सिविल सेवा परीक्षा की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि औसतन 400 के करीब आईएएस, आईपीएस, आईएफएस जैसे प्रतिष्ठित अधिकारियों की नियुक्ति के लिए प्रति वर्ष तकरीबन तीन लाख से अधिक अभ्यर्थी आवेदन करते हैं। और वैसे भी, इस एग्जाम में सफल होने में मुख्य परीक्षा का 70, इंटरव्यू का 20 और प्रारंभिक परीक्षा का 10 प्रतिशत योगदान माना जाता है। लेकिन इसके बावजूद प्रारंभिक परीक्षा को कम करके नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि इसी से मुख्य परीक्षा में प्रवेश मिलता है। गौरतलब है कि प्रारंभिक परीक्षा की सफलता में 300 अंकों के ऑप्शनल विषय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए ऑप्शनल विषय के चुनाव और इसकी तैयारी में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। अगर आप भी सिविल सेवा परीक्षा-2009 की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हो रहे हैं और आपका ऑप्शनल सब्जेक्ट समाज-शास्त्र है, तो इसकी तैयारी से संबंधित खास टिप्स बता रहे हैं हमारे एक्सपर्ट..
समाज-शास्त्र की पॉपुलरिटी
सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में ऑप्शनल विषय के रूप में समाज-शास्त्र अभी भी काफी पॉपुलर है। वैसे, समाज-शास्त्र इंजीनियरिंग और मेडिकल बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स का पसंदीदा विषय माना जाता है। इस विषय में छात्र-छात्राओं की दिलचस्पी इसलिए भी ज्यादा होती है, क्योंकि यह न तो टेक्निकल है और न ही जटिल। खासकर यह एक विषय के रूप में हर किसी के जीवन से जुडा हुआ है।
सिलेबस
प्रारंभिक परीक्षा के लिए समाज-शास्त्र के सिलेबस को देखें, तो इसमें कुल दस सेक्शन हैं।
बेसिक कॉन्सेप्ट
मैरिज, फैमिली ऐंड किनशिप
सोशल स्ट्रेटिफिकेशन (stratification)
टाइप ऑफ सोसायटी
इकोनॉमी ऐंड सोसायटी
इंडस्ट्रियल ऐंड अर्बन सोसायटी
सोशल डेमोग्राफी
पॉलिटिकल प्रोसेस
वीकर सेक्शंस ऐंड माइनॉरिटीज
सोशल चेंज
प्रश्नों के प्रकार
समाज-शास्त्र में ज्यादातर कॉन्सेप्ट पर आधारित प्रश्न ही पूछे जाते हैं, जबकि 12 से 15 प्रश्न ही फैक्चुअल टाइप होते हैं।
तैयारी की स्ट्रेटेजी
सफलता के लिए बेहद जरूरी है कि आपका कॉन्सेप्ट पूरी तरह से साफ हो। इसके अतिरिक्त चारों महत्वपूर्ण सेक्शन पर आपकी पकड अच्छी होनी चाहिए। ध्यान रहे, अन्य सेक्शन को नजरअंदाज करना खतरनाक भी हो सकता है। प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी जनवरी माह से शुरू कर दें। प्रतिदिन तीन से चार घंटे की पढाई बेहद जरूरी है। अपनी तैयारी का मूल्यांकन करने के लिए पिछले प्रश्न-पत्रों का अभ्यास जरूर करें।
प्रश्न-पत्रों में बदलाव
पिछले एक-दो वर्षो में देखा गया है कि प्रश्नों को पूछने के तरीके में बदलाव आया है। पहले आंसर के लिए चार विकल्प दिए जाते थे, लेकिन अब इसमें थोडा बदलाव किया गया है। जैसे, दो स्टेटमेंट देकर उसके चार विकल्प इस प्रकार दिए जाते हैं- एक सही है, दो सही है, दोनों सही है या दोनों गलत है। ऐसे प्रश्नों में अगर आप दोनों स्टेटमेंट के प्रति पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं, तो आप गलती कर सकते हैं।
चुनिंदा पुस्तकें
समाज-शास्त्र की अवधारणाएं : जे.पी.सिंह
सामाजिक परिवर्तन : जे.पी.सिंह
समाजशास्9ीय विचारधारा के मुख्य सचेतक : प्रवीण कुमार पांडेय
सोशियोलॉजी : थीम्स ऐंड प्रॉस्पेक्टिव्स : हारालम्बोस (haralambos)
सोशियोलॉजी : बोटोमोर (bottomore), टी.बी
सोशल एन्थ्रोपोलॉजी : मदन मजुमदार
प्रस्तुति : अमरेन्द्र कुमार
(दक्ष आईएएस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर व समाजशास्त्र के अध्यापक प्रवीण कुमार पांडेय से बातचीत पर आधारित)
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