कुछ समय पहले ही प्रश्न पत्रों को कलेक्शन सेंटर से एग्जाम सेंटर तक पहुँचाया जाता है.
- पेपर सेटिंग से कलेक्शन तक की पूरी कार्यप्रणाली में कम से कम 6 महीने का समय लगता है जिसे कि समय व स्थिति के अनुसार बढ़ाया भी जा सकता है. इन समस्त प्रक्रियाओं के दौरान सुरक्षा का ख़ास इंतजाम किया जाता है.
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इस तरह हो सकता है बोर्ड पेपर लीक:
दो स्थितियों में बोर्ड पेपर लीक होने की संभावना है:
- प्रश्न पत्र पब्लिश करने के दौरान
- कलेक्शन सेंटर से एग्जाम सेंटर तक पहुँचने के दौरान
बोर्ड परीक्षा के दोबारा आयोजन के दौरान क्या होंगे ख़ास इंतजाम?
मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने पूरी घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस बार लीक-प्रूफ सिस्टम लाने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जायेगा.
- प्रश्न पत्र परीक्षा से आधा घंटा पहले ही इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एग्जाम सेंटरों पर पहुंचाया जाएगा जो कि पासवर्ड प्रोटेक्टेड होगा।
- सेंटर पर ही प्रिंट लेकर छात्रों को पेपर बांटा जाएगा।
इससे पहले 15 मार्च को हुई बारहवीं की एकाउंट्स की परीक्षा के लीक होने की ख़बरों भी सामने आई थी लेकिन सीबीएसई ने इन खबरों का खंडन करते हुए इन्हें पूरी तरह निराधार बताया था।
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