कैलिफॉर्निया का बेवर्ली हिल्स ..हर तरफ था खूबसूरत नजारा और ग्लैमर की चकाचौंध। वहां मौजूद थे हॉलीवुड और बॉलीवुड के तमाम दिग्गज और माहौल में गूंज रहा था जय हो..की दिलकश धुन। खास बात यह थी कि इन्हीं महारथियों के बीच एक भारतीय रच रहा था इतिहास। वह कोई और नहीं, बल्कि भारत के ख्यातिप्राप्त म्यूजिशियन हैं अल्लारक्खा रहमान, जिन्हें अपनी दमदार म्यूजिक के लिए गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड मिला है। दरअसल, ए.आर. रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड जीतने वाले पहले भारतीय कलाकार हैं। उनकी यह जीत कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे न केवल भारतीय म्यूजिशियन की धमक अब हॉलीवुड में सुनी जाएगी, बल्कि यह जीत युवाओं को भी इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगी।
बदल रही हैं फिजां
एक समय म्यूजिक को मनोरंजन का एकमात्र साधन माना जाता था, लेकिन अब म्यूजिक करियर का बहुत बडा विकल्प बन गया है। दरअसल, उन दिनों लोग संगीत को हॉबी के रूप में ही ज्यादा अपनाते थे। लेकिन अब भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री की फिजां तेजी से बदल रही है। और इसीलिए अब संगीत को हॉबी तक ही सीमित न रखकर, करियर के रूप में भी अपनाया जा रहा है। इन दिनों तमाम टेलीविजन चैनल्स पर आने वाले म्यूजिकल टैलॅन्ट हंट शो के प्रति युवाओं में जबर्दस्त के्रज देखा जा रहा है। शायद यह भी एक वजह है कि युवा-वर्ग इसे फुल-टाइम करियर के रूप में अपनाने लगे हैं।
कैसे बनेंगे म्यूजिक के उस्ताद
म्यूजिक को इनसानों की सबसे बेहतरीन खोजों में से एक माना जा सकता है। म्यूजिक के जरिए न केवल इमोशन, बल्कि अपनी फिलिंग्स को भी बखूबी जाहिर किया जा सकता है। लेकिन हकीकत यह है कि इस क्षेत्र में उस्ताद बनना कोई आसान काम नहीं है। हालांकि टैलॅन्ट, सच्ची लगन और हॉर्ड वर्क की बदौलत इस क्षेत्र में कामयाबी हासिल की जा सकती है। यदि आपमें नेचुरल टैलॅन्ट है, तो यह आपके लिए एक गिफ्ट के समान है, लेकिन आप नियमित रियाज के साथ-साथ ट्रेनिंग या फिर किसी अच्छे इंस्टीटयूट में दाखिला लेकर भी इस फील्ड में करियर का बेहतर आगाज कर सकते हैं।
कोर्सेज
बारहवीं के बाद आप म्यूजिक फील्ड से जुडे कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं। वहीं, आप चाहें, तो सर्टिफिकेट कोर्स, बैचलर कोर्स, डिप्लोमा कोर्स और पोस्ट ग्रेजुएट लेवॅल के कोर्स भी कर सकते हैं। अमूमन सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि एक वर्ष, बैचलर डिग्री कोर्स की तीन वर्ष और पोस्ट ग्रेजुएट लेवॅल कोर्स की अवधि दो वर्ष की होती है।
करियर प्रास्पेक्ट्स
संगीत की दुनिया में आप टीचिंग, सिंगिंग, म्यूजिशियन, रिकॉर्डिग, कंसर्ट, परफॉर्मर, लाइव शो, डिस जॉकी, वीडियो जॉकी और रेडियो जॉकी के रूप में भी करियर की शुरुआत कर सकते हैं। क्लासिकल, फॉक, गजल, पॉप, फ्यूजन आदि के क्षेत्र में भी भरपूर अवसर हैं। इसके अलावा, कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां संगीत से जुडी प्रतिभा को नई बुलंदियों तक पहुंचा सकते हैं। कॉपीराइटर, रिकॉर्डिग टेक्नीशियन, इंस्ट्रूमेंट मैन्युफैक्चरिंग, म्यूजिक थेरेपी, प्रोडक्शन, प्रमोशन आदि क्षेत्र में बेहतरीन अवसर हैं। जहां तक जॉब की बात है, तो आप एफएम चैनल्स, म्यूजिक कंपनी, प्रोडक्शन हाउस, म्यूजिक रिसर्च ऑर्गनाइजेशन, एजुकेशनल इंस्टीटयूट, गवर्नमेंट कल्चरल डिपार्टमेंट, म्यूजिक चैनल आदि में कोशिश कर सकते हैं।
बन सकते हैं मिलिनेअर
म्यूजिक एक ऐसा क्षेत्र है, जहां वेतन का कोई तय पैमाना नहीं है। यदि आप अच्छे परफॉर्मर और म्यूजिशियन हैं, तो मिलिनेअर बनने में देर नहीं लगेगी। हालांकि इस क्षेत्र में आरजे, वीजे, रेडियो जॉकी के रूप में करियर की शुरुआत करके शुरुआती दौर में आपको करीब 15 हजार रुपये प्रति माह सैलॅरी मिल सकती है। सिंगर, म्यूजिक कम्पोजर की आय उसकी योग्यता और प्रोजेक्ट पर भी निर्भर करती है। प्ले बैक सिंगर या अलबम के लिए आप कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम कर खूब कमाई कर सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
दिल्ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
भारतीय कला केंद्र, दिल्ली
अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय, मुम्बई
पटना यूनिवर्सिटी
भातखंडे म्यूजिक स्कूल, नई दिल्ली
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश
अजमेर म्यूजिक कॉलेज, अजमेर
बनस्थली विद्यापीठ, बनस्थली, राजस्थान
बाबासाहेब भीमराव अंबेदकर यूनिवर्सिटी, बिहार
बनारस यूनिवर्सिटी, यूपी
टॉप पर है म्यूजिक इंडस्ट्री
संगीत में करियर बनाने के लिए किन-किन बातों की होती है खास अहमियत? इस विषय पर सीमा झा ने बात की इस क्षेत्र के विशेषज्ञ व पेशेवर कलाकारों से। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश..
