आजकल कम्प्यूटर पर निर्भरता बढती जा रही है। यही कारण है कि इससे संबंधित कोर्स काफी हॉट हो रहे हैं। कम्प्यूटर के ऑनलाइन प्रयोग के कारण इससे संबंधित नए-नए क्षेत्र सामने आ रहे हैं। ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट भी एक नया कोर्स है और अब भारत में भी हॉट करियर ऑप्शन बन रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो
ई-पोर्टफोलियो किसी व्यक्ति, कंपनी या किसी अन्य का डॉक्यूमेंट्स, इन्फॉरमेशंस, लिंक सोर्सेज, आडियो और वीडियो क्लिप्स का वेब-पब्लिश्ड कलेक्शन है, जिसमें उसके बारे में विस्तार से वर्णन होता है। मोटे शब्दों में कहा जा सकता है कि यह पुराने समय के क्लासरूम नोटबुक्स का नया डिजिटल वर्जन है, जिसमें हर चीज को अलग-अलग वर्गीकृत करके रखा जाता है। इन्हें वेबफोलियो भी कहा जाता है।
क्यों हो रहे हैं पॉपुलर
पुस्तकों के मामले में तो हम इन्फॉर्मेशन या डॉक्युमेंट्स का सीमित वर्गीकरण कर पाते हैं, लेकिन इसमें कोई सीमा नहीं। इसमें कितने भी इन्फॉरमेशंस और रिसोर्सेज जोडे जा सकते हैं। वेब आधारित अप-टु-डेट कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम की तरह इसमें यूजर किसी भी तरह की फाइल अपलोड कर सकते हैं, उन्हें फोल्डर में व्यवस्थित कर सकते हैं। यह हर तरह के काम के लिए अलग होता है। स्टूडेंट और इंस्ट्रक्टर के लिए पोर्टफोलियो सिस्टम एक सुविधाजनक और एसेसिबल स्पेस और टूल्स उपलब्ध कराता है। यह स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्वेश्चन, पब्लिश्ड वर्क देता है और उसी रुचि के अन्य स्टूडेंट्स के साथ उसका लिंक भी जोडता है। यानी इसके जरिए एड-हॉक लर्रि्नग कम्युनिटी भी क्रिएट की जा सकती है। यह कहा जा सकता है कि ई-पोर्टफोलियो सिस्टम का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और पोर्टफोलियो सर्विसेज के लिए अहम है। वहीं स्टूडेंट्स व लर्नर भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं। इसके जरिए स्टूडेंट्स अपनी इंडिविजुअल ग्रोथ, करियर प्लानिंग और सीवी बिल्डिंग की अच्छी समझ हासिल कर सकते हैं।
योग्यता
विदेश के बाद अब भारत में ई-पोर्टफोलियो का चलन विकसित हो रहा है। इन दिनों कई यूनिवर्सिटीज, मैनेजमेंट इंस्टीट्यूशन और बिजनेस स्कूल इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में मास्टर्स डिग्री और डिप्लोमा प्रोग्राम ऑफर कर रहे हैं। पोर्टफोलियो कोर्सेज आमतौर पर फाइनेंस और एकाउंटिंग प्रोफेशनल्स, जैसे सीएफए, सीए, सीडब्लूए, सीएस और एमबीए वगैरह के लिए फायदेमंद है। सीएफए, सीए, सीडब्लूए, सीएस,सीएआईआईबी, सीटीएम, सीआईबी इत्यादि कर रहे और इनवेस्टमेंट और बैंकों के ट्रेजरी डिपार्टमेंट और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में काम कर रहे प्रोफेशनल्स के लिए भी यह बेहतर करियर ऑप्शन हो सकता है। इस संबंध में एक्सपर्ट का मानना है कि कॉमर्स, इकोनॉमिक्स, मैथमैटिक्स, स्टैटिस्टिक्स और मैनेजमेंट की बैकग्राउंड वाले स्टूडेंट्स इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में एक्सेलेंट करियर बना सकते हैं।
करियर ऑप्शन
आज इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के क्षेत्र में बहुत सी जॉब्स उपलब्ध हैं। किसी भी ऑर्गनाइजेशन में पोर्टपोलियो मैनेजर मूल रूप से कंपनी की ओर से चल रहे पोर्टफोलियो टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट्स को मैनेज करने का उत्तरदायित्व निभाता है। यूजर्स की जरूरतों और उन्हें पूरा क रने के डेवलपिंग प्रोग्राम्स और भविष्य की टेक्नोलॉजी को परिभाषित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो और ओवरऑल ग्रोथ के प्रति भी जिम्मेदार होता है। आमतौर पर पोर्टफोलियो मैनेजर से उम्मीद की जाती है कि वह पोर्टफोलियो से संबंधित क्षेत्र के सब्जेक्ट मैटर का विशेषज्ञ हो। वह फर्म के कस्टमर रिलेशनशिप मैनेज करने वाले स्टाफ से को-आर्डिनेट करता है। यदि आप भी इसमें करियर बनाना चाहते हैं, तो इससे संबंधित संस्थानों से जुडकर बेहतर करियर संभावनाएं तलाश सकते हैं।
मुख्य बातें
पर्सनल वर्कप्लेस, जहां कोई भी व्यक्ति लिख सकता है और टेक्स्ट बेस्ड इन्फॉर्मेशन, लिंक्स, डिजिटल इमेज और ऑडियो वीडियो क्लिप्स को पब्लिश कर सकता है (वैसे ही, जैसे ब्लॉग में किया जाता है)।
दूसरों को इसमें ऑप्शनली सुविधा हासिल होती है कमेंट देने की और कंटेंट में कुछ जोडने की (जैसे, विकीपीडिया)।
अपनी रुचि के दूसरे लर्नर या एजुकेटरों तक नेटवर्रि्कग के जरिये पहुंचने की सुविधा, जानकारी के आदान-प्रदान और रिलेटेड टॉपिक्स पर लिखने की सुविधा।
कंटेंट को पब्लिश करने या बांटने के कई तरीकों के टूल्स, जैसे न्यूजलेटर्स, ईमेल्स, आरएसएसफीड, एलर्ट्स वगैरह।
टैग देकर उन्हें वर्गीकृत करने, कंटेंट क्रिएट, कलेक्ट और पब्लिश करने के फीचर्स।
अपने टॉपिस से रिलेटेड अन्य लर्नर्स की सामग्री खोजने की सुविधा।
मैनेजमेंट और एक्सेज फैसिलिटी।
विवेक भटनागर
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