स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों के सामने जो सबसे बड़ी समस्या रहती है वो है किस तरह अपने विषय के अनुरूप सही कॉलेज का चयन किया जाय ? लगभग 98 प्रतिशत आंकड़े यह बताते हैं कि स्कूल स्तर पर समुचित जानकारी और सही काउंसिलिंग छात्रों को विश्वविद्यालय या कॉलेज के लिए सही रूप में तैयार कर सकती है. जब छात्र स्कूल से कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार होते हैं उस समय लगभग अभिभावक कॉलेज चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ऐसा 35 फीसदी छात्रों का मानना है. अभी तक के आंकड़े यह बताते हैं कि कॉलेज चयन में इंटरनेट की भूमिका लगभग 33 प्रतिशत है.
करियर और कॉलेज काउन्सलिंग पर आधारित एक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई कि 46 प्रतिशत लोगों का मानना है कि छात्र और अभिभावक करियर संबंधी फैसलों को लेकर अत्यधिक तनाव में रहते हैं. तक़रीबन 98 प्रतिशत लोगों के अनुसार स्कूल स्तर पर ज्यादा जानकारी और बेहतर काउन्सलिंग छात्रों को कॉलेज या विश्वविद्यालय के लिए बेहतर तरीके से तैयार कर सकती है..
आईसी3 (इंटरनेशल करियर एंड कॉलेज काउन्सलिंग) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण से प्राप्त निष्कर्षो के आधार पर यह बताया गया है कि 56 प्रतिशत कॉलेज छात्रों के अनुसार हाई स्कूल छात्रों के लिए विश्वविद्यालय में प्रवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लगभग 58 प्रतिशत विश्वविद्यालय हाई स्कूलों के साथ 'सम्बन्ध निर्माण' जैसे विषयों पर चर्चा करते हैं. लगभग 41 प्रतिशत विश्वविद्यालयों ने यह बताया कि वे विशेष रूप से 'विद्यार्थियों की भर्ती' पर ध्यान केन्द्रित करते हैं.
इस सर्वेक्षण के अनुसार, देशों में हुए राजनीतिक बदलाव के बावजूद 31 प्रतिशत विश्वविद्यालयों में इस साल अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों की संख्या में मामूली सी वृद्धि हुई है. इनमें से 45 प्रतिशत का यही मानना है कि ये आंकड़े पिछले साल के बराबर हैं.
सर्वेक्षण में शामिल तकरीबन 33 प्रतिशत कम्पनियां प्रतिभा के विकास में निवेश कर रही हैं. लगभग 38 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि टेक्नोलॉजी करियर विकल्पों के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. 48 प्रतिशत शिक्षकों के लिए करियर से जुड़े फैसले अभिभावकों और छात्रों के लिए तनाव का मुख्य कारण बनते हैं.
यह सर्वेक्षण फेडरेशन ऑफ इण्डियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री के सहयोग से भारत एवं दुनिया के अन्य प्रमुख स्थानों पर किया गया. इसके अंतर्गत 'हाई स्कूल एवं काउन्सलर्स', 'विद्यार्थियों', 'विश्वविद्यालयों एवं विश्वस्तरीय अकादमिक संस्थानों' तथा 'उद्योग जगत के दिग्गजों' की राय ली गई.
सर्वेक्षण के निष्कर्षो से यह अभिज्ञात है कि आज भी भारतीय विद्यार्थी पारम्परिक पाठ्यक्रमों को ही चुनते हैं क्योंकि भारत में करियर एवं कॉलेज काउन्सलिंग के लिए अन्तरराष्ट्रीय मानदण्डों के समकक्ष काउन्सलिंग प्रोविजन का सर्वथा अभाव है. ऐसा विशेष रूप से जागरुकता एवं अवसरों की कमी के कारण है. इस सर्वेक्षण के अनुसार,40 प्रतिशत छात्रों का कहना है कि वे सुरक्षित विषय जैसे विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित के विकल्प चुनना चाहते हैं, 22 प्रतिशत छात्रों ने आर्ट, एंटरटेनमेन्ट एवं स्पोर्ट्स को प्राथमिकता दी, वहीं 18 प्रतिशत छात्रों ने बिजनेस एवं फाइनेन्स को तथा 17 प्रतिशत छात्रों ने हेल्थ एण्ड मेडिसिन को अपना पसंदीदा विषय बताया.
यह बात ध्यान देने योग्य है कि अन्तरराष्ट्रीय बाजार में छात्रों का आवागमन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. विदेशों में पढ़ाई की बात की जाय, तो 45 प्रतिशत छात्र अमेरिका को, 14 प्रतिशत कनाडा को, 13 प्रतिशत ब्रिटेन को, 10 प्रतिशत ऑस्ट्रेलिया को और 8 प्रतिशत दक्षिण-पूर्वी एशिया को तथा 7 प्रतिशत छात्र यूरोप को प्राथमिकता दे रहे हैं.
वस्तुतः आज के डिजीटल परिवेश में कॉलेज से करियर की ओर छात्र का गमन उसकी व्यक्तिगत रुचि पर निर्भर करता है. उद्योग जगत सेमिनारों और विभिन्न मंचों के माध्यम से छात्रों को करियर के विभिन्न विकल्पों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने में अहम भूमिका निभा रहा है. इसमें विशेष बात यह है कि इस प्रक्रिया में इंटरनेट का महत्व और रोल नित्य प्रति बढ़ता जा रहा है.
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