शक्तियों की बात की जाये तो भारत के प्रधान मंत्री की तुलना अमेरिका के राष्ट्रपति से की जा सकती है। डॉ. बी. आर आंबेडकर
श्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बाद से कुशल नेतृत्व की परिभाषा ने नया आकार ले लिया है। घरेलू शक्तियों के संदर्भ में देखा जाए तो भारत का प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति के समान शक्तिशाली है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिति थोड़ी अलग है। चाहे वह भारतीय मुद्रा को बंद करना हो या फिर सर्जिकल स्ट्राइक, विदेश नीति, परमाणु कमान आदि जैसे कई मामलों में अंतिम निर्णय लेने की सर्वोच्च शक्तियों का क्रियान्वयन प्रधानमंत्री द्वारा ही किया जाता है।
प्रधानमंत्री भारतीय नागरिकों के जीवन के हर पहलू को प्रभावित करते हैं। प्रधानमंत्री के पास वो अपार शक्तियां हैं जिनसे आम नागिरिक अपरिचित हैं। हम यहाँ भारत के प्रधानमंत्री अर्थात श्री नरेंद्र मोदी जी की कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण शक्तियों बारे में बता हैं।

संविधान द्वारा सरकार को एक संसदीय रूप प्रदान किया गया है, जिसमें कुछ एकात्मक सुविधाओं के साथ एक संघीय संरचना है। अनुच्छेद 74 (1) में यह कहा गया है कि राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगा जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा तथा राष्ट्रपति इस मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्पारदन करेगा। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होता है ।
शक्तियां और कार्य
प्रधानमंत्री देश का मुख्य कार्यकारी होता है और वह केंद्र सरकार के प्रमुख के रूप में काम करता है। इसीलिए जवाहर लाल नेहरू ने प्रधानमंत्री के बारे में कहा था, 'वह सरकार का लिंच-पिन होता है।' प्रधानमंत्री के कार्यों और शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है:
सरकार का प्रमुख
हालांकि राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है लेकनि प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया होता है। प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद की सलाह पर सभी निर्णय राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं लेकिन प्रधानमंत्री की सहायता और सलाह के बाद ही निर्णय की जानकारी राष्ट्रपति को देता है। यहां तक कि प्रधानमंत्री द्वारा अन्य मंत्रियों की नियुक्तियों की सिफारिश के बाद ही राष्ट्रपति मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं। प्रधानमंत्री सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेता है या उन्हें परोक्ष रूप से मंजूरी देता है।
कैबिनेट का नेता - ब्रिटिश प्रधानमंत्री की तरह वह केवल प्राइमस इंटर पारेस (एक समूह का अगुवा) ही नहीं है बल्कि सर आइवर जेनिंग्स के अनुसार वह एक सूर्य है जिसके आसपास अन्य मंत्री ग्रहों की तरह कार्य करते रहते हैं। प्रधानमंत्री वह होता है जो अपनी नियुक्ति और मंत्रियों के बीच विभिन्न विभागों के वितरण और फेरबदल के बारे में राष्ट्रपति से सिफारिश करता है। प्रधानमंत्री मंत्री परिषद की बैठक की अध्यक्षता करता है तथा उनके निर्णय को प्रभावित करता है। वह किसी भी मंत्री को इस्तीफा देने के लिए कह सकता है या राष्ट्रपति से मंत्री को हटाने की सिफारिश कर सकता है। इसलिए प्रधानमंत्री की मृत्यु या त्यागपत्र की स्थिति में पूरी मंत्री परिषद भंग हो जाती है।
सेना का वास्तविक मुखिया
हालांकि रक्षा बलों के मुखिया भारत के राष्ट्रपति होते हैं लेकिन वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री के हाथों में निहित रहती है। देश की रक्षा और सुरक्षा से संबधित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद निर्णय लेती है। राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह सुरक्षा परिषद भारत के प्रधानमंत्री को सलाह देती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष होता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति भारत के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। सुरक्षा समिति अपनी सिफारिशें प्रधान मंत्री के समक्ष प्रस्तुत करती है जिस पर प्रधान मंत्री निर्णय लेता है । हाल में ही की गयी सर्जिकल स्ट्राइक इसका एक ज्वलंत उदाहरण है, जहां प्रधानमंत्री ने इस सर्जिकल स्ट्राइक को मंजूरी दी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सेना प्रमुख द्वारा प्रधान मंत्री को इस सर्जिकल स्ट्राइक की पल पल की जानकारी दी गयी थी।
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परमाणु शक्ति की कमान
