सिविल सेवा मुख्य परीक्षा, जिसे मोटे तौर पर आईएएस मुख्य परीक्षा के रूप में जाना जाता है, के नए सिलेबस ने सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र की तैयारी में भूगोल विषय को एक निश्चित बढ़त प्रदान कर दी है, क्योंकि 250-300 अंकों के प्रश्न भूगोल के टॉपिक्स से ही लिए जाएँगे. जलवायु-विज्ञान, विश्व भौतिक भूगोल, पारिस्थितिकी (ईकोलॉजी), पर्यावरण-विज्ञान और संसाधन-विकास के पहलुओं सहित आर्थिक भूगोल सिलेबस पर छाए हुए हैं.
अभ्यर्थियों को समकालीन और प्रासंगिक मुद्दों के साथ कृषि और औद्योगिक भूगोल पर फोकस करने की आवश्यकता है. भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं में काफी अंतर्वस्तुएँ भूगोल से संबंध रखती हैं. उदाहरण के लिए, सिंचाई-प्रणाली, फसल-पैटर्न, औद्योगिक संसाधनों के विकास का स्थानीयकरण (लोकलाइजेशन), भूख, गरीबी, अकाल आदि का भौगोलिक कारकों के साथ अविच्छिन्न संबंध है. आपदा और आपदा-प्रबंधन केवल नीतिगत ढाँचे पर ही आधारित नहीं होते, उनके लिए आपदाओं और उनके रूपों, जैसे कि चक्रवात, बाढ़, सुनामी, भूकंप आदि, और विध्वंसक तंत्र का संरचनात्मक विश्लेषण आवश्यक है.
दुधारी रणनीति
सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए इन टॉपिक्स की कारगर प्रस्तुति हेतु दुधारी रणनीति अपेक्षित है — विषयवस्तु और लेखन-कौशल.
विषयवस्तु में ये चीजें आती हैं — 1) संकल्पनाओं की समझ, 2) तथ्य, 3) तथ्यों का प्रयोग, और 4) कुछ अभिनव, या तो ज्ञान के आधार की दृष्टि से या विभिन्न पहलुओं को अंत:संबंधित करके या डायग्राम्स, चार्ट्स, तालिकाओं के प्रयोग जैसी दृश्यात्मक प्रस्तुति.
संकल्पनात्मक समझ
विषय की संकल्पनात्मक समझ परीक्षा का आधारभूत और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पहलू है. लंबी याददाश्त के लिए संकल्पनाओं की सुबोध व्याख्या लिखें और उसे चित्रों से संबद्ध करें. तथ्य स्वयं बोलते हैं, वस्तुनिष्ठता प्रदान करते हैं और इस तरह तर्क को मजबूती देते हैं, क्योंकि उन्हें सत्य का पर्याय समझा जाता है.
तथ्य और उनका प्रयोग
इसलिए दूसरा कदम महत्त्वपूर्ण तथ्यों को याद करना है. उदाहरण के लिए, ज्वालामुखी, भूकंप, समुद्र के अधस्तल के विस्तार और उनके आकाशी विश्लेषण से संबंधित किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए प्लेट टेक्टोनिक्स जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण सिद्धांत याद करने आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त, भौगोलिक प्रक्रियाओं और जलवायु, भू-जलवायुविज्ञान और सांस्कृतिक विन्यास पर उनके प्रभाव की संरचनात्मक समझ के साथ तथ्यों का एकीकरण (तथ्यों का प्रयोग) भी प्रभावोत्पादक उत्तर लिखने के लिए अनिवार्य है.
कुछ अभिनव
डायग्राम्स, टेबल्स, चार्ट्स, नवीन विचारों, अद्यतन विषयवस्तु, नवीनतम रिपोर्ट्स, लक्षणों को अंत:संबंध करने आदि की दृष्टि से कुछ नएपन का समावेश भी होना चाहिए. किंतु यहाँ यह ध्यान रखना जरूरी है कि व्यक्त किए गए विचार बहुत अतिवादी भी न हों. उनमें एक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है. साथ ही, वे उत्तर से भली-भाँति जुड़े भी होने चाहिए.
लेखन-कौशल
लिखने में सटीक और सुसंगत रहें. हस्तलेख पठनीय और स्पष्ट होना चाहिए. व्याकरण की गलतियों से बचना चाहिए. भाषा सरल-सुबोध होनी चाहिए. आवश्यकतानुसार डायग्राम्स, टेबल्स, चार्ट्स, मैप्स आदि का प्रयोग आपके उत्तर को धार देता है और उसे वस्तुनिष्ठता प्रदान करता है.
लेखन-कौशल और विषयवस्तु दोनों एक-दूसरे के पूरक और सहायक हैं. लेखन-कौशल की नींव विषयवस्तु में होती है और विषयवस्तु को अभिव्यक्त होने के लिए प्रभावोत्पादक लेखन-कौशल की आवश्यकता पड़ती है.
साथ ही, इन दोनों को कारगर प्रस्तुति की दरकार होती है, जिसके आठ सिद्धांत हैं —
1) मुख्य शब्दों को रेखांकित करें,
2) अपने उत्तर में जो अद्यतन जानकारी (अपडेट्स) आपने शामिल की है, उसे रेखांकित करें,
3) अपने प्रस्तुतीकारण को प्रभावशाली बनाने के लिए सरल डायग्राम्स, फ्लो चार्ट्स आदि बनाएँ, किंतु याद रखें, वे अनावश्यक न हों,
4) उन डायग्राम्स, फ्लो चार्ट्स आदि की व्याख्या करनी चाहिए और उन्हें अस्पष्ट नहीं छोड़ा जाना चाहिए,
5) हर थीम के कुछ महत्त्वपूर्ण शब्द होते हैं और परीक्षक आपसे उनका उल्लेख किए जाने की अपेक्षा रखता है,
6) विशेषकर भूगोल में, जितना अधिक हो सके, पैराग्राफ्स में लिखें, पॉइंट्स में नहीं. इसके अतिरिक्त, एक पैरे से दूसरे पैरे में विचारों की तार्किक प्रगति होनी चाहिए और अलग विचार प्रस्तुत करने के लिए अलग पैरा बनाना चाहिए,
7) प्रश्न के वक्तव्य (स्टेटमेंट) को अपने उत्तर में कहीं एकीकृत करने का प्रयास करें. इससे आपका उत्तर संकेंद्रित (फोकस्ड) और सुगठित बनता है,
8) परीक्षा से ठीक पहले अपने तीन-चार बहुमूल्य घंटे विषय के डायनेमिक पहलुओं को दें. इसमें नवीनतम जानकारी, रिपोर्ट्स, डायग्राम्स आदि शामिल हैं. अंतिम क्षणों में इन पर एक विहंगम दृष्टि मात्र डालना भी इन्हें जीवंत बना देता है और आपकी याददाश्त में ताजा कर जाता है (बशर्ते आपने उन्हें पहले पढ़ा हो), जिससे उन्हें परीक्षा में ज्यादा प्रामाणिकता से प्रस्तुत करना संभव होता है. यह काफी अंतर पैदा कर देता है.
भूगोल में अच्छे अंक प्राप्त करने के ये स्वर्णिम नियम हैं. इन्हें याद ही नहीं करना, बल्कि उत्तर लिखने में लागू भी करना है. याद रखें, "अधिक पढ़ाई नहीं, बल्कि उपयोगी पढ़ाई उत्कृष्टता की ओर ले जाती है."
आईएएस मुख्य परीक्षा 2013: भूगोल के लिए महत्त्वपूर्ण टॉपिक
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