सिविल सर्विस की तैयारी शुरू करने से पहले आपको यह जानना होगा कि इसकी तैयारी दो स्तरों पर की जाती है। तैयारी शुरू करने से पहले आपको स्वयं को इसके लिए शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर तैयार करना होगा। इसके बाद ही आप पूरे सिलेबस को तैयार करने का काम शुरू करें।
स्वयं को तैयार करने के क्रम में सबसे पहले अपने आपको मानसिक रूप से मजबूत कर लें और सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता हासिल करने की राह में आने वाली बाधाओं का सामना करने को तैयार हो जाएं। इसके लिए स्वयं को प्रेरित करें और सफलता के लक्ष्य को एक जुनून में बदल दें। सभी प्रकार की अनावश्यक चीजों से अपने को अलग कर लें और केवल परीक्षा की तैयारी पर ही ध्यान दें।
इस परीक्षा की तैयारी में प्रतिबद्धता के साथ पर्याप्त समय देना होता है और वह तभी संभव है जब इसमें सफलता की इच्छा आपके दिल में गहराई से उठ रही हो।बिना जुनून के इस परीक्षा में सफलता का आपका स्वप्न आपको गहरा दु:ख भी पहुंचा सकता है। इसलिए आपको पूर्ण समर्पण, ईमानदारी, उत्साह और उम्मीद के साथ कठिन मेहनत के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा।
सफलता की ओर आपका पहला कदम इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितनी ईमानदारी से अपने लक्ष्य का चयन किया है। आपको केवल इसलिए आईएएस की परीक्षा में शामिल नहीं होना चाहिए कि आपके माता-पिता का यह सपना है या आपके सामाजिक दायरे में इसके लिए कोई दबाव है। यह चुनाव आपका अपना होना चाहिए और एक बार इसे तय कर लेने के बाद आपको उस पर दृढ़ता से डटे रहना चाहिए। यह परीक्षा किसी आम प्रवेश परीक्षा की तरह नहीं है।
कई लोगों की यह धारणा होती है कि वे आईआईटी या एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से आए हैं या फिर शिक्षा के प्रत्येक चरण में टॉपर रहें हैं तो आईएएस की परीक्षा में भी उनका चयन हो जाएगा। जबकि वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं है। आपको अत्यधिक मेहनत के साथ ही चतुराई से कार्य करने की आवश्यकता है।
आईएएस की तैयारी के लिए सबसे प्रमुख बात है चतुराई के साथ अध्ययन और नोट्स बनाने के साथ ही उसका दैनिक अभ्यास ।
कई अभ्यर्थी सोचते हैं कि काफी ज्यादा किताबों का अध्ययन उनको आईएएस की परीक्षा में सफलता पाने के योग्य बना देगा। लेकिन एक ही विषय पर कई किताबों का अध्ययन समय की बर्बादी है और उसका नतीजा विफलता के रूप में सामने आ सकता है।
स्मार्ट अध्ययन का अर्थ है कि उन पुस्तकों को पढ़ा जाए जो आईएएस के सिलेबस के अनुसार संबंधित विषय के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान करे। इसके साथ ही दैनिक समाचार पत्रों का समुचित अध्ययन करें। जो भी पढ़ें उसका नोट्स अवश्य बनाएं। इससे आपको दोहराने में मदद मिलेगी। इससे आपके लेखन कौशल में वृद्धि होगी।
इस बात का प्रयास करें कि आप अपने नोट्स प्रश्नोत्तर के रूप में तैयार करें। नोट्स तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखें कि कई किताबों के ढेर से नोट्स नहीं तैयार करें। इसके लिए केवल एक या दो स्रोतों का सहारा लें। समसामयिक घटनाओं के नोट्स बनाने के लिए दैनिक समाचार पत्रों का सहारा लें। दिन के अंत में पूरे दिन की पढ़ाई का पुनरावलोकन अवश्य करें।
तैयारी के शुरुआती चरण में आपको एनसीईआरटी की और राज्यों के बोर्डों की किताबों का गहन अध्ययन करना चाहिए।आपको एक या दो समाचार पत्रों का नियमित अध्ययन करना चाहिए और साथ ही उनके नोट्स भी तैयार करते रहना चाहिए। आपको पूरा सिलेबस चरणबद्ध तरीके से तैयार करना चाहिए। आपको अपनी तैयारी का मूल्यांकन सप्ताह दर सप्ताह करना चाहिए।