भारत एक परमाणु शक्ति है और ऐनपीटी पर हस्ताक्षर किये बिना हमे एनएसजी में छूट प्राप्त है । परमाणु कमान प्राधिकरण भारत में परमाणु हथियारों के लिए मुख्य निकाय है। यह भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम से संबंधित सभी महत्वपूर्ण मामलों की देखरेख करता है। इस प्राधिकरण का अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता है।
भारत का परमाणु हथियार कार्यक्रम दो भागों पर आधारित है। परमाणु कमान प्राधिकरण के आदेश के बाद ही परमाणु हमला शुरू किया जा सकता है। मूल विचार यह है कि परमाणु हथियारों की कमान निर्वाचित सरकार के हाथों में ही रहती है जिसका प्रमुख प्रधान मंत्री होता है ।
आर्थिक मामलों का मुखिया
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति देश के आर्थिक मामलों से संबंधित निर्णय लेने वाली सर्वोच्य समिति है। यह समिति भारत की सबसे महत्वपूर्ण समितियों में से एक है। प्रधानमंत्री इस समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। यह समिति देश के लिए आर्थिक फैसले लेने वाली निर्णायक समिति है। यह समिति रेलवे, सड़क, तथा अन्य आधारभूत सुविधाओं से जुड़े हुए फैसले भी लेती है । देश में विदेशी निवेश से जुड़े हुए फैसले भी यही समिति लेती है । इस समिति के फैसले देश की आर्थिक स्तिथि था परिदृश्य बदलने की ताकत रखते हैं ।
हम देख सकते हैं कि हाल में ही प्रधानमंत्री द्वारा 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा से काले कारोबार के साथ-साथ काले धन का खेल भी पूरी तरह बदल गया या यूं कहें कि इसने काले बाजार की कमर ही तोड़ दी है।
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विदेश नीति के पथ प्रदर्शक
भारत की विदेश नीति में प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व की झलक होती है। प्रधानमंत्री के बदलते ही विदेश नीति भी विकसित होने के साथ-साथ परिवर्तित होती रहती है। हमारी विदेश नीति के कुछ मौलिक स्तंभों को छोड़ दें तो हमेशा विदेश नीति में प्राथमिकताओं के आधार पर बदलाव होता रहा है।
विदेशों में कार्यरत भारतीयों से संबंधित विभिन्न आकस्मिकताएं उत्पन्न होती हैं। यह प्रधानमंत्री ही होता है जो अन्य देशों में रहने वाले अपने नागरिकों को बचाने की पहल करता है। ऑपरेशन संकट मोचन, ऑपरेशन राहत, ऑपरेशन सुकून, ऑपरेशन सेफ होम कमिंग तथा अन्य इसके उदाहरण हैं। भारत सरकार ने 1990 में नागरिक विमान सेवाओं के माध्यम से सर्वाधिक संख्या में विदेशों से अपने नागरिकों की स्वदेश वापसी कराई थी और यह कारनामा गिनीज बुक में रिकॉर्ड हुआ था।
नीति आयोग का अध्यक्ष
नीति आयोग हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज है। यह संस्था योजना आयोग की तुलना में एक बड़ी संस्था है। यह देश की नीतियों को तय करने में राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित करती है और सहकारी संघवाद के मूल्य की पुष्टि करती है। प्रधानमंत्री नीति आयोग के अध्यक्ष होता है। वह सभी राज्यों के बीच एक सर्वोत्तम नीतिगत ढांचे को बनाए रखने के लिए एक समन्वयक, संरक्षक और मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।
विभिन्न विभागों का प्रमुख
प्रधानमंत्री कार्यालय केन्द्र सरकार के अवशिष्ट वसीयतदार के रूप में कार्य करता है। यह उन सभी विषयों को संभालता है जिसकी जिम्मदारी किसी विभाग या मंत्रालय को आवंटित नहीं की गयी होती है। परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग प्रत्यक्ष तौर पर सीधे प्रधानमंत्री के नियंत्रण में रहते हैं। परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री ही परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष एजेंसियों के प्रमुख होते हैं।
संसद का नेता
एक नेता के रूप में वह अपनी बैठकों और सत्र के कार्यक्रमों की तारीखें निर्धारित करता है। प्रधानमंत्री ही यह निर्णय लेता कि सदन को कब भंग करना है। एक मुख्य प्रवक्ता के रूप में वह सरकार की नीतियों की घोषणा करता है और फिर सवालों के जवाब भी देता है।
विदेश मामलों के संबंध में मुख्य प्रवक्ता - अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रधानमंत्री ही वह शख्स होता है जो देश का प्रतिनिधित्व करता है। यहां तक कि गैर गठबंधन देशों और सम्मेलनों से निपटने में वह देश का प्रतिनिधित्व करता है।
विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष - एक प्रधानमंत्री के रूप में वह नीति आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद, राष्ट्रीय एकता परिषद, अंतरराज्यीय परिषद, राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद का अध्यक्ष होता है।
वह आपातकाल के दौरान राजनीतिक स्तर पर छाए हुए संकट का प्रबंधक होता है। वह पार्टी और राजनैतिक सेवाओं का मुखिया होता है। प्रधानमंत्री ही एक ऐसा व्यक्ति है जो पूरी तरह से देश की परिस्तिथियों को बदल सकता है । वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कथन का जीवंत उदाहरण है।