आज जहां टीचिंग एक अच्छे एवं चुनिंदा करियर ऑप्शन के रूप में उभरा है तो वहीं सरकारी स्कूल या निजी स्कूल में टीचिंग करियर को चुनने को लेकर नये उम्मीदवारों में खासी उहा-पोह की स्थिति बनी रहती है. हालांकि, सरकारी स्कूल में टीचर या प्राइवेट स्कूल में टीचर को लेकर चर्चा कभी समाप्त नहीं हो सकती है और काफी समय से इस संबंध में चर्चाएं होती रही हैं. फिर भी आइए हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि सरकारी स्कूल एवं निजी स्कूल में टीचर बनने के क्या-क्या लाभ एवं कठिनाईयां हैं.
सरकारी स्कूल: टीचिंग के बारे में लर्निंग के लिए सरकारी स्कूल
सरकारी स्कूल हर आय वर्ग के बच्चों के लिए उपयुक्त होता है. लेकिन इन स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्टर बच्चों के ग्रोथ के हिसाब से सही नहीं होता है और एक टीचर के ग्रोथ के अवसर भी सीमित होते हैं. माना जाता है कि ये स्कूल कम आय वर्ग परिवारों के बच्चों के लिए ज्ञान अर्जित करने का स्थान है. सरकारी स्कूलों में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं, जैसे लड़कियों के लिए मुफ्त एवं नि:शुल्क शिक्षा, बच्चों के लिए मुफ्त पठन सामग्री, यूनिफ़ॉर्म इत्यादि को आसानी के साथ लागू किया जा सकता है. सरकारी स्कूलों में टीचिंग का सबसे अच्छा पहलू यह है कि यहां टीचर्स को सरकार के मानकों के अनुरूप सैलरी एवं मैनेजमेंट से संबंधित सुविधाएं प्रदान की जाती हैं.
सरकारी स्कूल में टीचर बनने के लिए जरुरी 5 टिप्स
निजी स्कूल: टीचिंग के बारे में लर्निंग के लिए निजी स्कूल
इस बात मे कोई संदेह नहीं है कि निजी स्कूल बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराते हैं जो कि बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है. बच्चों एवं टीचर्स का मानसिक विकास निजी स्कूलों में बेहतर होता है. इन स्कूलों में साफ-सफाई की व्यवस्था सरकारी स्कूलों की तुलना में बहुत अच्छी होती है. हालांकि, जहां तक सरकारी स्कूल एवं निजी स्कूल के बीच तुलना की बात है तो यह ध्यान देने वाली बात है कि निजी स्कूलों में टीचिंग ज्यादा कठिन है. यहां टीचर्स को रात-दिन काम करना पड़ता है और उन्हें उनके परिश्रम के अनुसार वेतन भी नहीं मिलता है. इन स्कूलों का मैनेजमेंट, ज्यादातर मामलों में छात्रों के भविष्य सुधारने में टीचर्स की मेहनत को उतना तवज्जों नहीं देता जितना की उनको मिलना चाहिए.
निष्कर्ष
उपरोक्त दिये गये बिंदुओं के आधार पर इस बात में कोई संदेह नहीं है कि निजी स्कूल बेहतर साफ-सफाई, इंफ्रास्ट्रक्चर एवं सुविधाएं बच्चों को प्रदान करते हैं. लेकिन यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि निजी स्कूलों में टीचर्स की सैलरी काफी कम होती है. इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि निजी स्कूलों में बेहतर टीचिंग के तरीकों, मैनेजमेंट तरीकों एवं कक्षाओं में बच्चों की संख्या को सीमित रखा जाता है. लेकिन फिर भी यदि हर चीज की लागत ली जाए तो सरकारी स्कूल इस मामले में कहीं अच्छे हैं. यह पूरी तरह से उस उम्मीदवार पर निर्भर करता है जो कि टीचिंग में करियर बनाना चाहता है, कि वह सरकारी स्कूल चुने या निजी स्कूल.
सरकारी नौकरी की राह में मिले असफलताओं से नहीं हों निराश
यदि आप बेहतर ग्रोथ की संभवानाएं, इंफ्रास्ट्रक्टर और सुविधाएं तलाशते हैं तो निजी स्कूल में टीचिंग करियर आपके लिए अच्छा रहेगा. लेकिन यदि आप बड़े पैमाने पर करियर ग्रोथ, कम प्रयास और अच्छी सैलरी चाहते हैं तो सरकारी स्कूल आपके लिए उपयुक्त रहेगा. इस प्रकार सबकुछ व्यक्तिगत अपेक्षाओं पर आधारित है. जहां कई लोग निजी स्कूल में टीचिंग को वरियता देते हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे उम्मीदवार हैं जो सरकारी स्कूल में टीचर बनने के लिए काफी कठिन परिश्रम करते हैं. इसलिए अंतिम चुनाव आपका ही है!
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