एनसीईआरटी पुस्तकों का अध्ययन इसलिए आवश्यक है क्योंकि इससे आपको मूल ज्ञान हासिल करने में मदद मिलती है। तैयारी की शुरुआत में सभी अभ्यर्थियों के लिए ज्ञान का सुदृढ़ आधार और धारणाओं में स्पष्टीकरण लाने के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकों का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है।
छात्रों के सामने सबसे बड़ी समस्या इस बात का निश्चय करने में आती है कि वे कौन सा समाचार पत्र पढ़ें। छात्रों को द हिंदू अवश्य पढ़ना चाहिए। इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस और यदि संभव हो तो इकोनॉमिक टाइम्स को पढ़ें। ये दोनों अखबार एक समान हैं और इनमें संपादकीय पन्नों पर काफी ज्ञानवर्द्धक सामग्री प्रकाशित होती है। पढ़ने के साथ ही इनसे नोट्स तैयार करना भी अति आवश्यक है।
छात्रों द्वारा यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि उनको कितने घंटे पढ़ाई करनी चाहिए। लेकिन इसका कोई तय उत्तर नहीं है और यह छात्र के ऊपर निर्भर करता है कि वह आरामदायक ढंग से कितने समय तक पढ़ाई कर सकता है। फिर भी तैयारी के शुरुआती चरण में 5 से 7 घंटे तक का अध्ययन पर्याप्त है। इस समय आपको अपने ऊपर ज्यादा बोझ नहीं डालना चाहिए। कुछ छात्रों का यह सोचना है कि 15 से 16 घंटे तक पढ़ाई करने से वे आईएएस की परीक्षा में सफलता हासिल कर सकते हैं। लेकिन यहां पर एक बात स्पष्ट है कि संघ लोकसेवा आयोग इतने लंबे समय तक पढ़ाई की मांग नहीं करता है। आपको केवल सही दिशा में कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। यदि आप कोई नौकरी करते हैं तो आपको 6 से 8 घंटे का समय निकालना होगा और यह पर्याप्त होगा। वास्तव में पढ़ाई के घंटे व्यक्तियों की ग्रहण क्षमता पर निर्भर करता है। हो सकता है कि कोई व्यक्ति किसी काम को एक घंटे में पूरा कर सकता है तो दूसरे को थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है।
संघ लोकसेवा आयोग एक सामान्य व्यक्ति में ऐसी खूबियां खोजता है जो भारत के प्रशासन में उच्च पदों पर काम कर सके। एक ऐसा सामान्य व्यक्ति जो हर विषय के बारे में कुछ न कुछ जानता हो लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वह किसी विषय में पूर्णत: पारंगत हो जैसे कि कोई वैज्ञानिक या शोधकर्ता। उसे किसी पत्रकार की तरह होना चाहिए जो हर मामले में सहायक हो लेकिन उसे किसी विषय का विशेषज्ञ होना जरूरी नहीं है।
आप प्रारंभिक परीक्षा को पहले ही प्रयास में उत्तीर्ण कर सकते हैं। इसके लिए आपको पृथ्वी पर उपलब्ध समस्त ज्ञान को जानने की आवश्यकता नहीं है। आपको एक पत्रकार की तरह से पढ़ना होगा। आपको अपने विचार स्तर को स्पष्ट करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह आपको केवल प्रारंभिक परीक्षा में ही नहीं वरन मुख्य परीक्षा में भी मदद देगा। इसलिए मूल जानकारी और व्यापक कवरेज पर ध्यान दें।
एक विषय के लिए एक या दो स्रोतों से ज्यादा किताबों का सहारा न लें। किसी भी किताब को पहली बार पढ़ते समय ही उससे नोट्स नहीं तैयार करें। प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न काफी घुमावदार होते हैं इसलिए आपको ध्यानापूर्वक हर विषय को पढ़ना होगा।
प्रारंभिक परीक्षा में चार विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनना होता है l अत: आपको तथ्यों को याद होने के बारे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है। यह पूरी प्रक्रिया गलत उत्तरों को छांटकर सही उत्तर का पता लगाने की है। इसलिए पूरा ध्यान विषय को समझने पर लगाना चाहिए।
सामान्य अध्ययन एक सागर के समान है, अत: आपको केवल यह जानना ही आवश्यक नहीं होगा कि किन पुस्तकों को पढ़ा जाए वरन यह भी जानना जरूरी होगा कि उनमें से क्या पढ़ा जाए और किसको छोड़ दिया जाए। यूपीएससी के सिलेबस के कई हिस्से जैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और जैव विविधता आदि में अवधारणाओं के स्पष्टीकरण का और भी ज्यादा महत्व है।
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