सफल होने की सबसे ज़रूरी सीढ़ी है सेल्फ-एस्टीम का होना आईये जानते हैं मशहूर लेखक शिव खेड़ा के क्या हैं विचार

Jun 5, 2024, 17:08 IST

मशहूर लेखक और प्रेरक शिव खेडा मानते हैं, हमें हमारे जीवन को सफल बनाने के लिए जो सबसे ज़रूरी सीढ़ी की आवश्यकता होती है वो है , हमारे आत्म सम्मान का बढ़ना, वो मानते हैं हमारी सेल्फ एस्टीम के बिना हम कभी आगे नहीं बढ़ सकते, चलिये इस मुद्दे पर क्या है उनके विचार.

कैसे आगे बढ़ाएं अपनी सेल्फ- एस्टीम?
कैसे आगे बढ़ाएं अपनी सेल्फ- एस्टीम?

मशहूर लेखक और प्रेरक शिव खेडा मानते हैं, हमें हमारे जीवन को सफल बनाने के लिए जो सबसे ज़रूरी सीढ़ी की आवश्यकता होती है वो है , हमारे आत्म सम्मान का बढ़ना, वो मानते हैं हमारी सेल्फ एस्टीम के बिना हम कभी आगे नहीं बढ़ सकते

क्या होता है सेल्फ-एस्टीम ?  

सेल्फ- एस्टीम होता है “The way I feel about myself ” मतलब में अपने आप के बारे में कैसा महसूस कर रहा हूँ ?, जिसे हम आत्म-सम्मान  जैसे शब्द के तराज़ू में भी ले सकते हैं” 

कैसे आगे बढ़ाएं अपनी सेल्फ- एस्टीम?

मशहूर लेखक शिव खेडा का कहना है , जब हमारे अन्दर सेल्फ - ऐक्सेपटेंस होती है, तब हमारी सेल्फ-एस्टीम अपने आप उठने लगती है, सेल्फ-ऐक्सेपटेंस का मतलब होता है “I accept myself the way I am with all my pluses and minuses” मतलब में अपने आप को स्वीकार करता हूँ अपनी अच्छाईयों और अपनी बुराईयों के साथ, जब हमारे अन्दर ये बात आती है और हम अपने आप को एक्सेप्ट कर लेते हैं तब हमारी सेल्फ- एस्टीम अपने आप बढ़ने लगती है, लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है कि आप जैसे हैं वैसे ही आप रहेंगे उसे हम अहंकार करेंगे, सेल्फ एस्टीम को बढाने के लिए आप अपने आप को एक्सेप्ट करके निरंतर अपने अन्दर अच्छे बदलाव करें.

सेल्फ एस्टीम को नम्रता की बुनियाद हम कह सकते हैं, सेल्फ एस्टीम कभी ये नहीं कहती कि हम गलतियाँ कर सकते है, सेल्फ एस्टीम होती है जब आप गलतियाँ करने के बाद उसे एक्सेप्ट कर सकें कि हाँ मुझसे ये गलती हुई और मैं उन गलतियों दोहराऊंगा नहीं, बल्कि उन गलतियों से सीख कर आगे बढूँगा, में माफ़ी की तरफ भी आगे बढूँगा लेकिन में खुद एक गलती नहीं हूँ इस बात को ज़हन में रखकर हमें आगे बढ़ना चाहिए और इसी को हम अपने भीतर शान्ति अनुभव करना कहते हैं.

लो- सेल्फ एस्टीम कैसे उभरती है ?

जब हमें खुद को लेकर सेल्फ डाउट आने लगते हैं, हमें अपने आप पर संदेह होने लगता है, तब उभरता है लो-सेल्फ-एस्टीम, और धीरे-धीरे इसीके चलते हमारे भीतर आने लगता है खोकलापन, और कोई भी मनुष्य खोजने लग जाता है अपने खुद की आइडेंटिटी, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कहते हैं, “I always wears Designers” और ऐसे लोग अपने सेल्फ वर्थ से ज्यादा अपनी नेट वर्थ को सब समझने लगते हैं, वो भूल जाते हैं इंसान चीज़ें बनता है चीज़ें इन्सान को नहीं बनती, उन्हें अपनी पहचान नहीं मालूम है , वो किसी भी ब्रांड उनकी आइडेंटिटी मान बैठते हैं.

प्रेरक शिव खेडा का कहना है अगर हमें अपने आप को आगे बढ़ाना है, जीवन में सफल बनना है तो हमें अपनी सेल्फ एस्टीम को महत्व देना होगा.

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Bagesh Yadav
Bagesh Yadav

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