पहचानें अपनी टैलॅन्ट को
भारतीय मनोरंजन उद्योग जितनी तेजी से प्रगति कर रहा है, उसे देखते हुए संगीत के क्षेत्र में करियर की काफी अच्छी संभावनाएं बन रही हैं। सच तो यह है कि इन दिनों भारतीय संगीत उद्योग टॉप पर है, जिसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुनी जा रही है। आप चाहे वोकल म्यूजिक, गजल या फिर पार्श्वगायकी के क्षेत्र में जाना चाहें अथवा प्रसून जोशी की तरह विज्ञापन की दुनिया में धूम मचाना चाहें, संगीत उद्योग में आपके लिए कई तरह के विकल्प मौजूद हैं। वैसे, आज ऐसे बच्चे भी इस फील्ड में आ रहे हैं, जिनकी आवाज या हुनर गॉड-गिफ्टेड हैं। टैलॅन्ट हंट शोज इस बात को और बेहतर साबित कर रहा है। आप भले ही नेचुरल टैलॅन्ट के धनी हों, लेकिन बेहतर परफॉर्म करने के लिए संगीत की प्रॉपर ट्रेनिंग लेनी ही चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं, तो जरूर आपको अन्य कैंडिडेट्स की अपेक्षा ज्यादा चांसेज मिलेंगे। हां, यदि आप टेक्निकली फिट हैं, तो संगीत के क्षेत्र में आपके लिए रिकॉडिंग टेक्नीशियन, ऑडियो एडिटिंग जैसी तकनीकी फील्ड के दरवाजे भी खुले हुए हैं। मेरी राय में सबसे पहले आपको अपनी रुचियों को बारीकी से पहचानकर ही इस क्षेत्र में करियर की राह चुननी होगी। यदि आप केवल पार्श्वगायकी या विज्ञापन में अधिक पैसा है, यह सोचकर संबंधित फील्ड से जुडना चाह रहे हैं, तो आपको इस तरह की सोच के दायरे से बाहर निकलना होगा, तभी करियर को बेहतर ढंग से संवार सकेंगे।
डॉ. नीता माथुर
वरिष्ठ संगीत शिक्षिका, दिल्ली
गुरु बिना ज्ञान कहां रे..
जानी-मानी क्लासिकल सिंगर रूपाली दलाल, सोनाली राठौर आदि को संगीत की शिक्षा देने वाले आचार्य पंडित गोकुलोत्सव जी इस क्षेत्र में आगे बढने के लिए गुरुको अनिवार्य मानते हैं। वे कहते हैं, संगीत एक स्वाभाविक विद्या है, जो हर व्यक्ति महसूस करता है। लेकिन यदि आप संगीत को अपना प्रोफेशन बनाना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि आप शास्त्रीय संगीत की बारीकियों को भी अच्छी तरह से समझते हों। लेकिन इससे भी बढ कर बात यह है कि इस क्षेत्र में आगे बढने के लिए आपको किसी संस्थान से किए जाने वाले कोर्स कम और किसी अच्छे गुरु का सान्निध्य अधिक मदद करेंगे।
गोकुलोत्सव जी महाराज
(पद्मश्री से सम्मानित)
सामान्यीकरण उचित नहीं
यदि कोई क्लासिकल परफॉर्मर बनना चाहता है, तो उसे हर हाल में गुरु-शिष्य परंपरा से खुद को जोडना ही होगा। इसी तरह यदि कोई संगीत के एकेडमिक क्षेत्र में जाना चाहता है, तो यह जरूरी है कि उसके पास संगीत से जुडी डिग्री भी हो। इस तरह, हर फील्ड की अलग-अलग डिमांड होती है, जैसे-पार्श्वगायकी की अलग डिमांड होती है और वोकल म्यूजिक परफॉर्मर की अलग। मेरे विचार से किसी भी चीज का सामान्यीकरण करना ठीक नहीं। सच तो यह है कि यह एक क्रिएटिव फील्ड है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप जिस भी फील्ड में जाना चाहें, सबसे पहले यह अच्छी तरह जान लें कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।
मीता पंडित
प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायिका
माना जाता है कि भारतीय संगीत की उत्पत्ति वेदों से हुई है।
भारतीय संगीत राग और ताल पर आधारित हैं।
बारहवीं के बाद भी बना सकते हैं करियर।
जरूरत है क्रिएटिविटी, टीम-वर्क कैपिसिटी, आत्मविश्वास, समर्पण, डिटरमिनेशन और हार्ड-वर्किग एटिट्यूड की।
अमित निधि
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