उच्च शिक्षा वित्त एजेंसी (एचईएफए) को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी. एचईएफए की स्थापना का मूल उद्देश्य आइआइटी, आइआइएम एवं एनआइटी जैसे नामी संस्थानों के साथ-साथ शैक्षिक निकायों में बेहतर क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पूंजी उपलब्ध कराना है.
केंद्रीय कैबिनेट ने एचईएफए के लिए रुपये 2000 करोड़ की पूंजी को मंजूरी दी है. इसमें से सरकार की हिस्सेदारी रुपये 1000 करोड़ होगी.
एचईएफए क्या है?
उच्च शिक्षा वित्त एजेंसी (एचईएफए) की स्थापना का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर के स्तर में सुधार करना है.
एचईएफए का प्रवर्धन चयनित प्रवर्तक एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना है. इसकी स्थापना एक ‘स्पेशल पर्पज व्हीकल’/सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों/ सरकारी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के तौर पर की जाएगी.
एचईएफए के उद्देश्य क्या हैं?
एचईएफए का मुख्य उद्देश्य मार्केट से पूंजी एकत्रित करना और इसका इस्तेमाल शैक्षणिक संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर के स्तर में सुधार के लिए करना है. इसके साथ-साथ, एचईएफए सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों से शैक्षिक संस्थानों में अनुसंधान के लिए पूंजी प्राप्त करेगी. वित्तीय सुधार शैक्षिक संस्थाओं के सिविल एवं लैब इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार पर केन्द्रित होगा.
कौन हो सकता है एचईएफए का हिस्सा?
सभी शैक्षणिक संस्थान (केंद्र द्वारा वित्त प्राप्त) एचईएफ के सदस्य हो सकते हैं बशर्ते वे शामिल होने वाले सदस्यों के लिए निर्धारित न्यूनतन राशि को एक सुरक्षित निधि में जमा कराने के लिए सहमत हों. यह राशि शैक्षिक संस्थान के राजस्व का एक हिस्सा होगी जो कि 10 वर्ष की अवधि के लिए देय होगी.
एचईएफए की कार्य प्रणाली
एचईएफए संस्थानों को प्रचलित दरों से कुछ अधिक दर पर 10 वर्ष की अवधि के लिए वित्त उपलब्ध कराएगी. इस ऋण की मुख्य राशि का पुनर्भुगतान आंतरिक संग्रहण के माध्यम से होगा, जिसमें शुल्क प्राप्तियां, अनुसंधान से आय, आदि को शामिल किया जाएगा. सरकार ब्याज के हिस्से के लिए नियमित योजनागत सहायता उपलब्ध कराएगी.
एचईएफए के प्रभाव
चूंकि इस प्रणाली में शैक्षिक संस्थानों को ऋण उपलब्ध कराया जाएगा, इससे संभावना है कि संस्थान शुल्क वृद्धि करें. ऐसा इसलिए है क्योंकि एचईएफए का सदस्य बनने के लिए सस्थानों के पास अतिरिक्त राजस्व होना चाहिए. ऐसा पूर्वानुमानित है कि केद्र द्वारा पूंजी प्राप्त संस्थान इससे सर्वाधिक प्रभावित होंगे क्योंकि इन संस्थानों द्वारा ली जा रही फीस निजी संस्थानों की तुलना में काफी कम है.
एचईएफए अनुसंधान के क्षेत्र में काफी सुधार कर सकती है. मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के आधार पर पूंजी के एक तिहाई हिस्से को प्रयोगशालाओं एवं पुस्तकालयों पर खर्च किया जाना है.
हालाकिं मंत्रालय द्वारा शुल्क वृद्धि न होने देने का आश्वासन दिया गया है, लेकिन ऐसा न होने की संभावना काफी कम है.
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